अंतरिक्ष में गए ‘शुभांशु शुक्ला’ पर इस बड़े नेता के बेतुके बयान से बवाल ! कहा – “किसी दलित को भेज देते”, सुनिए..

जब भारतीय वायुसेना के ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला ने अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (ISS) से “सारे जहाँ से अच्छा” गाया, तो पूरा देश गर्व से झूम उठा। यह दृश्य सिर्फ वैज्ञानिक प्रगति नहीं, बल्कि राष्ट्रीय भावना का प्रतीक बन गया। लेकिन इस ऐतिहासिक पल को भी राजनीतिक जातिवाद का जहर चखाना पड़ा — और इसके जिम्मेदार बने कांग्रेस नेता डॉ. उदित राज।
उदित राज की टिप्पणी: उपलब्धि पर नहीं, जाति पर ज़ोर!
देशभर में जब इस मिशन की तारीफ हो रही थी, तभी उदित राज ने ट्वीट कर कहा:
“क्या कोई दलित कभी इस मुकाम तक पहुंच पाएगा?”
यह बयान न केवल भारत के अंतरिक्ष अभियान की गरिमा पर बट्टा है, बल्कि यह दर्शाता है कि कुछ राजनेता उपलब्धियों को नहीं, बल्कि जाति को प्राथमिकता देते हैं — और वह भी ऐसे ऐतिहासिक क्षण पर!
शुभांशु शुक्ला की अंतरिक्ष यात्रा: वैज्ञानिक, संवेदनशील और गौरवशाली क्षण
ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला, भारतीय वायुसेना के जांबाज़ पायलट, ने Axiom-4 मिशन के तहत 18 दिन अंतरिक्ष में बिताए। उन्होंने न सिर्फ वैज्ञानिक प्रयोग किए, बल्कि पूरे देश को गर्वित करते हुए राकेश शर्मा की तरह “सारे जहाँ से अच्छा” गीत गाया।
यह पल ऐतिहासिक था — लेकिन कुछ राजनेताओं ने इसे जातिगत राजनीति में तब्दील करने की कोशिश की।
सोशल मीडिया की प्रतिक्रिया: “यह शर्मनाक है”
उदित राज की टिप्पणी के बाद सोशल मीडिया पर लोगों ने उन्हें जमकर घेरा। ट्विटर, फेसबुक, इंस्टाग्राम पर यूज़र्स ने लिखा:
“आपकी सोच बताती है कि आप कितने पीछे हैं।”
“देश जब गर्व कर रहा है, आप जाति गिन रहे हैं।”
“क्या आप चाहते हैं कि हर अंतरिक्ष यात्री पहले जाति बताकर जाए?”
कई लोगों ने कहा कि यह “अब तक की सबसे घटिया राजनीतिक प्रतिक्रिया” थी किसी ऐतिहासिक सफलता पर।
क्या राजनीति अब हर उपलब्धि को बांटेगी?
यह पहला मामला नहीं है जब किसी नेता ने राष्ट्रीय गौरव के क्षण को राजनीतिक चश्मे से देखा हो। लेकिन अंतरिक्ष जैसे क्षेत्र, जो सक्षम व्यक्तित्व, वैज्ञानिक योग्यता और वर्षों की मेहनत पर आधारित होता है, उसे भी जब जाति से तौला जाने लगे — तो यह देश के लिए चिंताजनक है।
ऐसे बयानों को गंभीरता से लेना, देश के विकास को रोकना है
जब पूरा विश्व भारत की अंतरिक्ष उपलब्धियों की सराहना कर रहा हो, और हमारे जवान वैज्ञानिक नई ऊंचाइयों को छू रहे हों — तब ऐसे बयान देश को पीछे ले जाते हैं।
यह वक्त है जब राजनीति को ‘जातिवादी रडार’ से हटकर राष्ट्रवाद, विज्ञान और प्रतिभा की इज्ज़त करनी चाहिए।