Political News : तो कम हो रहा है गुलाम नबी आजाद का इकबाल !

भारत जोड़ो यात्रा का है असर या आज़ाद की पकड़ हो रही ढीली ?

नई दिल्ली। राहुल गांधी की ‘भारत जोड़ो यात्रा’ के जम्मू-कश्मीर पहुंचने से पहले ही कांग्रेस ने गुलाम नबी आज़ाद की पार्टी पर बड़ा सर्जिकल स्ट्राइक कर दिया है। पूर्व उप-मुख्यमंत्री तारा चंद और पूर्व प्रदेशाध्यक्ष पीरजादा सहित 17 नेता और उनके साथ सैकड़ों समर्थक कांग्रेस में शामिल हो गए हैं। 17 बड़े नेताओं ने दिल्ली में कांग्रेस मुख्यालय में आकर पार्टी ज्वाइन की।

चंद महीने पहले कांग्रेस छोड़कर गुलाम नबी आज़ाद ने अपनी नई पार्टी डेमोक्रेटिक आज़ाद पार्टी बनाई थी। तारा चंद, जो पूर्व उप-मुख्यमंत्री थे वो भी आज़ाद के साथ गए थे, लेकिन इसे अपनी भूल बताकर वो पार्टी में वापिस आ गए। इसके अलावा सैय्यद पीरजादा, जो पूर्व प्रदेशाध्यक्ष रहे हैं, उन्होंने भी पार्टी से माफी मांगकर कांग्रेस में वापसी कर ली। इसी महीने राहुल गांधी की ‘भारत जोड़ो यात्रा’ जम्मू-कश्मीर जाने वाली है। कांग्रेस ने रणनीति का तहत फारुख अब्दुल्ला, महबूबा मुफ्ती, कम्युनिस्ट नेता यूसुफ तारिगामी और आवामी नेशनल लीग के मुज्जफर शाह को यात्रा में शामिल होने के लिए तैयार करके आज़ाद को अलग-थलग कर दिया है।

अब आज़ाद के पास घाटी में महत्वपूर्ण बने रहने के लिए कांग्रेस में वापसी के अलावा कोई बड़ा विकल्प नहीं है। ताराचंद ने आज़ाद पर सेक्युलर ताकतों को कमजोर करने का आरोप लगाकर उनकी भाजपा से मिलीभगत का संकेत देने वाला आरोप भी लगा दिया। उन्होंने कहा कि हमें लगा कि सेक्युलर फोर्सेस को कमजोर करने की कोशिश हो रही है, भूल-भुलैया की तरफ  ले जाया जा रहा है, तो हमने वापस होने का फैसला किया। कांग्रेस ने आज़ाद के करीबी नेताओं की घर वापसी के जरिए आज़ाद को भी पार्टी में बिना शर्त वापस आने को मज़बूर करने की रणनीति बनाई है, हालांकि अभी आज़ाद अपने रुख पर कायम हैं।

कांग्रेस नेताओं का कहना है कि यह केवल शुरुआत है और जब यात्रा जम्मू-कश्मीर में प्रवेश कर रही है, तो कांग्रेस की विचारधारा वाले और अखंड भारत चाहने वाले सभी लोग पार्टी में शामिल होंगे। पार्टी को लगता है कि बगावती दो महीने की छुट्टी पर गए थे। पार्टी से यह पूछे जाने पर कि क्या  गुलाम नबी आज़ाद के साथ कांग्रेस में लौटने के लिए कोई बातचीत चल रही है, इस पर वेणुगोपाल ने कहा कि उन्होंने खुद ऐसी किसी भी बातचीत से इनकार किया है। कांग्रेस के अनुसार कुल 19 नेताओं को शुक्रवार को कांग्रेस जॉइन करना था, लेकिन 17 नेता ही दिल्ली आकर जॉइन कर पाए। यह पहला चरण है और अन्य भी जल्द ही जॉइन करेंगे।

