ग्राम पंचायतों की आरक्षण लिस्ट जारी, जानें मायूस दावेदारों के प्लान

लखनऊ. उत्तर प्रदेश में होने वाले त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव को लेकर तैयारियां अंतिम चरण में हैं. सभी जिलों के ग्राम पंचायतों, वार्डों और ब्लॉक प्रमुख पद की स्थिति अब स्पष्ट हो चुकी है. इस बार परिस्थितियां एकदम वितरित हैं. कई दावेदार इस बार ऐसे हैं जो चुनाव लड़ना चाहते थें और प्रचार में पैसा भी खर्च चुके थे, उनके हाथ निराशा हाथ लगी है. हालांकि, यह अंतिम सूची नहीं है. बुधवार से 75 जिलों के लिए जारी हो चुकी आरक्षण लिस्ट के लिए आपत्तियां मांगी जा चुकी हैं, 8 मार्च तक दावेदार आपत्तियां दर्ज करा सकते हैं. इसके बाद आपत्तियों का निस्तारण 12 मार्च तक होगा. 15 मार्च तक आरक्षण की फाइनल लिस्ट प्रकाशित की जाएगी.

अभी जो आरक्षण लिस्ट आई है, उसमें ऐसी कई  हैं, जहां समीकरण पूरी तरह से बदल गए हैं. ऐसे में चुनाव लड़ने के इच्छुक लोगों की मुश्किलें बढ़ गई हैं. ऐसा इसलिए भी है, क्योंकि वे आरक्षण लिस्ट घोषित होने से पहले ही प्रचार में काफी कुछ खर्च कर चुकें हैं. जब सीट किसी अन्य कैटेगरी में आरक्षित हो चुकी है तो वे अपने कैंडिडेट यानी अपने समर्थक को चुनाव में उतारने की तैयारी में है, ताकि वे गांव की सत्ता वे अपने हाथ में रख सकें. प्रयागराज, लखनऊ, सैफई, इटावा, मैनपुरी, वाराणसी, गोरखपुर समेत कई ऐसे जिले हैं, जहां दावेदार अपने समर्थित उम्मीदवार को मैदान में उतारने की तैयारी है.

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दरअसल, राज्य निर्वाचन आयोग को 15 मार्च तक आरक्षण की फाइनल लिस्ट मिल जाएगी. ऐसे में 25-26 मार्च तक पंचायत चुनाव अधिसूचना भी जारी हो जाएगी. उम्मीद है कि 10 अप्रैल के बाद चार चरणों में मतदान होगा. लेकिन, जिला पंचायत निर्वाचन अधिकारी की तरफ से जो लिस्ट जारी की गई है. उसमें बदलाव की संभावना बहुत काम हैं, क्योंकि कई ऐसी सीटें थीं जहां पर कई दशकों से आरक्षण की व्यवस्था नहीं लागू हुई थी. लिहाजा इस बार रोटेशन प्रणाली के तहत कई ग्राम पंचायतों की स्थिति बदल गई है, ऐसे में दावेदार अब रबर स्टाम्प कैंडिडेट को मैदान में उतारने की तैयारी कर रहे हैं. मसलन अगर कोई सीट एससी, एसटी, ओबीसी या महिला के लिए आरक्षित है तो दावेदार अपने करीबियों को मैदान में उतारने जा रहे हैं, ताकि सत्ता की चाभी उनके पास रहे. हालांकि, अभी यह बोलना जल्दबाजी होगा कि उनका यह प्लान कितना सफल होता है.

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