पाकिस्तान में स्कूली किताबाें में लिंग भेद

नए पाठ्यक्रम की किताबों में महिलाओं काे तवज्जाें नहीं, लड़कियाें काे सिर्फ घरेलू काम करते दिखाया गया; महिलाएं बोलीं- समाज को खतरा

पुस्तकों में लिंगभेद दर्शाया गया है और पुरुषों को महिलाओं की अपेक्षा ज्यादा तवज्जो दी गई है।

पाकिस्तान में पिछले महीने ही देशभर में एक राष्ट्रीय पाठ्यक्रम (एसएनसी) लागू किया गया ताकि शिक्षा प्रणाली में किसी भी तरह की असमानता पैदा न हाे। इस पाठ्यक्रम को पाकिस्तान की सत्तारूढ़ पार्टी तहरीक ए इंसाफ ने ‘मील का पत्थर’ बताया था। लेकिन, जैसे ही किताबें बाजार में आईं, लाेगों ने इसकी जमकर आलोचना शुरू कर दी। पुस्तकों में लिंगभेद दर्शाया गया है और पुरुषों को महिलाओं की अपेक्षा ज्यादा तवज्जो दी गई है।

नए पाठ्यक्रम की सभी कक्षाओं की जारी की गई किताबों में लड़कियों को सिर्फ घर के काम करते हुए दिखाया गया है। पांचवीं कक्षा की अंग्रेजी की किताब के कवर पेज पर एक पिता-पुत्र की सोफे पर पढ़ाई करते हुए तस्वीर है, जबकि मां-बेटी नीचे जमीन पर बैठकर पढ़ रही हैं। मां-बेटी ने हिजाब से अपने अपने सिर को भी ढक रखा है।

महिलाएं ओलिंपिक खेल रहीं, फिर इनकी तस्वीरें पुस्तकाें में नहीं- बेला रजा जमील
नए पाठ्यक्रम की पुस्तकों को लेकर महिलाएं काफी गुस्से में हैं। इदारा-ए-तालीम-ओ-आगाही (आईटीए) केंद्र की सीईओ बेला रजा जमील कहती हैं कि ‘पाकिस्तान में लड़कियां और महिलाएं इस समय खेलों में अपना श्रेष्ठ प्रदर्शन दिखा रही हैं। वे ओलिंपिक खेल रही हैं, के 2 जैसे पहाड़ाें पर फतह कर रही हैं, तो किताबों में भी इनकी ताकत क्यों नहीं दिखाई जा रहीं। इससे समाज में दरार पैदा होगी।

उच्च शिक्षा आयाेग के पूर्व चेयरमैन बाेले- उलझकर रह जाएगी शिक्षा प्रणाली
पाकिस्तान के उच्च शिक्षा आयोग के पूर्व अध्यक्ष तारिक बनूरी का कहना है कि नए पाठ्यक्रम में महिलाओं, अल्पसंख्यकों और सांस्कृतिक विविधता की भागीदारी में कमी की वजह से लोगों के बीच दरार पैदा हाेगी और देश की शिक्षा प्रणाली और उलझकर रह जाएगी। समाज दो भागों में बंट जाएगा।

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