शर्मिंदा हुई भाजपा ! PM Modi की वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के दौरान किसानों ने काटा भयंकर हंगामा, जानिए वजह

बिहार की राजधानी पटना के फतुहा स्थित सुकुलपुर गांव में शुक्रवार को उस समय हंगामा मच गया जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा बिहार में 48,500 करोड़ रुपये की योजनाओं के शिलान्यास कार्यक्रम के दौरान किसानों ने अपनी जमीन के मुआवजे को लेकर विरोध प्रदर्शन शुरू कर दिया। इस विरोध ने केंद्र सरकार की विकास योजनाओं पर उठ रहे सवालों को और गहरा कर दिया है।
48,500 करोड़ की परियोजनाओं की घोषणा
दरअसल, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बिक्रमगंज से वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए बिहार में कई महत्वाकांक्षी योजनाओं की नींव रखी। इस दौरान पटना के फतुहा में रामनगर-कच्ची दरगाह सिक्स लेन सड़क परियोजना (14.5 किलोमीटर) का भी शिलान्यास हुआ, जिसकी अनुमानित लागत 1083 करोड़ रुपये है। यह कार्यक्रम क्षेत्रीय सांसद और भाजपा नेता रामकृपाल यादव की अध्यक्षता में आयोजित किया गया था।
किसानों का आरोप: “बिना मुआवजा हमारी जमीन ली जा रही है”
कार्यक्रम के दौरान उस समय तनाव फैल गया जब कुछ किसान कार्यक्रम स्थल से बाहर निकलकर नारेबाजी करने लगे। प्रदर्शनकारी किसानों में मनीष कुमार, धर्मेंद्र सिंह, कमलेश सिंह और छोटू सिंह प्रमुख रूप से शामिल थे। किसानों का आरोप था कि सरकार द्वारा जबरन उनकी जमीन का अधिग्रहण किया जा रहा है, लेकिन उन्हें उचित मुआवजा नहीं दिया गया।
किसानों का कहना है कि उन्हें सरकारी दर के अनुसार मुआवजा नहीं, बल्कि उसका चौगुना मुआवजा मिलना चाहिए, जो भूमि अधिग्रहण कानून 2013 के तहत तय किया गया है। प्रदर्शनकारियों ने दावा किया कि वे पिछले कई महीनों से अपनी मांगों को लेकर संघर्ष कर रहे हैं, लेकिन अब तक कोई समाधान नहीं निकला है।
नेताओं ने समझा-बुझाकर शांत कराया किसानों को
मौके पर मौजूद पूर्व मुखिया देवकुमार सिंह, अभिमन्यु यादव, इंजीनियर गोपाल शंकर और नरेशचंद्र यादव ने किसानों से बातचीत की और उन्हें आश्वस्त किया कि उनकी समस्याओं को वरीय अधिकारियों तक पहुंचाया जाएगा। अंततः किसान शांत हुए और कार्यक्रम पुनः सामान्य रूप से संपन्न हुआ।
रामकृपाल यादव ने प्रदर्शनकारियों की मांगों को गंभीरता से लेते हुए उन्हें आश्वासन दिया कि वह खुद किसानों की बातों को संबंधित अधिकारियों और सरकार तक पहुंचाएंगे।
विकास बनाम अधिकार की टकराहट
यह घटना एक बार फिर से यह दिखाती है कि सरकार की विकास योजनाएं तभी सफल हो सकती हैं जब स्थानीय जनता, विशेषकर किसान समुदाय को विश्वास में लिया जाए। जब तक भूमि अधिग्रहण के बदले उचित और समयबद्ध मुआवजा नहीं मिलेगा, तब तक इस तरह के विरोध आगे भी सामने आते रहेंगे।