Raksha Bandhan 2021: भाई की जान बचाने के लिए बदायूं की दो बहनों ने दिया अनोखा गिफ्ट

बदायूं. रक्षाबंधन पर्व (Raksha Bandhan 2021) है भाई और बहन के प्यार का. इस पर्व पर बहन-भाई के माथे पर तिलक लगाकर कलाई पर राखी बांधकर अपनी रक्षा का वचन लेती है. लेकिन बदायूं (Badaun) में एक परिवार ऐसा है, जहां इस बार का रक्षाबंधन का त्यौहार अनोखा है, क्योंकि दो बहनों ने अपने भाई का जीवन बचाने के लिए अपनी जिंदगी दांव पर लगा दिया. दोनों बहनों ने अपनी जिंदगी की परवाह करके बिना एक अनमोल तोहफा रक्षाबंधन से पूर्व अपने भाई और पूरे परिवार को दिया। यही वजह है कि इस परिवार में रक्षाबंधन को लेकर एक अलग ही उल्लास है.

बदायूं के रहने वाले राजेश कुमार गुप्ता बिल्सी के जैन इंटर कॉलेज में प्रधानाचार्य पद पर कार्यरत हैं.  इनके बेटे अक्षत वैश्य उर्फ कृष्णा जिनकी उम्र 14 साल है, को एक दिन अचानक पेट में थोड़ा सा दर्द उठा. जिसके बाद कृष्णा को शहर के ही एक प्राइवेट क्लीनिक पर दिखाया गया, जहां पर उनकी टेस्टिंग हुई. उसके उपरांत डॉक्टर ने उन्हें बरेली ले जाने की सलाह दी. परिवार छोटे बच्चे के पेट में अचानक उठे दर्द से परेशान था. परिजन कृष्णा को बरेली ले कर गये. वहां पर टेस्टिंग में कृष्णा के लिवर में इन्फेक्शन पाया गया. डॉक्टरों की सलाह पर कृष्णा को हायर सेंटर भेजने की सलाह दी गई. परिजन बहुत परेशान हो गए. आखिर में बच्चे को मेदांता हॉस्पिटल गुड़गांव ले जाया गया. जहां डॉक्टरों ने बच्चे का पूरा चेकअप करके बताया कि इसका लीवर पूरी तरह से डैमेज हो चुका है. लीवर ट्रांसप्लांट के सिवा कोई उपाय नहीं था.

लीवर ट्रांसप्लांट के लिए थी दो डोनर की जरूरत
परिवार में अचानक आई विपदा को लेकर सभी लोग बहुत परेशान हो गए. तब कृष्णा की छोटी बहन प्रेरणा ने परिजनों की समस्या को देखते हुए कहा कि मैं अपना लीवर अपने भाई कृष्णा को डोनेट करूंगी. जिसके बाद इसकी जानकारी संबंधित डॉक्टर और अस्पताल को दी गई. इस दौरान कृष्णा का उपचार लगातार अस्पताल में चल रहा था. लेकिन कृष्णा का वजन कुछ ज्यादा था तो डॉक्टर ने कहा कि कृष्णा को दो डोनर की जरूरत पड़ेगी. यह जानकारी जब कृष्णा की बड़ी बहन नेहा को हुई, जो इटली में अपनी पढ़ाई कर रही थी. वह तुरंत ही फ्लाइट पकड़कर इंडिया आ गई और उन्होंने भी इच्छा जाहिर की मै भी अपना लीवर अपने भाई कृष्णा को डोनेट करूंगी. अब डॉक्टर के पास दो ऑप्शन थे. दोनों के तमाम टेस्ट किए गए और उसके बाद सारे डॉक्टर इस बात पर एग्री हो गए कि यह दोनों में बहने अपने भाई की जिंदगी बचा सकती हैं. इसके बाद कृष्णा के ऑपरेशन की तैयारी की गई.  कृष्णा का ऑपरेशन लगभग 18 घंटे चला. इस दौरान कृष्णा की दोनों बहने नेहा और प्रेरणा को भी 7 दिन तक अस्पताल में भर्ती रहना पड़ा. कृष्णा 21 दिन हॉस्पिटल में रहने के बाद जब डिसचार्ज हुए तो बिल्कुल ठीक हो कर घर आये.

अनोखा हुआ इस बार का रक्षा बंधन
इस बार का रक्षाबंधन यह परिवार सभी सदस्यों के साथ अपने घर मैं मना रहा है. इस रक्षाबंधन पर इस परिवार में गजब का उल्लास है क्योंकि ऐसा रक्षाबंधन इन लोगों की जिंदगी में पहली बार आया है. उधर 14 वर्षीय 1कृष्णा इस बात को लेकर संशय में है कि मैं अपनी बहनों को इस रक्षाबंधन पर क्या गिफ्ट दूं. उसका कहना है कि मेरी बहनों ने मुझे इतना बड़ा गिफ्ट पहले से ही दे दिया है कि मेरी समझ में नहीं आ रहा कि मैं इन्हें क्या दूं.

पिता ने बेटियों को बताया बेटा 
वहीं कृष्णा के पिताजी का कहना है कि मेरी बेटियों ने इस रक्षाबंधन पर ऐसा काम किया है जिसके बारे में कुछ भी कहना कम होगा. मैं चाहता हूं कि हर परिवार में ऐसी बहन और ऐसा भाई ही हो. मुझे लगता था कि कि मेरे एक ही बेटा है मगर बेटियों ने मुझे बेटा बनकर दिखा दिया है. जब बेटे की परेशानी बढ़ती जा रही थी तब मुझे कुछ भी सूझ नहीं रहा था. छोटी बेटी प्रेरणा आगे आई और उसने सबसे पहले लीवर डोनेट करने की बात कही और उसके बाद जब डॉक्टरों ने एक लिवर डोनेट होने से काम न चलने की बात कही तब बड़ी बेटी नेहा इटली से तुरंत ही अपना लिवर डोनेट करने के लिए आ गई. इस मुश्किल की घड़ी में बेटियों ने मुझे हौसला दिया. एक पिता बहुत कमजोर होता है जब उसके तीन बच्चे अस्पताल के बेड पर होते है.

बड़ी बहन ने कही ये बात
कृष्णा की बहन नेहा का कहना है कि मुझे जब कृष्णा के बारे में पता लगा तो मैं तुरंत इटली से फ्लाइट लेकर इंडिया आ गई. लेकिन मेरी छोटी बहन प्रेरणा ने पहले से ही मन बना लिया था कि मैं अपने भाई को लिवर डोनेट करूंगी. अमूमन एक ही लीवर की जरूरत पड़ती है डोनेट करने के लिए, लेकिन कृष्णा का वजन ज्यादा होने के कारण जब डॉक्टरों ने कहा कि दो लोगों की जरूरत पड़ेगी तो हम लोग तुरंत टेस्टिंग के लिए तैयार हो गए. सारी चीजें टेस्टिंग में सही मिली और हम अपने भाई को रक्षाबंधन से पूर्व यह गिफ्ट दे पाए यही हमारे लिए बहुत बड़ी बात है. आज हम अपने पूरे परिवार के साथ भाई के ठीक होने के बाद यह पर्व अपने घर पर मना रहे हैं. इसकी हम लोगों को बहुत खुशी है.

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