फरार हुआ सीरियल किलर! 3 दिन की पैरोल पर आया बाहर, STF और दिल्ली पुलिस के छूटे पसीने… जानिए कौन है ये ?

दिल्ली की तिहाड़ जेल से पैरोल पर रिहा हुए कुख्यात सीरियल किलर सोहराब तीन दिन बाद वापस नहीं लौटा, जिससे पूरे NCR में हड़कंप मच गया। सूत्रों के अनुसार, वह लखनऊ में पत्नी से मिलने गया था, लेकिन तय समय सीमा के बाद भी वापस नहीं पहुंचा। अब UP STF और दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल उसे हिरासत में लाने के लिए ताबड़तोड़ अभियान चला रही है।

पैरोल की शर्तें और अचानक गायबगी

सोहराब को उनसे तीन दिन की पैरोल मिली थी, जिसके तहत वह लखनऊ में पत्नी से मिलने गया था। पैरोल अवधि समाप्त होने के बाद भी वह तिहाड़ जेल वापस नहीं पहुंचा। इससे पता चलता है कि उसने जानबूझकर पैरोल का फ़ायदा उठाकर फरार होने की योजना बनाई।

UP STF और दिल्ली पुलिस की संयुक्त कार्रवाई

उसकी गैरमौजूदगी पर एसटीएफ और दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल ने संयुक्त तलाशी अभियान शुरू किया है। तीन दिनों से वह लापता है और उसकी लोकेशन ट्रैक करने में दोनों व्यवस्थाएँ लगी हुई हैं।

सोहराब कौन है?

सोहराब लखनऊ का कुख्यात सीरियल किलर है, जो एक ही दिन में तीन हत्याओं को अंजाम देने के आरोप में जेल में था।
उसके खिलाफ हत्या, वसूली और गैरकानूनी हथियार रखने सहित कई गंभीर मुकदमे दर्ज हैं। वह लखनऊ के सदर बाजार इलाके का निवासी है और मुख्य अपराधी के रूप में पहले भी दर्ज हुआ।

भाइयों के साथ गैंग का हिस्सा

सोहराब के दो भाई—सलिम और रुस्तम—भी लखनऊ के सादर बाजार में टॉप गैंस्टर्स के रूप में शामिल हैं और गिरफ़्त की जा चुकी गैंग का हिस्सा रहे हैं। वर्षों से इनके खिलाफ हत्या, अपहरण और हथियार रखने के गंभीर मुकदमे दर्ज हैं।

पिछले पलों में पैरोल की वापसी में विफल क्यों हुआ?

पैरोल के नियमों के अनुसार, सोहराब को निर्धारित समय सीमा के अंदर जेल वापसी करनी थी। लेकिन तीन दिन बाद जेल वापस नहीं पहुंचा।

  • यह स्पष्ट रूप से नियम उल्लंघन है।
  • यूपी STF और दिल्ली पुलिस मिलकर उसे पकड़ने के लिए कड़ी जांच में जुटी हुई हैं।
  • फिलहाल यह मालूम नहीं कि वह कहां छिपा हुआ है, लेकिन दोनों एजेंसियाँ पूरे एनसीआर और लखनऊ इलाके में तलाशी कर रही हैं।

गिरफ्तारी कब और कैसे होगी?

सोहराब की गैरमौजूदगी से यह स्पष्ट है कि उसने पैरोल का दुरुपयोग किया है, और अब वह खतरा बन गया है। सरकार की सुरक्षा एजेंसियाँ—विशेषतौर पर STF और दिल्ली पुलिस—पूरी क्षमता से काम कर रही हैं।
अब देखना यह है कि वो कब पकड़ा जाएगा और क्या सख्त सजा से बचेगा या नहीं।
इस बीच जन सुरक्षा और कानूनी प्रक्रिया के बीच संतुलन बनाए रखना चुनौतीपूर्ण होगा। यह मामला उस सीमित विश्वास को भी चुनौती देता है जो जनता रखती है—कि हिंसक अपराधियों को पैरोल मिलकर भी न्याय व्यवस्था के दायरे से बाहर नहीं निकल सकते।

Related Articles

Back to top button