इन नेताओं के कांग्रेस छोड़ने की वजह पूछे जाने पर तारा चंद ने कहा, हम भावनाओं और दोस्ती में बह गए थे और जल्दबाजी में पार्टी छोड़ दी। पूर्व उप-मुख्यमंत्री ताराचंद का कहना है कि मुझ जैसे गरीब आदमी को कांग्रेस पार्टी ने टिकट दिया, विधायक बनाया, हम कांग्रेस पार्टी में वापस आए हैं। वहीं, पीरजादा ने कहा कि मैं 50 साल कांग्रेस में रहा हूं, विभिन्न पदों पर काम किया, 4 बार मंत्री रहा हूं। मुझसे भूल हुई थी, मैं जज्बात में आ गया था और तकरीबन दो महीने मुझे नींद नहीं आई थी। जो लोग कांग्रेस की विचारधारा में विश्वास करते हैं, उनका ‘भारत जोड़ो यात्रा’ में स्वागत किया जा रहा है।

कांग्रेस समान विचारधारा वाले सभी दलों को यात्रा में शामिल होने के लिए आमंत्रित किया है। फारूक अब्दुल्ला, उमर अब्दुल्ला और महबूबा मुफ्ती यात्रा में शामिल होंगे और श्रीनगर में राहुल गांधी के साथ चलेंगे। कांग्रेस से जुड़े सूत्रों की माने तो आज़ाद ने अपने इस्तीफे में राहुल गांधी पर तीखे हमले किए थे। उन्होंने राहुल को अपरिपक्व तक बता दिया था। राहुल पर हमलों से गांधी परिवार आज़ाद से काफी नाराज़ है, लेकिन नाराज़गी के बावजूद पार्टी नेता आज़ाद की घर वापसी के हर संभव प्रयास कर रहे हैं। दरअसल आज़ाद ने इसी साल 26 अगस्त को कांग्रेस पार्टी के सभी पदों और प्राथमिक सदस्यता से इस्तीफा दे दिया था। वह पिछले 52 साल से कांग्रेस से जुड़े थे।

इसी साल उनके राज्यसभा का कार्यकाल खत्म हुआ था, जिसके बाद पार्टी ने उन्हें दोबारा राज्यसभा नहीं भेजा था। समाचारों के अनुसार आज़ाद को कांग्रेस में वापस लाने की तैयारी चल रही है। इसके लिए सोनिया गांधी की करीबी नेता अंबिका सोनी खुद उनसे बातचीत कर रही हैं। उन्होंने आज़ाद को राहुल गांधी से बातचीत करने का भी न्यौता दिया है। यह पूरी कवायद राहुल गांधी की ‘भारत जोड़ो यात्रा’ जम्मू-कश्मीर पहुंचने से पहले की जा रही है। राहुल 20 जनवरी को आने वाले हैं और उसके पहले कांग्रेस आज़ाद की घर वापसी करवाना चाहती हैं।

अजीब विडम्बना है कि गुजरात और हिमाचल प्रदेश विधानसभा चुनाव के दौरान गुलाम नबी आज़ाद ने दावा किया था कि भाजपा का मुकाबला केवल कांग्रेस ही कर सकती है। आज़ाद ने ये भी कहा था कि वह कांग्रेस की नीति के खिलाफ  नहीं हैं, लेकिन इसकी कमजोर व्यवस्था से उन्हें दिक्कत है। आज़ाद के बयान के बाद भी ‘भारत जोड़ो यात्रा’ के संयोजक दिग्विजय सिंह ने खुले तौर पर आज़ाद को यात्रा का हिस्सा बनने के लिए आमंत्रित किया।

इस बात से इंकार नहीं किया जा सकता है कि अब वे अकेले पड़ गए है। उन्हें उम्मीद थी कि भाजपा के साथ वे कुछ नया कर सकेंगे, पर ऐसा कुछ दिखाई नहीं दे रहा था।  खासकर जब उनके बयान उत्तराखंड व गुजरात के चुनाव के बारे में आ रहे थे कि केवल कांग्रेस गुजरात और हिमाचल प्रदेश में भाजपा को चुनौती दे सकती है। क्योंकि उनकी एक समावेशी नीति है।’ आज तो मुंह से शब्द बोलो और ट्रोल हो जाता है। ऐसे में भाजपा ने भी उनकी नवगठित पार्टी जिसका अभी तक रजिस्ट्रेशन भी नहीं हुआ है, को ढीला छोड़ दिया था और यही बात उनके पार्टी के लोगों को भी महसूस हो गई होगी तभी उन्हें घर वापसी में फायदा लगा।

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