राकेश टिकैत थाने में धरने पर बैठे, जानें क्या है मामला

प्रदर्शन के दौरान पुलिस और कार्यकर्ताओ के बीच हल्की धक्कामुक्की और हंगामा भी हुआ

उत्तर प्रदेश के मुज़फ्फरनगर जनपद में मंगलवार की सुबह उस समय हड़कंप मच गया, जब भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत अपने कार्यकर्ताओ के साथ नगर कोतवाली में धरने पर बैठ गए। बताया जा रहा है की पुलिस द्वारा देर रात बीकेयू के कुछ कार्यकर्ताओ को मारपीट के एक मामले में हिरासत में लिया गया था जिसके चलते ये धारण प्रदर्शन किया गया। वही धरना प्रदर्शन के दौरान पुलिस और कार्यकर्ताओ के बीच हल्की धक्कामुक्की और हंगामा भी हुआ।

दरअसल जानकारी के मुताबिक़ देर शाम कुछ बीकेयू कार्यकर्ताओ और एक रेस्टोरेंट मलिक और कर्मचारियों के बीच खाना खाने को लेकर विवाद हो गया था। जिसके चलते नगर कोतवाली पुलिस इन लोगो का मेडिकल कराने के लिए जिला अस्पताल में पहुँची थी। लेकिन अस्पताल पहुँचकर आरोपियों के कुछ साथियो ने वहॉ हंगामा करते हुए तोड़ कर डाली और जबरन कुछ आरोपियों को अपने साथ छुड़ाकर ले गये थे। जिसके चलते पुलिस ने इस मामले में कुछ लोगो को हिरासत में भी ले लिया था। इसी के चलते आज सुबह राकेश टिकैत बीकेयू कार्यकर्ताओ को पुलिस द्वारा अवैध हिरासत में लेने का आरोप लगाते हुए कोतवाली में धरने पर बैठ गए थे। इस बारे में राकेश टिकैत ने जानकारी देते हुए बताया की  देखो धरना यह है कि पुलिस प्रशासन किसान संगठन के लोगों को झूठे उसमें फसाना चाहता है कि इनको यह करो वेरी यहां जिले में कोई कहने सुनने वाला है, ना इनका यह टारगेट पूर्ण रूप से यह टारगेट इनका कभी कामयाब नहीं होगा, हंगामा आपस में दो लोग थे वह हंगामा कर रहे थे, उनके ऊपर केस बनता है उनके ऊपर कर दो एक दुकानदार है एक संगठन का आदमी है दोनों में आपस में झगड़ा दुकान पर हुआ धरने की आवश्यकता अगर कोई सिफारिश में आ गया तो उन्हें भेज दिए तो 20 आदमी को बंद करोगे कौन से केस में बंद कर रहे हो आप उन दोनों को बंद करो वह मुकदमा लड़ लेंगे या फैसला कर लेंगे मतलब यह है एक बहाना चाहे हैं प्रशासन एक बहाना चा रा की किसान संगठन को दबाने का काम कर रहा है दबिश वगैरह कहीं नहीं गई

यह घर पर थे सारे हमने तो कहा दोनों का मेडिकल कराओ क्या पता जब तक सरकार चाहेगी तब तक चले गए इतने मामले कहां लखीमपुर और कहां जाते फिरेंगे सारे मामले यहीं से सॉल्व करवाएं यहीं से हो जाएंगे लखीमपुर वालो को भी वही नौकरी दी नी घायलों को मुआवजा नी मिला 15 दिन में उनकी जमानत हो सके जो जेल में बंद है उनके कब होगी वो भी बता देगे, तोड़फोड़ नहीं हुई एक स्टूल गिरना तोड़फोड़ नहीं होता अगर 10 आदमी वहां चले गए और एक स्टूल वहां गिर गया तो वह तोड़फोड़ नहीं होते ना हम  डॉक्टरों से कोई मतलब है हमने तो फिर भेजा कि जाकर उनका मेडिकल करवाओ पुलिस अपना दोनों का मेडिकल करवाया जो धारा लगती हो धारा लगाए लेकिन सिफारिश के मतलब यह नहीं है कि कोई आदमी सिफारिश पर आ गया तो आप उनको जेल भेजोगे धरना बताओ का पुलिस प्रशासन यहां का हम तो यहां कोतवाली में बैठे हैं अब टेंट लगाएंगे यहां पर बैठ गए हैं तो और भी मामले हैं वह भी सॉल्व हो जाएंगे। वही इस मामले में आरोपियों का मेडिकल कराने गए,हेड कांस्टेबल दीपक कुमार की शिकायत पर नगर कोतवाली में अमरजीत, रविंदर, प्रदीप पाल, अन्नू उर्फ़ अनुज, गौरव उर्फ़ हन्नी नामज़द और 8 से 10 अज्ञात व्यक्तियों के विरुद्ध धारा 147, 148, 149, 323, 333, 353, 427, 504 और 506 में मुक़दमा दर्ज कर पुलिस ने अपनी आगे की कार्यवाही भी शुरू कर दी है।

राकेश टिकैत (बीकेयू राष्ट्रीय प्रवक्ता) कहा है कि देखो धरना यह है कि पुलिस प्रशासन किसान संगठन के लोगों को झूठे उसमें फसाना चाहता है कि इनको यह करो वेरी यहां जिले में कोई कहने सुनने वाला है, ना इनका यह टारगेट पूर्ण रूप से यह टारगेट इनका कभी कामयाब नहीं होगा, हंगामा आपस में दो लोग थे वह हंगामा कर रहे थे, उनके ऊपर केस बनता है उनके ऊपर कर दो एक दुकानदार है एक संगठन का आदमी है दोनों में आपस में झगड़ा दुकान पर हुआ धरने की आवश्यकता अगर कोई सिफारिश में आ गया तो उन्हें भेज दिए तो 20 आदमी को बंद करोगे कौन से केस में बंद कर रहे हो आप उन दोनों को बंद करो वह मुकदमा लड़ लेंगे या फैसला कर लेंगे मतलब यह है एक बहाना चाहे हैं प्रशासन एक बहाना चा रा की किसान संगठन को दबाने का काम कर रहा है दबिश वगैरह कहीं नहीं गई यह घर पर थे सारे हमने तो कहा दोनों का मेडिकल कराओ क्या पता जब तक सरकार चाहेगी तब तक चले गए

इतने मामले कहां लखीमपुर और कहां जाते फिरेंगे सारे मामले यहीं से सॉल्व करवाएं यहीं से हो जाएंगे लखीमपुर वालो को भी वही नौकरी दी नी घायलों को मुआवजा नी मिला 15 दिन में उनकी जमानत हो सके जो जेल में बंद है उनके कब होगी वो भी बता दे गे, तोड़फोड़ नहीं हुई एक स्टूल गिरना तोड़फोड़ नहीं होता अगर 10 आदमी वहां चले गए और एक स्टूल वहां गिर गया तो वह तोड़फोड़ नहीं होते ना हम  डॉक्टरों से कोई मतलब है हमने तो फिर भेजा कि जाकर उनका मेडिकल करवाओ पुलिस अपना दोनों का मेडिकल करवाया जो धारा लगती हो धारा लगाए लेकिन सिफारिश के मतलब यह नहीं है कि कोई आदमी सिफारिश पर आ गया तो आप उनको जेल भेजोगे धरना बताओ का पुलिस प्रशासन यहां का हम तो यहां कोतवाली में बैठे हैं अब टेंट लगाएंगे यहां पर बैठ गए हैं तो और भी मामले हैं वह भी सॉल्व हो जाएंगे।

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