“अमेरिका हमारा बाप है क्या? दबाव में..” सरकार और सीजफायर पर इस नेता के बयान से राजनीतिक बवाल !

भारत-पाकिस्तान के बीच हालिया सीजफायर समझौते के बाद विपक्षी नेताओं ने केंद्र सरकार, विशेषकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, पर तीखा हमला बोला है। समाजवादी पार्टी (SP) के राज्यसभा सांसद रामजी लाल सुमन और कांग्रेस नेता इमरान मसूद ने इस समझौते को अमेरिका के दबाव में लिया गया निर्णय बताया है, जिससे राजनीतिक हलकों में हलचल मच गई है।
रामजी लाल सुमन: “सीजफायर अमेरिका के दबाव में हुआ”
SP सांसद रामजी लाल सुमन ने सीजफायर को लेकर केंद्र सरकार की नीतियों पर सवाल उठाए हैं। उन्होंने कहा कि यह समझौता भारत की संप्रभुता के खिलाफ है और अमेरिका के दबाव में लिया गया निर्णय है। सुमन ने यह भी आरोप लगाया कि सरकार ने बिना संसद या विपक्ष को विश्वास में लिए यह कदम उठाया, जो लोकतांत्रिक प्रक्रिया के खिलाफ है।
इमरान मसूद: “अमेरिका हमारा बाप है क्या?”
कांग्रेस नेता इमरान मसूद ने भी सीजफायर पर सरकार की आलोचना की है। उन्होंने तीखे शब्दों में पूछा, “अमेरिका हमारा बाप है क्या?” मसूद ने कहा कि यदि सीजफायर करना अपमान नहीं है, तो क्या है? उन्होंने यह भी सवाल उठाया कि पहलगाम के कातिल अब भी जिंदा हैं, तो यह समझौता किसके हित में है।
अमेरिका की मध्यस्थता पर अशोक गहलोत
पूर्व राजस्थान मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने भी अमेरिका की भूमिका पर सवाल उठाया है। उन्होंने कहा कि भारत की परंपरा रही है कि वह भारत-पाकिस्तान मामलों में किसी तीसरे पक्ष की मध्यस्थता को स्वीकार नहीं करता।
सीजफायर और अंतरराष्ट्रीय दबाव
भारत और पाकिस्तान के बीच हालिया संघर्ष के बाद दोनों देशों ने सीजफायर समझौते पर हस्ताक्षर किए। इस समझौते में अमेरिका, चीन और सऊदी अरब जैसे देशों की मध्यस्थता की भूमिका रही है। हालांकि, समझौते के कुछ ही घंटों बाद दोनों देशों ने एक-दूसरे पर उल्लंघन के आरोप लगाए, जिससे इसकी वैधता पर सवाल उठने लगे हैं।
राजनीतिक प्रतिक्रिया और मांगें
विपक्षी दलों ने इस समझौते को लेकर सरकार से पारदर्शिता की मांग की है। कांग्रेस नेता अशोक गहलोत और भूपेश बघेल ने सरकार से विशेष संसदीय सत्र बुलाने और सभी दलों को विश्वास में लेने की मांग की है। उन्होंने यह भी कहा कि इस समझौते से भारत की कश्मीर नीति और शिमला समझौते की आत्मा को ठेस पहुंची है।