मुरादाबाद..पूर्व विधायक के साथी उम्रकैदी की जेल में मौत:

20 साल पहले पूर्व सपा विधायक उस्मान के साथ मिलकर की थी हिस्ट्रीशीटर मौअज्जम की हत्या

जेल में मरे मुनाजिर की फाइल फोटो।

मुरादाबाद के बहुचर्चित मौअज्जम हत्याकांड में उम्रकैद की सजा भुगत रहे मुनाजिर (70 साल) की शनिवार को जेल में मौत हो गई। 2001 में सपा के पूर्व विधायक उस्मान उल हक ने मुनाजिर व 4 अन्य लोगों के साथ मिलकर हिस्ट्रीशीटर मौअज्जम को गोलियों से भून दिया था। अदालत ने 2009 में तत्कालीन सपा विधायक उस्मान और उनके 5 साथियों काे इस हत्याकांड में उम्रकैद की सजा सुनाई थी। पूर्व विधायक उस्मान उल हक और मुनाजिर समेत सभी 6 दोषी तभी से जेल में बंद हैं।

तड़के तबियत बिगड़ने पर खुलवाई गई बैरक
जेलर मृत्युंजय कुमार पांडेय ने बताया कि शनिवार तड़के करीब 3:10 बजे मुनाजिर की तबीयत बिगड़ने की सूचना मिली थी। तुरंत बैरक को खुलवाकर उसे जेल हॉस्पिटल ले जाया गया। रात में ही उसे जिला अस्पताल भेजा गया। लेकिन डॉक्टरों ने मुनाजिर को मृत घोषित कर दिया। जेलर ने बताया कि मौत की सही वजह पोस्टमार्टम रिपोर्ट से पता चलेगी। प्रथम दृष्टया मौत की वजह हार्टअटैक मानी जा रही है।

सपा सरकार के समय में में बंद उस्मान की तूती बोलती थी। वह ज्यादातर समय अस्पताल में ही रहते थे। उस्मानुलहक (दाएं)

1994 से है पीपलसाना के दो परिवारों में खूनी अदावत
मुरादाबाद में भोजपुर थाना क्षेत्र का गांव पीपलसाना तीन-तीन विधायक दे चुका है। यहां दो परिवारों में दबदबे की लड़ाई है। एक परिवार पूर्व विधायक रिजवान उल हक का है। जबकि दूसरा हाजी जहांगीर का। 1994 में हाजी जहांगीर पक्ष ने पूर्व विधायक रिजवान उल हक के सगे भाई अजीमुल हक की हत्या कर दी थी। तभी से दोनों पक्षों में खूनी अदावत शुरू हुई। अजीमुल हक की हत्या में हाजी जहांगीर, मौअज्जम, अरशद, बब्बन, मुशर्रफ और जमील के खिलाफ हत्या की FIR हुई थी। इन सभी को 1995 में जिला जज ने उम्र कैद की सजा सुनाई थी।

भाई के बाद पूर्व विधायक रिजवानुल हक की भी मौत
अजीमुलहक की मौत के कुछ समय बाद ही उनके बड़े भाई और विधायक रिजवान उल हक की भी संदिग्ध हालात में मौत हो गई थी। रिजवानुलहक की मौत एक एक्सीडेंट में हुई थी। लेकिन उनका परिवार इसे हत्या की मानता था। इस मामले में भी हाजी जहांगीर, मौअज्जम और उसके पक्ष के 6 लोगों के खिलाफ हत्या की FIR दर्ज कराई गई थी। पुलिस ने तफ्तीश के बाद इस मामले में FR लगा दी थी। पुलिस ने माना था कि रिजवानुलहक की हत्या नहीं हुई थी बल्कि उनकी मौत एक्सीडेंट में ही हुई थी।

जेल जाते हुए उस्मानुल हक- फाइल फोटो। (सर पर गमछा बांधे हुए)(

पिता की मौत का बदला लेने को उस्मान ने की हत्या
पूर्व विधायक रिजवानुल हक के बेटे और समाजवादी पार्टी (SP) के पूर्व विधायक उस्मानुलहक इन दिनों फतेहगढ़ सेंट्रल जेल में बंद हैं। दरअसल पुलिस के FR लगाने के बाद भी उस्मान को यकीन था कि उनके पिता को मौअज्जम और हाजी जहांगीर ने ही मारा है। यही वजह है कि उस्मानुलहक ने बदला लेने की ठान ली।

जमानत पर छूटते ही मारा
अजीमुलहक हत्याकांड में दोषी करार दिए गए हाजी जहांगीर और मौअज्जम आदि ने जब हाईकोर्ट में जमानत के लिए अर्जी डाली तो उस्मान ने विरोध नहीं किया। नतीजतन हाईकोर्ट ने हाजी जहांगीर और मौअज्जम समेत सभी 6 आरोपियों को वर्ष 2000 में जमानत पर जेल से रिहा कर दिया। मौअज्जम के जेल से बाहर आते ही 2001 में उस्मानुल हक ने अपने चाचा और पिता की मौत का बदला लेने के लिए मौअज्जम को सरेआम गोलियों से भून दिया था। इस हत्याकांड में मैनाठेर थाना क्षेत्र के गांव अल्लाहपुर निवासी मुनाजिर, अथहर समेत 5 लोग उस्मान के साथ थे।

मौअज्जम को मारने के बाद विधायक बने थे उस्मान
मौअज्जम की हत्या के बाद उस्मानुलहक, मुनाजिर, अथहर समेत 6 लोगों के खिलाफ हत्या का केस दर्ज हुआ था। मामला कोर्ट में विचाराधीन था। इसी दौरान 2007 में उस्मानुलहक अपने पिता रिजवानुलहक की सीट (मुरादाबाद ग्रामीण) से सपा के टिकट पर विधानसभा चुनाव में उतरे। उस्मान यहां से जीतकर सबसे कम उम्र के विधायक बने थे।

विधायक रहते जेल गए, तभी से जेल में हैं उस्मानुलहक
2009 में सत्र न्यायालय में मौअज्जम हत्याकांड में तत्कालीन सपा विधायक उस्मानुलहक और उनके साथियों मुनाजिर, अथहर समेत 6 लोगों को उम्रकैद की सजा सुनाई थी। उस्मान और उनके साथी तभी से जेल में बंद हैं। उस्मानुलहक को प्रदेश में भाजपा सरकार बनने के बाद मुरादाबाद जिला जेल से फतेहगढ़ सेंट्रल जेल ट्रांसफर कर दिया था। जबकि उनके बाकी साथी मुरादाबाद जेल में ही बंद हैं। इन्हीं में से एक मुनाजिर (70 साल) की शनिवार तड़के जेल में मौत हुई है।

उस्मानुलहक के जेल जाने के बाद चाचा बने थे विधायक
मुरादाबाद ग्रामीण सीट पीपलसाना के हक परिवार की सीट के तौर पर देखी जाती है। रिजवानुलहक के बाद उनके बेटे उस्मानुलहक यहां से विधायक बने थे। उस्मानुलहक के जेल जाने के बाद 2012 में इस सीट पर उस्मान के चाचा शमीमुलहक चुनाव लड़े और जीत दर्ज की। इन दिनों सपा के हाजी इकराम कुरैशी इस सीट से विधायक हैं।

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