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रेबीज एक खतरनाक और जानलेवा वायरल बीमारी है, जो इंसान और जानवरों दोनों को प्रभावित कर सकती है। यह बीमारी पूरी दुनिया में एक गंभीर स्वास्थ्य समस्या बन चुकी है और कई बार इसका इलाज संभव नहीं हो पाता। यदि किसी व्यक्ति को यह बीमारी हो जाए, तो उसकी मृत्यु निश्चित होती है। इस लेख में हम रेबीज के कारण, लक्षण, उपचार, और सावधानियों के बारे में विस्तार से जानेंगे ताकि लोग इस खतरनाक बीमारी से बच सकें।

रेबीज क्या है?

रेबीज एक वायरस जनित रोग है जो मुख्य रूप से संक्रमित कुत्तों, बिल्लियों, सियारों और अन्य जानवरों के माध्यम से फैलता है। यह वायरस संक्रमित जानवरों के लार, खून और अन्य शारीरिक तरल पदार्थों के जरिए इंसान या अन्य जानवरों में प्रवेश करता है। वायरस शरीर में प्रवेश करने के बाद तंत्रिका तंत्र को प्रभावित करता है, जिससे दिमाग और शरीर के अन्य अंगों की कार्यप्रणाली पर गंभीर प्रभाव पड़ता है।

रेबीज के लक्षण

रेबीज के लक्षण शुरू होने में कुछ समय लग सकता है, लेकिन जब यह शुरुआत होती है तो यह बहुत ही घातक साबित हो सकती है। इसके लक्षणों में शामिल हैं:

  • बुखार
  • सिरदर्द और उलझन
  • गले में जलन और दर्द
  • मांसपेशियों में ऐंठन
  • पानी देखने पर घबराहट और डर (हाइड्रोफोबिया)
  • पागलपन और मानसिक स्थिति में गड़बड़ी

जैसे-जैसे बीमारी बढ़ती है, मरीज को सांस लेने में कठिनाई होती है और वह अपने शरीर के नियंत्रण को खो देता है। अंततः, यह बीमारी उसकी मृत्यु का कारण बन सकती है।

रेबीज का कारण

रेबीज का मुख्य कारण एक विशेष प्रकार का वायरस है, जो संक्रमित जानवरों के काटने, नाखून या पंजे से संपर्क करने से फैलता है। यह वायरस उस व्यक्ति के शरीर में प्रवेश करता है और तंत्रिका तंत्र को नुकसान पहुंचाता है। अधिकतर मामलों में, यह वायरस कुत्तों, बिल्लियों, सियारों, और अन्य जानवरों द्वारा फैलता है। अगर किसी इंसान को संक्रमित जानवर का काटा हुआ घाव या उस जानवर के लार से संपर्क होता है, तो वह भी संक्रमित हो सकता है।

रेबीज का उपचार

अफसोस की बात यह है कि रेबीज का कोई विशेष इलाज नहीं है। जैसे ही वायरस इंसान के शरीर में प्रवेश करता है, उसके बाद इंसान का मरना लगभग तय होता है। यह बीमारी बहुत ही दर्दनाक होती है और मरीज के लिए एक दुखद अंत का कारण बनती है। हालांकि, अगर किसी व्यक्ति को रेबीज होने से पहले एंटी-रेबीज वैक्सीनेशन (टीका) लगवा लिया जाता है, तो इस बीमारी को रोका जा सकता है। यदि किसी व्यक्ति को किसी जानवर के काटने या पंजे से चोट लगती है, तो तत्काल अस्पताल में जाकर एंटी-रेबीज टीका लगवाना चाहिए।

क्या करें अगर किसी को जानवर का काटा लग जाए?

यदि आपको कुत्ता, बिल्ली, सियार या किसी अन्य जानवर का पंजा या दांत लग जाए, तो तुरंत निम्नलिखित कदम उठाएं:

  • तुरंत साफ करें: घाव को पानी और साबुन से अच्छी तरह से धोएं।
  • टीका लगवाएं: जल्द से जल्द अस्पताल जाएं और एंटी-रेबीज वैक्सीन लें। यह वायरस के फैलने से रोकने में मदद करेगा।
  • चिकित्सा सहायता लें: डॉक्टर से सलाह लें और उचित उपचार प्राप्त करें।
  • मरीज की स्थिति की निगरानी करें: यदि आप किसी संक्रमित व्यक्ति के संपर्क में आए हैं तो उसकी हालत को बारीकी से देखें।

रेबीज से बचाव के उपाय

रेबीज से बचाव के लिए निम्नलिखित उपायों का पालन करना चाहिए:

  • जानवरों से दूर रहें: विशेषकर कुत्तों, बिल्लियों, सियारों और अन्य जंगली जानवरों से दूरी बनाकर रखें।
  • पशु टीकाकरण: अपने पालतू जानवरों को रेबीज के खिलाफ नियमित रूप से टीका लगवाएं।
  • घाव का तत्काल इलाज: यदि आपको किसी जानवर से कोई घाव लगे, तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें और इलाज कराएं।
  • जानवरों के व्यवहार पर ध्यान दें: अगर कोई जानवर असामान्य तरीके से व्यवहार कर रहा हो, तो उसे न छोड़े और विशेषज्ञ से संपर्क करें।

 

आपकी सतर्कता, आपकी जान बचा सकती है

रेबीज जैसी बीमारी का सबसे बड़ा हथियार है, सतर्कता और समय पर कार्रवाई। यह बीमारी भले ही लाइलाज हो, लेकिन इससे बचाव पूरी तरह संभव है। यदि हम ज़रा-सी लापरवाही बरतें, तो यह एक पीड़ादायक अंत का कारण बन सकती है, लेकिन अगर हम जागरूक रहें, तो किसी की जान बचाई जा सकती है।

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