भगवान बुद्ध के महापरिनिर्वाण मंदिर आने वाले पहले प्रधानमंत्री होंगे नरेंद्र मोदी, पूजा कर चढ़ाएंगे चीवर

कुशीनगर. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) ऐसे पहले प्रधानमंत्री होंगे जो भगवान बुद्ध (Lord Buddha) के महापरिनिर्वाण स्थल आकर भगवान बुद्ध का दर्शन करेंगे. प्रधानमंत्री मंदिर में भगवान बुद्ध की शयन मुद्रा की प्रतिमा का पूजन अर्चन करने के बाद चीवर चढ़ाएंगे. इसके पहने सन 1956 में भगवान बुद्ध की 2500वीं जयंती पर तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू ने दलाई लामा सहित बौद्ध धर्म को मानने वाले कई देशों के राष्ट्राध्यक्षों को बुलाया था लेकिन खुद नहीं आए थे. नरेंद्र मोदी पहले ऐसे प्रधानमंत्री होंगे जो बौद्ध धर्म में सबसे महत्वपूर्ण स्थान रखने वाले बुद्ध के महापरिनिर्वाण मंदिर आकर पूजा करेंगे. इस दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी मंदिर परिसर इंटरनेशनल बौद्ध भिक्षु सम्मेलन को संबोधित करेंगे.

मंदिर परिसर में ही प्रधानमंत्री 20 बौद्ध भिक्षुओं को चीवर दान भी करेंगे. पहली बार किसी प्रधानमंत्री के भगवान बुद्ध के महापरिनिर्वाण मंदिर आने से बौद्ध भिक्षु उत्साहित हैं. कुशीनगर में भगवान बुद्ध ने अपने भौतिक शरीर का परित्याग किया था. बौद्ध धर्म में इसे महापरिनिर्वाण प्राप्त करना कहा जाता है. इसलिए हर साल एक लाख से अधिक बौद्ध धर्मावलंबी कुशीनगर आते हैं. विश्व के 23 देश बौद्ध धर्म को सबसे अधिक मानते हैं. कुशीनगर स्थित भगवान बुद्ध के महापरिनिर्वाण मंदिर पर हर साल विदेशी राजदूत आते रहते हैं इसलिए भारत और अन्य देशों से रिश्ते सुधारने में भी इस मंदिर का खास योगदान है.

बौद्ध भिक्षु बेसब्री से कर रहे पीएम मोदी का इंतजार
इस स्थल के अंतराष्ट्रीय महत्व को देखते हुए 1956 में प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने भगवान बुद्ध की 2500वीं जयंती पर मंदिर का जीर्णोद्धार कराने के बाद कई विदेशी राष्ट्रध्यक्षों को आमंत्रित किया था. इस कार्यक्रम में धार्मिक गुरु दलाई लामा सहित कई देशों के राष्ट्रध्यक्ष शामिल हुए थे, लेकिन तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू नहीं आए थे. आजाद भारत में नरेंद्र मोदी पहले प्रधानमंत्री होंगे जो पहली बार भगवान बुद्ध के महापरिनिर्वाण मंदिर आकर भगवान बुद्ध का दर्शन पूजन करेंगे. श्रीलंका बौद्ध विहार के संरक्षक नंद रतन भंते का कहना है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का भगवान बुद्ध मंदिर आकर पूजा करना अत्यंत हर्षित करने वाला है. स्वतंत्र भारत के इतिहास में ये पहली बार हो रहा है, इसलिए बौद्ध भिक्षु संघ इस क्षण का बेसब्री से इंतजार कर रहा है.

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