क्या है पीलीभीत सपा कार्यालय विवाद ? क्यों 50 अधिकारी, 200 पुलिसकर्मी, 5 थानों की फोर्स और PAC की गई तैनात ?

पीलीभीत में समाजवादी पार्टी का जिला कार्यालय खाली कराने की कार्रवाई के दौरान मंगलवार को भारी हंगामा हुआ। नगरपालिका के अधिकारियों के साथ सपा कार्यकर्ताओं की धक्का-मुक्की और नोकझोंक के बीच प्रशासन ने परिसर को छावनी में तब्दील कर दिया है। यह पूरा मामला अब सियासी और कानूनी दोनों ही रूपों में तूल पकड़ चुका है। जानिए क्या है पूरा विवाद, किसका क्या पक्ष है और आगे क्या हो सकता है..
सपा कार्यालय को खाली कराने पहुंचा प्रशासन
दरअसल, मंगलवार सुबह पीलीभीत नगर पालिका प्रशासन ने समाजवादी पार्टी के जिला कार्यालय को खाली कराने की कार्रवाई शुरू की। यह कार्यालय वर्षों से नगरपालिका के अधिशासी अधिकारी के सरकारी आवास में चल रहा था। प्रशासन के आदेश पर नगरपालिका के अधिकारी वहां पहुंचे, लेकिन कार्यालय में मौजूद सपा कार्यकर्ताओं ने इसका विरोध शुरू कर दिया।
200 से ज्यादा कार्यकर्ता पहुंचे, हंगामा और धक्का-मुक्की
कार्रवाई की खबर मिलते ही 200 से ज्यादा सपा कार्यकर्ता मौके पर पहुंच गए। नगरपालिका के अधिकारियों से उनकी तीखी बहस हुई, फिर मामला धक्का-मुक्की तक पहुंच गया। प्रशासन ने स्थिति को नियंत्रण में करने के लिए इलाके को छावनी में तब्दील कर दिया।
भारी पुलिस बल तैनात, ड्रोन से निगरानी
स्थिति को संभालने के लिए प्रशासन ने 50 अधिकारी, 200 पुलिसकर्मी, पांच थानों की फोर्स और एक कंपनी PAC को मौके पर तैनात किया है। वाटर कैनन और फायर ब्रिगेड की गाड़ियां भी मंगाई गई हैं। पूरे इलाके की निगरानी ड्रोन कैमरों से की जा रही है।
नोटिस के बाद भी नहीं खाली हुआ कार्यालय
बताया जा रहा है कि तीन दिन पहले नगर पालिका ने सपा कार्यालय के बाहर नोटिस चस्पा किया था, जिसमें 10 जून तक कार्यालय खाली करने को कहा गया था। लेकिन पार्टी द्वारा कार्यालय खाली नहीं किया गया, जिसके बाद यह कार्रवाई की गई।
सपा ने मांगा छह महीने का समय, मिले केवल छह दिन
कार्रवाई के दौरान सपा नेताओं ने अधिकारियों के सामने छह महीने की मोहलत मांगी थी, लेकिन आपसी विचार-विमर्श के बाद प्रशासन ने केवल छह दिन का समय दिया है। अब समाजवादी पार्टी को 16 जून तक कार्यालय खाली करना होगा।
सपा जिलाध्यक्ष बोले- प्रशासन कर रहा सत्ता के दबाव में काम
सपा जिलाध्यक्ष जगदेव सिंह ‘जग्गा’ ने कार्रवाई को असंवैधानिक बताया और कहा कि यह भवन वर्षों से किराए पर लिया गया था और नियमित रूप से किराया भी दिया जा रहा था। उन्होंने आरोप लगाया कि नगरपालिका प्रशासन सत्ता के दबाव में काम कर रहा है और रात में अचानक नोटिस चस्पा किया गया।
मामला कोर्ट में विचाराधीन, फिर भी जबरन कार्रवाई
सपा का दावा है कि इस भवन का मामला सिविल कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट दोनों में विचाराधीन है। ऐसे में जब तक कोई न्यायिक आदेश न आ जाए, तब तक कार्यालय को खाली कराना गलत है। सपा जिलाध्यक्ष ने कहा कि यदि जबरन कार्यालय खाली कराया गया, तो वे सड़कों पर उतरकर विरोध करेंगे।
जानिए क्या है पूरा मामला
गौरतलब है कि 2005 में सपा को पीलीभीत के नकटा दाना चौराहे पर अधिशासी अधिकारी आवास को डेढ़ सौ रुपये मासिक किराए पर कार्यालय के लिए आवंटित किया गया था। लेकिन 12 नवंबर 2020 को नगर पालिका ने यह आवंटन रद्द कर दिया और कहा कि प्रक्रिया के अनुसार यह आवंटन नहीं हुआ था। इसके खिलाफ हाईकोर्ट में याचिका दायर हुई, लेकिन बाद में पार्टी ने उसे वापस ले लिया।
2021 में सपा ने सिविल कोर्ट में मुकदमा दायर किया, जो अब भी विचाराधीन है। पालिका का कहना है कि कोर्ट से अभी तक कोई अंतरिम आदेश नहीं आया है, जिससे उसे कब्जा हटाने से रोका जा सके।
आगे की रणनीति बनाएंगे: सपा
सपा नेताओं ने प्रशासन की कार्रवाई को पार्टी की ताकत पर हमला बताया और कहा कि वे अपनी रणनीति तैयार कर रहे हैं। सपा जिलाध्यक्ष ने कहा, “यह कार्यकर्ताओं की मेहनत और एकजुटता का नतीजा है कि प्रशासन कार्यालय तुरंत खाली नहीं करा पाया। हम आगे की रणनीति तय करेंगे और कोर्ट से भी न्याय की उम्मीद रखते हैं।”
सपा कार्यालय को लेकर प्रशासन और पार्टी आमने-सामने
पीलीभीत में सपा कार्यालय को लेकर प्रशासन और पार्टी आमने-सामने हैं। जहां एक ओर प्रशासन कोर्ट के अंतरिम आदेश न होने के आधार पर कब्जा हटाने पर अड़ा है, वहीं सपा इसे सत्ता के दमन का प्रयास बता रही है। आने वाले दिनों में यह विवाद और गहराने की संभावना है, खासकर अगर सपा 16 जून तक कार्यालय खाली नहीं करती है।