अतिक्रमण के चलते फंस गया अंतिम संस्कार, प्रशासन के हाथ पांव फूले

मध्यप्रदेश के अशोकनगर जिले में शहरी स्तर पर अतिक्रमण हटाकर शासन प्रशासन भले ही अपनी पीठ ठोक रहा हो। लेकिन ग्रामीण स्तर पर हालात बेहद खराब हैं। कई गांवों में अतिक्रमणकारियों ने सार्वजनिक निस्तार की भूमि को भी नही छोड़ा | इस कारण लोगों को भारी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है।
रविवार को ऐसा ही नजारा ब्लॉक के बड़ौरा गांव में देखने को मिला जब एक दिवंगत के अंतिम संस्कार को जगह ही नही मिली। इसके बाद मृतक के परिजन लकड़ी कंडे लेकर मुख्य सड़क पर अंतिम संस्कार करने के लिए पहुच गए। मामले की सूचना जैसे ही प्रशासन को मिली तो राजस्व ओर पुलिस विभाग के अधिकारी मौके पर पहुचे ओर शासकीय जमीन से अतिक्रमण हटाकर दिवंगत का अंतिम संस्कार कराया गया। इस दौरान दो घंटे से भी ज्यादा समय तक अर्थी प्रशासन के पीछे चलती रही।

बता दें की बड़ौरा निवासी 60 वर्षीय भरोसा का रविवार तड़के चार बजे निधन हो गया था। सुबह जरूरी तैयारियों के बाद मृतक के परिजन अंतिम संस्कार के लिए मुक्तिधाम लेकर पहुचे लेकिन वहां का रास्ता ही बंद मिला। इसके बाद परिजनों ने सरसखेड़ी – नईसराय सड़क पर लकड़ी कंडे डालकर चिता सजाने की तैयारी कर दी। मामले की सूचना जैसे ही प्रशासन को मिली तो ईसागढ़ थाने से बड़ी संख्या में पुलिस बल पहुँच गया और मुख्य सड़क पर दिवंगत का अंतिम संस्कार रुकवा दिया। कुछ देर बाद नईसराय नायब तहसीलदार मयंक खेमरिया , आरआई सुरेंद्र यादव भी मौके पर पहुँच गए। उन्होंने गांव का नक्शा देखकर मुक्तिधाम की जगह चिन्हित की। यही नहीं प्रशासनिक अमले ने मौके पर की गई तार फेंसिंग को हटवाकर दिवंगत का अंतिम संस्कार कराया। इस दौरान परिजन अर्थी लेकर अधिकारियों के पीछे घूमते रहे।

मृतक के परिजनों का समाज के लोग पहले ही बहिष्कार कर चुके हैं। दरअसल लगभग एक साल पहले बिसोर गांव में हुए दोहरे हत्याकांड में मृतक का पुत्र बलवीर केवट मुख्य आरोपी है। इस कारण गांव और समाज के लोग ज्यादा वास्ता नहीं रखते। ग्रामीणों ने बताया कि गांव में मृत होने पर उसके परिजन अपनी निजी जगह में अंतिम संस्कार कर देते हैं। लेकिन भरोषा के पास कोई जमीन नही थी। जबकि समाज वालों ने हत्यारे का पिता मानकर अपनी जगह में अंतिम संस्कार नही करने दिया।

इस पुरे मामले की खबर जब पुलिस और प्रशासन को लगी तो आनन फानन में पुलिस ओर प्रशासन का अमला गांव में पहुच गया ओर तुरंत मुक्ति धाम की जमीन पर से अबैध कब्जे को हटाया गया !

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