20 जनवरी को परवीन बॉबी की हुयी थी मौत, आज भी नहीं सुलझी मौत की वजह

 

 

 

मुंबई, अपने समय की बेहद खूबसूरत अभिनेत्री परवीन बॉबी की ज़िन्दगी के बारे में आज हम कुक ऐसे राज आपके समाने लेकर आये यही जो शायद ही अपने कही पढ़े हों । परवीन  बॉबी की मौत आज के ही 20 जनवरी को उनके मुंबई के फ़्लैट में हुयी थी| जिनके कारणों का खुलासा आज तक नहीं हुआ| तो एक नजर उस अभिनेत्री की ज़िन्दगी पर जो अचानक हमने छोड़ कर  चली गयी|

 

बतौर मॉडल शुरू किया था कैरियर


परवीन बॉबी ने अपने करियर की शुरुआत बतौर मॉडल की थी। लेकिन जल्द ही उन्हें फिल्मों में ब्रेक मिल गया। 1973 में उन्होंने क्रिकेटर सलीम दुर्रानी के ऑपोजिट फिल्म ‘चैत्र’ से डेब्यू किया। फिल्म फ्लॉप रही, लेकिन परवीन बॉबी का चेहरा और खूबसूरती लोगों की आंखों में बस गई। हर कोई यह जानने को उत्सुक हो गया कि आखिर यह लड़की है कौन? शायद यही वजह रही कि उन्हें फ्लॉप डेब्यू के बाद भी ढेर सारी फिल्मों के ऑफर मिले। डेब्यू के एक साल के अंदर ही उन्होंने अमिताभ बच्चन के ऑपोजिट पहली ब्लॉकबस्टर फिल्म दी।

2-3 साल में हासिल की थी बड़ी ख्याति

डेब्यू के 2-3 साल के अंदर ही उन्होंने इतनी ख्याति पा ली कि वह टाइम मैगजीन के कवर पर फीचर हुईं। टाइम मैगजीन के कवर पर नजर आने वाली वह बॉलिवुड की पहली स्टार रहीं। परवीन बॉबी का स्टारडम और जादू हर निर्माता-निर्देशक से लेकर हर हीरो के सिर चढ़कर बोल रहा था। अब हर कोई उनके साथ काम करना चाहता था।

 

अमिताभ बच्चन और परवीन की जोड़ी को लोगों ने किया पसंद

अमिताभ बच्चन के साथ परवीन की जोड़ी को इतना पसंद किया गया कि फिल्ममेकर भी लगभग हर फिल्म में दोनों की जोड़ी को रिपीट करने के सपने देखते रहते। परवीन और अमिताभ ने दर्जनों फिल्मों में साथ काम किया और लगभग सभी फिल्में हिट रहीं। इनमें ‘सुहाग’, ‘मजबूर’, ‘दीवार’, ‘देशप्रेमी’, ‘नमक हलाल’, ‘काला पत्थर’, ‘कालिया’ और ‘अमर अकबर ऐंथनी’ जैसी फिल्में शामिल हैं।

 

1983..में क्यों गायब हो गयी थी परवीन बॉबी 

80 के दशक तक सबकुछ ठीक चल रहा था। लेकिन 1983 में परवीन को न जाने क्या हुआ कि वह किसी को बताए बिना ही फिल्मों और इंडस्ट्री की चकाचौंध से गायब हो गईं। किसी को इस नहीं पता था कि परवीन आखिर अचानक क्यों और कहां चली गईं? उस वक्त कई ऐसी अफवाहें उड़ीं कि हो सकता है परवीन भी अंडरवर्ल्ड के चक्कर में फंस गई हों। वह सालों तक गायब रहीं और उनकी कई फिल्में उनकी अनुपस्थिति में ही रिलीज की गईं।

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बाद में पता चला कि परवीन बॉबी ने 1983 में ही भारत छोड़ दिया और आध्यात्म की तलाश में अपने दोस्तों के साथ अमेरिका चली गईं। उस वक्त परवीन बॉबी का करियर ऊंचाइयों पर था। इस दौरान उन्होंने कई देशों की यात्रा की। 1984 में जब परवीन को न्यू यॉर्क के एक एयरपोर्ट पर रोका गया तो उस वक्त उनका बर्ताव बदला-बदला सा महसूस हुआ। कुछ पहचान पत्र न दिखा पाने की वजह से परवीन बॉबी को कई दिनों तक मानसिक रूप से बीमार लोगों के साथ एक अस्पताल में रखा गया था।

1989 बीमारी  का हुयी शिकार

1989 में परवीन वापस मुंबई आ गईं।

लेकिन तब तक वह पूरी तरह से बदल चुकी थीं।

उनका वजन काफी बढ़ गया था और वह पहले के मुकाबले मोटी भी हो गई थीं।

ऐसा कहा जाता है कि परवीन को सिजोफ्रेनिया था। अब इस मानसिक रोग की शिकार कब और कैसे हुईं,

