यूपी में दिन दहाड़े पूर्व चेयरमैन को मारी गोली; भाजपा समर्थक परिवार पर आरोप, मचा बवाल.. वजह उड़ा देगी होश

उत्तर प्रदेश के अलीगढ़ जिले के मुस्लिम बहुल क्षेत्र पिलखना टाउन एरिया में तीन बार चेयरमैन रहे समाजवादी पार्टी के नेता मो. आरिफ पर जानलेवा हमला हुआ है। घटना ने पूरे जिले में सनसनी फैला दी है। आरिफ पर हमला ऐसे समय में हुआ जब वह बिना सुरक्षा व हथियार के एक दावत में शरीक होने निकले थे। स्थानीय लोगों के मुताबिक, हमलावरों ने पहले से ही इस हमले की दस दिन तक प्लानिंग की थी।

विवाद की जड़: अधूरी सड़क का निर्माण और सीढ़ियों की अड़चन

एसपी देहात अमृत जैन के अनुसार, नगर पंचायत द्वारा एक सड़क का निर्माण कराया जा रहा था, जो लगभग पूरी बन चुकी थी। लेकिन आरोपी पक्ष के घर के सामने करीब 20 मीटर सड़क का टुकड़ा नहीं बन सका क्योंकि उनके मकान की छत, चबूतरा और सीढ़ियां निर्माण में अड़चन बन रहे थे। जब मो. आरिफ ने इस मुद्दे को लेकर आरोपी पक्ष से आपत्ति जताई, तो दोनों पक्षों में करीब 10 दिन पहले तीखी नोकझोंक हुई थी। उस समय आरिफ ने इसे गंभीरता से नहीं लिया, लेकिन अब माना जा रहा है कि उसी खुन्नस में यह हमला अंजाम दिया गया।

राजनीतिक प्रतिद्वंद्विता और चुनावी हार भी विवाद की वजह

2023 में हुए निकाय चुनाव में आरिफ की पत्नी निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में विजयी रहीं, जबकि भाजपा प्रत्याशी जमीला खातून तीसरे स्थान पर रहीं और अपनी जमानत भी नहीं बचा सकीं। हालांकि, जमीला खातून का परिवार भाजपा से जुड़ा रहा और सत्तारूढ़ नेताओं संग दिखने लगा। बताया जा रहा है कि इस परिवार के कुछ सदस्य पेशेवर अपराधियों से भी संबंध रखते हैं, जिन पर हाल ही में पुलिस कार्रवाई हुई थी। स्थानीय लोगों का दावा है कि यह कार्रवाई भी आरिफ के इशारे पर हुई थी। इस वजह से आरिफ और विरोधी पक्ष के बीच तनाव और बढ़ गया था।

हमले के पीछे की पूरी साजिश और मौका तलाशने की रणनीति

हमले से दस दिन पहले ही आरिफ को खुफिया जानकारी मिली थी कि उनके खिलाफ साजिश रची जा रही है। हालांकि उन्होंने इसे गंभीरता से नहीं लिया और सोचा कि कोई इतनी हिम्मत नहीं करेगा। लेकिन जैसे ही वह बगैर हथियार के दावत में गए, हमलावरों ने इस मौके का फायदा उठाया और घात लगाकर हमला कर दिया। आरिफ के पास लाइसेंसी हथियार हैं, लेकिन हमले के समय वह खाली हाथ थे।

भीड़ ने किया हमला रोकने का प्रयास, मेडिकल कॉलेज में जुटे समर्थक

हमले की खबर मिलते ही घटनास्थल पर भारी भीड़ इकट्ठा हो गई। भागते हुए हमलावरों पर लोगों ने ईंट-पत्थर भी फेंके, लेकिन प्राथमिकता घायल आरिफ को मेडिकल सहायता दिलाना बनी। उन्हें तुरंत मेडिकल कॉलेज पहुंचाया गया, जहां सपा जिला महासचिव मनोज यादव, महानगर अध्यक्ष अब्दुल हमीद घोषी, खुसरो खान, आमिर आबिद और जस्सू शेरवानी जैसे कई बड़े नेता पहुंचे। उन्होंने अधिकारियों से बात कर जांच में तेजी लाने की मांग की।

पुलिस की कार्रवाई और आरोपियों की पहचान

एसपी देहात अमृत जैन ने बताया कि इस हमले में जिन लोगों के नाम सामने आए हैं, उनमें भाजपा प्रत्याशी जमीला खातून का बेटा और उसका साला प्रमुख रूप से शामिल हैं। उनकी गिरफ्तारी के लिए विशेष टीमों को लगाया गया है। इसके साथ ही, पुलिस घटनास्थल और भागने के रास्तों के सीसीटीवी फुटेज खंगाल रही है ताकि हमलावरों के मूवमेंट को ट्रैक किया जा सके।

आरिफ का राजनीतिक सफर और जनाधार

मो. आरिफ एक संपन्न परिवार से ताल्लुक रखते हैं। उनके पिता चीफ इंजीनियर के पद से सेवानिवृत्त हुए थे। वर्ष 2012 में उन्होंने अपनी ठेकेदारी छोड़कर राजनीति में कदम रखा और छर्रा विधानसभा से निर्दलीय प्रत्याशी के तौर पर चुनाव लड़ा, जिसमें उन्हें दस हजार वोट मिले। इसके बाद उन्होंने पिलखना नगर पंचायत की चेयरमैनी की ओर रुख किया। वे लगातार तीन बार चेयरमैन बने, जिनमें एक बार खुद, एक बार उनकी मां और तीसरी बार उनकी पत्नी विजयी रहीं। तीनों बार उन्होंने निर्दलीय तौर पर जीत दर्ज की, लेकिन समाजवादी पार्टी से उन्हें बाहरी समर्थन मिला।

 

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