सरकार की पहल:बिटकॉइन की ब्लॉक चेन टेक्नोलॉजी से कॉलेज डिग्री, खाद सब्सिडी से वैक्सीन तक देने का खाका है तैयार, नीति आयोग ने ब्लू प्रिंट तैयार किया

नीति आयोग ने इस टेक्नोलॉजी के इस्तेमाल पर विस्तृत स्ट्रैटिजिक डॉक्यूमेंट तैयार किया है।
कई क्षेत्रों में पायलट अध्ययन भी पूरे किए।
बिटकॉइन का नाम आज हर भारतीय ने सुना है… भारतीय इस डिजिटल क्रिप्टो करंसी में 40 अरब डॉलर का निवेश भी कर चुके हैं। जबकि इसकी प्रामाणिकता पर भारत सरकार का तल्ख रुख भी छिपा नहीं है। हालांकि इस क्रिप्टो करंसी का एक दूसरा पहलू भारत सरकार को ज्यादा रुचिकर लग रहा है। दरअसल, बिटकॉइन और इसके जैसी ही दुनिया की 5000 क्रिप्टो करंसी जिस टेक्नोलॉजी पर चल रही हैं, सरकार की रुचि उसमें है।
इस तकनीक को ब्लॉक चेन टेक्नोलॉजी कहते हैं और इसके अभेद्य सुरक्षा तंत्र से भारत ही नहीं, दुनिया की सभी सरकारें वाकिफ हैं। यही फायदा देखते हुए सरकार ने इस टेक्नोलाॅजी का उपयोग उन क्षेत्रों में करने का खाका तैयार किया है, जहां बड़ी संख्या में प्राइवेट, पब्लिक व सरकारी तंत्र की हिस्सेदारी होती है।
भ्रष्टाचार और डेटा से छेड़छाड़ की पूरी आशंका
इस विशाल उपभोक्ता बेस के कारण, सप्लाई चेन की जटिलता और पूरी प्रक्रिया में नौकरशाहों और बिचौलियों की भूमिका के कारण भ्रष्टाचार और डेटा से छेड़छाड़ की पूरी आशंका रहती है। इन क्षेत्रों में ब्लॉक चेन टेक्नोलॉजी के इस्तेमाल से डेटा के इस्तेमाल में पारदर्शिता के साथ ही चेन में मौजूद हर डेटा की प्रामाणिकता सुनिश्चित की जा सकती है।
नीति आयोग ने इस टेक्नोलॉजी के इस्तेमाल पर विस्तृत स्ट्रैटिजिक डॉक्यूमेंट तैयार किया है। सरकार का इरादा खाद सब्सिडी वितरण और वैक्सीनेशन से लेकर विश्वविद्यालयों की डिग्रियों और संपत्ति के रिकॉर्ड तक में इस टेक्नोलाॅजी को लागू करने का है। इस पर पायलट अध्ययन भी किए गए हैं।
जरूरत क्यों है
फर्टिलाइजर्स : खाद की सब्सिडी भारत में 79,996 करोड़ रु तक पहुंच चुकी है। पूरे तंत्र पर सवाल उठते रहते हैं।नकली दवा : विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार हर 10 में से एक दवा नकली होती है। भारत में 3 प्रतिशत फेक दवाएं प्रचलन में हैं।नकली डिग्री: भारत में 7500 से अधिक संगठन नकली रोजगार और शिक्षा प्रमाण पत्र बनाने में संलिप्त हैं। नकली विश्वविद्यालयों की डिग्री देते हैं या असली विश्वविद्यालयों की फर्जी डिग्रियां।वैक्सीन : राष्ट्रीय टीकाकरण प्रोग्राम में अनेक बच्चों का टीका चार्ट ही खो जाता है। 27 हजार कोल्ड चेन में आखिरी पड़ाव तक टीका पहुंचते-पहुंचते अपना प्रभाव खो देता है। इसकी ट्रैकिंग ब्लॉकचेन से आसान हो जाएगी।
ब्लॉक चेन : डेटा से छेड़छाड़ होते ही हर यूजर जान जाता है
सूचना के बड़े ब्लॉक्स को इंटरनेट के जरिये जोड़ते हैं, मगर किसी इंटरमीडियरी या सरकारी तंत्र से जुड़े न होने के कारण इसमें कोई दखल नहीं दे सकता है। बिटकॉइन ने संपत्ति का डेटाबेस तैयार किया जो सिर्फ यूजर्स के बीच शेयर किया गया। सभी लोग पूंजी का आदान-प्रदान कर सकते हैं, मगर कोई छेड़छाड़ नहीं कर सकता। एक स्पेस डालने से भी पूरे डेटा का स्वरूप बदल जाता है और लाखों कंप्यूटरों पर फैला तंत्र उसे खारिज कर देता है। जब भी बदलाव होता तो उस पर टाइम स्टाम्प लग जाती है और पूरे तंत्र को पता होता है।
फायदा क्या है?
किसी सेवा या आपूर्ति से सरोकार रखने वाले सभी पक्ष किसी भी समय, देख पाएंगे कि कोई दवा कहां से चली, कब वेयरहाउस में रही…कौन सी डिग्री किस छात्र की है, किसने जारी किया।
हमारे पास सूचना के बड़े ब्लॉक्स
आधार: दुनिया का सबसे बड़ा 120 करोड़ का बायोमीट्रिक पहचान डेटाबेस जिसमें ढाई करोड़ आथेंटिकेशन रोजाना हो रहे हैं।यूपीआई: अत्याधुनिक डिजिटल पेमेंट सिस्टम जिस पर महीने भर में 1.3 अरब ट्रांजैक्शन की प्रोसेसिंग हो रही।जीएसटीएन: इस पर 40 करोड़ रिटर्न फाइल हो चुके हैं और 80 करोड़ से अधिक इनवाॅयस लोड हो चुके हैं।पीएम-जय : विश्व का सबसे बड़ा हेल्थ केयर सिस्टम, 50 करोड़ लाभार्थियों का डेटा, 11.9 करोड़ ई-कार्ड जारी हो चुके हैं।