कौन सी बीमारी है प्रेमानंद महाराज को? क्या है ADPKD ? कई वर्षों से डायलिसिस की मदद से काट रहे जीवन

वृंदावन के प्रसिद्ध आध्यात्मिक संत प्रेमानंद महाराज की तबीयत एक बार फिर बिगड़ गई है। उनकी खराब सेहत को देखते हुए आगामी 5 दिनों तक उनकी पदयात्रा स्थगित कर दी गई है। महाराज की बिगड़ती तबीयत की जानकारी वृंदावन के केली कुंज आश्रम की ओर से दी गई, जिसके बाद उनके लाखों भक्तों के बीच चिंता की लहर दौड़ गई है। सोशल मीडिया और आश्रम के माध्यम से लोगों से विशेष अपील की गई है कि वे महाराज के स्वास्थ्य को देखते हुए दर्शन को लेकर संयम बरतें।
5 दिनों तक बंद रहेगी पदयात्रा
केली कुंज आश्रम द्वारा जारी आधिकारिक बयान में कहा गया है कि, “आप सभी को सूचित किया जाता है कि पूज्य महाराज के स्वास्थ्य की अनुकूलता को ध्यान में रखते हुए पिछले कुछ दिनों से रात्रि यात्रा बंद है और अब उनकी पदयात्रा को भी पांच दिनों के लिए रोका जा रहा है।” आश्रम ने यह निर्णय प्रेमानंद महाराज की सेहत को सर्वोपरि मानते हुए लिया है।
रात के समय रास्तों में खड़े होकर दर्शन न करने की अपील
आश्रम ने अपने पोस्ट में श्रद्धालुओं से आग्रह किया है कि वे रात के समय रास्तों में खड़े होकर महाराज के दर्शन करने का प्रयास न करें, ताकि उन्हें आराम मिल सके और स्वास्थ्य में सुधार आ सके। प्रेमानंद महाराज को देखने और सुनने के लिए प्रतिदिन हजारों की संख्या में श्रद्धालु एकत्र होते हैं, लेकिन इस वक्त उनके स्वास्थ्य को ध्यान में रखते हुए संयम जरूरी है।
कौन सी बीमारी है प्रेमानंद महाराज को?
प्रेमानंद महाराज लंबे समय से ऑटोसोमल डॉमिनेंट पॉलीसिस्टिक किडनी डिजीज से पीड़ित हैं। इस बीमारी के चलते उनका नियमित डायलिसिस किया जाता है। एक बार प्रेमानंद महाराज ने स्वयं बताया था कि जब उन्हें इस बीमारी का पता चला तो डॉक्टर ने कह दिया था कि उनके पास ज्यादा समय नहीं है। लेकिन महाराज ने अपनी आध्यात्मिक ऊर्जा और इच्छाशक्ति से बीमारी को मात दी और कहा, “मैं आज भी जीवित हूं और ठीक-ठाक हूं।”
क्या है ऑटोसोमल डॉमिनेंट पॉलीसिस्टिक किडनी डिजीज ?
ऑटोसोमल डॉमिनेंट पॉलीसिस्टिक किडनी डिजीज (Autosomal Dominant Polycystic Kidney Disease – ADPKD) एक आनुवंशिक (genetic) बीमारी है, जिसमें गुर्दों (किडनी) में कई सारे सिस्ट (गांठें या थैलियाँ) बन जाती हैं। ये सिस्ट धीरे-धीरे बढ़ती हैं और किडनी की कार्यक्षमता को प्रभावित करती हैं।
संक्षेप में समझें:
- यह एक जन्मजात बीमारी होती है, जो माता-पिता से बच्चों को अनुवांशिक रूप में मिलती है।
- इसमें गुर्दों में पानी भरे सिस्ट बनते हैं, जो समय के साथ किडनी को नुकसान पहुंचाते हैं।
- धीरे-धीरे ये सिस्ट बढ़ते जाते हैं और किडनी फेल (kidney failure) होने का खतरा होता है।
- अधिकतर मरीजों में इसके लक्षण 30-40 वर्ष की उम्र के बाद दिखते हैं।
- लक्षणों में हाई ब्लड प्रेशर, पेट या पीठ में दर्द, पेशाब में खून आना, और गुर्दों का आकार बढ़ना शामिल हो सकते हैं।
- इसका फिलहाल कोई स्थायी इलाज नहीं है, लेकिन डायलिसिस या किडनी ट्रांसप्लांट की मदद से मरीज जीवन जी सकता है।
भक्तों में चिंता, सोशल मीडिया पर दुआओं का दौर
जैसे ही महाराज की तबीयत बिगड़ने की खबर आई, सोशल मीडिया पर #PremanandMaharaj ट्रेंड करने लगा। उनके लाखों भक्त उनके स्वास्थ्य लाभ के लिए दुआ कर रहे हैं। वृंदावन से लेकर देश के विभिन्न कोनों तक फैले भक्तों ने आश्रम की अपील को गंभीरता से लिया है और ऑनलाइन माध्यमों से अपनी श्रद्धा और शुभकामनाएं भेजी हैं।
संत प्रेमानंद महाराज – एक प्रेरणास्त्रोत
संत प्रेमानंद महाराज केवल आध्यात्मिक गुरु नहीं, बल्कि एक प्रेरणास्त्रोत भी हैं, जिन्होंने अपनी बीमारी को कभी भी अपने मार्ग में बाधा नहीं बनने दिया। ऐसे में उनके स्वस्थ होने की कामना हर भक्त के दिल से उठ रही है। श्रद्धालुओं से अनुरोध है कि वे आश्रम के निर्देशों का पालन करें और महाराज के शीघ्र स्वास्थ्य लाभ के लिए प्रार्थना करें।