बड़ा फैसला: बदली दशकों पुरानी नीति.. अब होगी जातिगत जनगणना, 2026 तक आएंगे आंकड़े

नरेंद्र मोदी सरकार ने जातिगत जनगणना को लेकर दशकों पुरानी चुप्पी तोड़ते हुए बड़ा फैसला किया है। अब देश में जातिगत आंकड़ों को आधिकारिक रूप से दर्ज किया जाएगा और यह प्रक्रिया आगामी जनगणना के साथ ही की जाएगी। कैबिनेट की बैठक के बाद केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने इसकी घोषणा की। यह कदम सामाजिक न्याय और समावेशी नीतियों की दिशा में मील का पत्थर माना जा रहा है।
जनगणना में पहली बार जातियों की होगी आधिकारिक गिनती
केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने प्रेस ब्रीफिंग में बताया कि जातिगत जनगणना मुख्य जनगणना प्रक्रिया का ही हिस्सा होगी। इसकी शुरुआत सितंबर 2025 से हो सकती है और पूरी प्रक्रिया को पूरा होने में करीब दो साल का समय लगेगा। ऐसे में अंतिम आंकड़े वर्ष 2026 के अंत या 2027 की शुरुआत में सामने आ सकते हैं।
ऐतिहासिक पृष्ठभूमि: आज़ादी के बाद पहली बार होगी जाति आधारित गणना
अश्विनी वैष्णव ने कहा कि 1947 के बाद से अब तक कोई भी जातिगत जनगणना नहीं की गई। 2010 में तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने लोकसभा में इसका प्रस्ताव रखा था, लेकिन कांग्रेस सरकार ने इसे सिर्फ राजनीतिक चाल के रूप में इस्तेमाल किया। एक वास्तविक जनगणना की बजाय केवल खानापूरी के लिए एक सीमित सर्वे कराया गया, जो कभी पूरी तरह से लागू नहीं हो सका।
“सामाजिक ताने-बाने को प्रभावित न हो, यही कोशिश है”
वैष्णव ने यह भी स्पष्ट किया कि सरकार की प्राथमिकता है कि जातिगत आंकड़ों के बावजूद समाज का ताना-बाना प्रभावित न हो। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार इस विषय को केवल राजनीतिक दृष्टिकोण से नहीं, बल्कि सामाजिक संतुलन और नीति निर्माण के मजबूत आधार के रूप में देख रही है।
कोविड के कारण पहले से ही विलंबित है जनगणना
जनगणना सामान्यतः हर 10 वर्ष में होती है, लेकिन कोविड-19 महामारी के कारण 2021 की जनगणना टाल दी गई थी। इस देरी का असर अब चक्र पर पड़ेगा, क्योंकि अगली जनगणना अब 2035 में मानी जा रही है। जातिगत जनगणना के साथ मूल जनगणना होने से यह डेटा और भी अधिक व्यापक होगा।
कैबिनेट के अन्य दो बड़े फैसले
- नॉर्थईस्ट के लिए हाईस्पीड कॉरिडोर: मेघालय के शिलॉन्ग से असम के सिलचर तक 166 किमी का 6 लेन हाईस्पीड कॉरिडोर बनेगा। इस परियोजना पर 22,864 करोड़ रुपये की लागत आएगी और यह नॉर्थईस्ट की कनेक्टिविटी को नया आयाम देगा।
- गन्ने के किसानों को राहत: केंद्र सरकार ने 2025-26 के लिए गन्ने की फेयर एंड रिम्युनरेटिव प्राइस (FRP) 355 रुपये प्रति क्विंटल तय की है। यह न्यूनतम मानक मूल्य होगा और इससे नीचे गन्ने की खरीद नहीं की जा सकेगी।