यह आज तक नहीं मालूम। पर ऐसा कहा जाता है कि दौलत और शोहरत के बावजूद परवीन अंदर से काफी अकेली थीं

और शायद यही उनके मानसिक रोग की वजह बनी।

हालांकि परवीन ने कभी भी इसे स्वीकार नहीं किया

और वह फिल्म इंडस्ट्री पर ही आरोप लगाती रहीं कि उनके साथ इंडस्ट्री से जुड़े लोग षड्यंत्र रचा रहे हैं

और उनकी छवि खराब करने की कोशिश कर रहे हैं।

 

मीडिया से बनाने लगी थी दूरी 

वक्त के साथ परवीन बॉबी की हालत ऐसी हो गई थी कि अगर कोई पत्रकार या मीडियाकर्मी उनका इंटरव्यू लेने जाता

तो वह दूर भागतीं या फिर उनसे अपना खाना और पानी टेस्ट करने के लिए कहतीं।

परवीन के मन में यह शक बैठ गया था कि कोई उन्हें जान से मारना चाहता है।

उन्हें यह तक शक बैठ गया कि उनके मेकअप में भी जहर है और इससे उनकी स्किन छिल जाएगी,

खूबसूरती चली जाएगी।

परवीन के अंदर मारे जाने का डर इस कदर बैठ गया था

कि अपने आखिरी 4 सालों में परवीन बॉबी लगभग हर फोन कॉल को रेकॉर्ड करने लगी थीं।

जो भी उन्हें फोन करता उसे पहले वह बताती हैं कि उसके फोन को सर्विलांस पर रखा गया है।

 

तो ऐसे हुयी परवीन बॉबी की मौत 

परवीन बॉबी की जिंदगी में अब अकेलापन और भी बढ़ता जा रहा था।

फिल्म इंडस्ट्री से उन्होंने खुद को काट लिया था

लेकिन 1973 से 1992 के बीच वह अखबारों से लेकर मैगजीन तक के लिए लिखती रहीं।

मुंबई के अपने घर में वह अकेली रहती थीं। किसी का कोई आना-जाना नहीं था।

जो उनके अपने थे उन्होंने भी परवीन बॉबी से कन्नी काटनी शुरू कर दी।

शायद यही वजह थी कि जब 20 जनवरी 2005 को वह अपने फ्लैट में मृत मिलीं तो किसी को कुछ पता ही नहीं चला।

जिस सोसाइटी में परवीन रहती थीं वहां के सिक्यॉरिटी गार्ड ने जब देखा कि परवीन ने तीन दिनों से घर के बाहर रखा

दूध और अखबार नहीं लिया है,

तो उसने पुलिस को खबर दी।

 

पोस्टमॉर्टम इस बात का हुआ खुलासा तीन दिन से भूखी थी परवीन

मौत कैसे हुई नहीं पता।

पर कहा जाता है कि परवीन को बाएं पैर में गैंगरीन हो गया क्योंकि उन्हें डायबीटीज भी थी।

बेड के पास ही एक वीलचेयर थी। कपड़े, दवाइयां, पेटिंग यानी कमरे का हर सामान तितर-बितर पड़ा था।

हो सकता है कि वह अपने आखिरी दिनों में चलने-फिरने में असमर्थ रही हों और वीलचेयर की जरूरत पड़ी हो।

पोस्टमॉर्टम हुआ तो पता चला कि परवीन ने तीन दिन से कुछ नहीं खाया था। बस शराब पी और दवाइयां खाईं।

परवीन बॉबी सिजोफ्रेनिया से थी ग्रसित

 

महेश भट्ट, जिनके साथ कभी परवीन बॉबी रिलेशनशिप में रही थीं,

उन्होंने एक इंटरव्यू में कहा था कि बात 1979 की है।

जब वह घर आए तो उन्होंने परवीन को एक फिल्म की कॉस्ट्यूम पहने देखा।

वह घर के एक कोने में सिकुड़कर बैठी थीं और हाथ में चाकू था।

महेश भट्ट को देख परवीन ने उन्हें चुप रहने के लिए कहा और बोलीं, ‘बात मत करो।

इस कमरे में कोई है। वे लोग मुझे मारने की कोशिश कर रहे हैं।’

महेश के मुताबिक, यह पहली बार था जब उन्होंने परवीन को ऐसी हालत में देखा था।

धीरे-धीरे यह स्थिति और भी खतरनाक होती चली गई।

बाद में पता चला कि परवीन को सिजोफ्रेनिया है।

 

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