नितिन गडकरी ने बताया, कैसे एक जुगाड़ से करोड़ों का मुनाफा.. किसानों की चांदी और पर्यावरण की बल्ले-बल्ले

न्यूज़ नशा के विशेष रोड सेफ्टी इवेंट में केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने बताया कि कैसे भारत में कृषि अपशिष्ट से एविएशन फ्यूल, एथेनॉल और बायो-बिटुमेन तैयार कर किसानों को आत्मनिर्भर बनाया जा रहा है।

भारत में बिटुमेन की मांग और आयात पर निर्भरता

नितिन गडकरी ने बताया कि भारत को हर साल करीब 95 लाख टन बिटुमेन की जरूरत होती है, जिसमें से 50 लाख टन इम्पोर्ट करना पड़ता है, जबकि देश की अपनी रिफाइनरी क्षमता सिर्फ 45-50 लाख टन है। यह आंकड़ा यह दिखाता है कि बिटुमेन जैसे महत्वपूर्ण इंफ्रास्ट्रक्चर संसाधन में भारत काफी हद तक विदेशी स्रोतों पर निर्भर है।

किसानों की पराली से बना एविएशन फ्यूल और बायो-बिटुमेन

गडकरी ने बताया कि इस आयात निर्भरता को खत्म करने और किसानों की आय बढ़ाने के लिए एक क्रांतिकारी कदम उठाया गया है।

“जो किसान पराली जलाते हैं, उसे प्रोसेस कर के पानीपत की इंडियन ऑयल फैक्ट्री में एविएशन फ्यूल बनाया जा रहा है। इसके साथ ही वहां हर दिन 150 टन बायो-बिटुमेन और 1 लाख लीटर एथेनॉल भी तैयार हो रहा है।”

उन्होंने इस प्रक्रिया को “Knowledge to Wealth” और “Waste to Wealth” मॉडल का नाम दिया, जो पर्यावरण संरक्षण और आर्थिक विकास दोनों का उत्कृष्ट उदाहरण है।

बायो-बिटुमेन से बना भारत का पहला हाईटेक रोड

गडकरी ने बताया कि इस बायो-बिटुमेन का उपयोग करके एक नई किस्म की सड़क बनाई गई है, जिसमें 15% यूज़्ड टायर की रबड़ और 7% प्लास्टिक का उपयोग किया गया है।

“हमने जब इस एक किलोमीटर सड़क का टेस्ट किया तो पाया कि यह सड़क पेट्रोलियम बिटुमेन से बनी सड़कों से भी बेहतर है।”

इस प्रयोग से यह स्पष्ट हुआ कि तकनीक और नवाचार से बना यह रोड पर्यावरण के साथ-साथ गुणवत्ता के लिहाज़ से भी अव्वल है।

किसान बन रहे हैं ईंधन, ऊर्जा और हाइड्रोजन दाता

नितिन गडकरी ने जोर देकर कहा कि इस तकनीक से किसान अब केवल अनाज उत्पादक नहीं, बल्कि ईंधन, ऊर्जा, हाइड्रोजन और अब बिटुमेन के भी दाता बन गए हैं। उन्होंने कहा,

“किसानों को अब यह भी समझ में आ रहा है कि उनका कृषि अपशिष्ट देश के इंफ्रास्ट्रक्चर और ऊर्जा क्षेत्र में अहम भूमिका निभा सकता है।”

यह परिवर्तन किसानों के लिए अतिरिक्त आय का स्रोत बनकर उभरा है, साथ ही यह देश की आत्मनिर्भरता के रास्ते को मजबूत करता है।

मंसार बायपास पर बना भारत का पहला बायो-बिटुमेन रोड

नितिन गडकरी ने दिसंबर 2024 में नागपुर के पास मंसार बायपास (NH-44) पर बने भारत के पहले बायो-बिटुमेन रोड का उद्घाटन किया। इस सड़क के निर्माण में कृषि अपशिष्ट का उपयोग कर पर्यावरणीय संरक्षण और ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूत किया गया है।

यह रोड ‘ग्रीन इंफ्रास्ट्रक्चर’ का प्रतीक बनकर देश को आगे ले जा रहा है।

न्यूज़ नशा के ‘यात्रा कवच’ इवेंट में साझा किए गए विचार

गडकरी इन विचारों को न्यूज़ नशा के ‘रोड सेफ्टी और यात्रा कवच’ इवेंट में मुख्य अतिथि के तौर पर साझा कर रहे थे। एंकर विनीता यादव द्वारा पूछे गए एक सवाल के जवाब में उन्होंने यह विस्तार से बताया कि कैसे किसानों के माध्यम से भारत में ऊर्जा क्रांति लाई जा रही है।

ग्रीन भारत की दिशा में किसानों की नई भूमिका

इस पूरे प्रोजेक्ट से यह स्पष्ट होता है कि भारत का किसान अब सिर्फ खेतों तक सीमित नहीं, बल्कि ऊर्जा, पर्यावरण और आधारभूत संरचना निर्माण में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है। गडकरी के नेतृत्व में ‘वेस्ट टू वेल्थ’ की यह अवधारणा न केवल ग्रामीण भारत को सशक्त कर रही है, बल्कि देश को ग्रीन और आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में भी मील का पत्थर साबित हो रही है।

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