UP: रियल लाइफ में गब्बर मूवी जैसा सीन, लाश का इलाज करते रहे डॉक्टर.. 4 दिन चली नौटंकी.. 3 लाख का बनाया बिल

पीलीभीत जिले में एक निजी अस्पताल पर गंभीर लापरवाही और धोखाधड़ी का आरोप लगा है। एक सड़क हादसे में घायल युवक की मौत के बाद भी डॉक्टरों ने चार दिन तक उसका इलाज जारी रखा और परिजनों से तीन लाख रुपये वसूल लिए। जब परिजनों को रेफर के बहाने मरीज को बाहर दिखाया गया, तब जाकर सच्चाई सामने आई कि उसकी मौत पहले ही हो चुकी थी। इस खुलासे के बाद अस्पताल परिसर में हंगामा मच गया।
चार दिन तक आईसीयू में भर्ती रहा मृत युवक, परिवार को नहीं देखने दिया
पूरनपुर क्षेत्र के चांट फिरोजपुर निवासी राजेंद्र कुमार ने बताया कि उसके छोटे भाई विष्णु (35), पुत्र प्रेमराज, का चार दिन पूर्व सिरसा चौराहे के पास सड़क हादसे में गंभीर रूप से घायल हो गए थे। पहले उन्हें पूरनपुर सीएचसी ले जाया गया, फिर उन्हें शहर के एक निजी अस्पताल में भर्ती कराया गया। राजेंद्र ने आरोप लगाया कि डॉक्टरों ने 30 हजार रुपये एडमिशन के नाम पर लिए और कुछ घंटे बाद ऑपरेशन के नाम पर एक लाख रुपये और मांगे। चार दिनों में कुल मिलाकर लगभग तीन लाख रुपये जमा करा लिए गए। इस दौरान परिजनों को एक बार भी मरीज को देखने नहीं दिया गया।
मंगलवार को रेफर करने की बात कहकर शव को बाहर निकाला गया
राजेंद्र कुमार ने बताया कि मंगलवार शाम अस्पताल प्रशासन ने मरीज को बरेली रेफर करने की बात कही और जब उसे बाहर निकाला गया, तब जाकर पता चला कि विष्णु की मौत हो चुकी है। मृतक के शरीर की स्थिति देखकर परिजनों ने आशंका जताई कि उसकी मौत दो-तीन दिन पहले ही हो चुकी थी। इसका मतलब यह है कि अस्पताल प्रबंधन ने जानबूझकर मृत शरीर को आईसीयू में रखा और इलाज के नाम पर पैसे वसूलता रहा।
हंगामे के बाद अस्पताल स्टाफ और डॉक्टर मौके से फरार
जैसे ही मरीज की मौत का खुलासा हुआ, परिजन भड़क उठे और अस्पताल में जमकर हंगामा किया। हंगामे की जानकारी मिलते ही सुनगढ़ी और कोतवाली पुलिस के साथ-साथ स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी भी मौके पर पहुंचे। इस बीच डॉक्टर और पूरा अस्पताल स्टाफ अस्पताल से भाग गया। केवल दो महिला रिसेप्शनिस्ट वहां मौजूद थीं। काफी देर तक बुलाने के बाद भी डॉक्टर सामने नहीं आए। चर्चा रही कि डॉक्टर अस्पताल के भीतर ही कहीं छिप गए थे।
तीन बीघा जमीन गिरवी रख इलाज का खर्च उठाया, फिर भी नहीं बचा भाई
राजेंद्र ने बताया कि विष्णु पांच भाइयों में सबसे छोटा था। अपने छोटे भाई को बचाने के लिए उन्होंने परिवार की तीन बीघा जमीन गिरवी रख दी थी, जिससे तीन लाख रुपये मिले और वो पूरी रकम अस्पताल को दे दी गई। इसके बावजूद डॉक्टर उसे नहीं बचा सके और उल्टा मृत शरीर का इलाज करने के नाम पर ठगी करते रहे। विष्णु की एक साल पहले ही शादी हुई थी और उसकी पत्नी इस समय गर्भवती है।
स्वास्थ्य विभाग कर रहा जांच, पुलिस को नहीं मिली तहरीर
घटना की जानकारी मिलते ही भारतीय किसान यूनियन के मंडल अध्यक्ष हरजिंदर सिंह काहलो और जिलाध्यक्ष वेदप्रकाश भी अपने कार्यकर्ताओं के साथ मौके पर पहुंच गए। सुनगढ़ी और कोतवाली पुलिस तथा एसीएमओ डॉ. एसके सिंह ने भी अस्पताल पहुंचकर हालात का जायज़ा लिया और जानकारी जुटाई। इंस्पेक्टर पवन कुमार पांडेय ने बताया कि अभी तक परिजनों की ओर से कोई तहरीर नहीं मिली है। स्वास्थ्य विभाग की टीम मामले की जांच कर रही है और तहरीर मिलने पर उचित कानूनी कार्रवाई की जाएगी।