Shocking: नहाते-नहाते DM ऑफिस के क्लर्क की संदिग्ध मौत! पत्नी की चीख ने तोड़ दिया सबका दिल

मेरठ से एक बेहद दर्दनाक खबर सामने आई है। कलेक्ट्रेट में इंग्लिश रिकॉर्ड कीपर (ERK) के पद पर तैनात 30 वर्षीय ईशांत सिंह की मौत उस समय हो गई जब वह सावन के पहले सोमवार को सुबह नहाने गए थे। जैसे ही उन्होंने अपने ऊपर मग से पानी डाला, उन्हें सीने में तेज दर्द हुआ और वह बाथरूम के फर्श पर गिर पड़े।

बंद दरवाजा तोड़कर निकाला गया, अस्पताल ले जाते वक्त तोड़ा दम

पत्नी प्रेरणा की चीख सुनकर आसपास के लोग पहुंचे और पड़ोसियों की मदद से बाथरूम का दरवाजा तोड़ा गया। ईशांत दर्द से कराह रहे थे और बोले, “मेरे सीने में तेज दर्द हो रहा है।” तुरंत उन्हें पास के मेट्रो हॉस्पिटल ले जाया गया, लेकिन वहां हार्ट स्पेशलिस्ट न होने के कारण सुशीला जसवंतराय अस्पताल ले जाया गया। डॉक्टरों ने ईसीजी करने के बाद उन्हें मृत घोषित कर दिया।

“जिस भगवान ने मिलाया, उसी ने छीन लिया”: पत्नी प्रेरणा का विलाप

पति की मौत से बेसुध पत्नी प्रेरणा का रो-रोकर बुरा हाल है। उन्होंने कहा, “जिस भोलेनाथ ने मुझे ईशांत से मिलवाया, उसी ने सावन सोमवार पर उन्हें मुझसे छीन लिया। अब मैं क्यों जिऊं?” वह बार-बार उस कमरे में जा रही थीं जहां ईशांत की अर्थी रखी गई थी। फर्श को चूमतीं और पूछतीं, “ईशू कहां है?”

एक दिन पहले भी हुआ था सीने में दर्द, डॉक्टर ने बताया मामूली

रविवार रात ईशांत को सीने में हल्का दर्द हुआ था। प्रेरणा उन्हें तुरंत डॉक्टर के पास ले गई थीं। ईसीजी भी कराया गया था, लेकिन डॉक्टर ने मामूली दर्द बताकर दवा दे दी। इसी भरोसे वह सोमवार सुबह नहाने गए, लेकिन यह दिन उनकी जिंदगी का आखिरी दिन बन गया।

22 जुलाई को मनाना था 30वां बर्थडे, 29 जून को मनाई थी एनिवर्सरी

ईशांत की बहन शालिनी ने बताया कि भाई की शादी 29 जून को हुई थी और उन्होंने पांचवीं सालगिरह धूमधाम से मनाई थी। इस बार 22 जुलाई को ईशांत अपना 30वां जन्मदिन मनाने वाले थे और बहन ने उन्हें सरप्राइज देने की योजना बनाई थी। अब यह सपना अधूरा रह गया।

बचपन में ही खो दिए थे माता-पिता, मां की जगह मिली थी नौकरी

ईशांत के परिवार की कहानी पहले से ही संघर्षों से भरी थी। उनके पिता अशोक कुमार सोलानिया की हार्ट अटैक से मौत हो गई थी जब ईशांत 8-10 साल के थे। मां की भी कुछ वर्ष पहले स्वाइन फ्लू से मृत्यु हो गई थी। मृतक आश्रित कोटे के तहत ईशांत को कलेक्ट्रेट में नौकरी मिली थी।

प्रशासन ने दी सांत्वना, पड़ोसियों ने दी मदद

घटना की सूचना मिलने पर डीएम डॉ. वीके सिंह और एसडीएम दीक्षा जोशी ने पीड़ित परिवार को सांत्वना दी। पड़ोसी राहुल राठौर ने बताया, “सुबह चीख सुनकर मैं दौड़ा आया। दरवाजा खोला तो देखा ईशांत बाथरूम में टॉयलेट सीट के पास पड़े थे। यह दृश्य कभी नहीं भूल पाऊंगा।”

सावन का सोमवार बना काली सुबह

जहां सावन सोमवार को महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र के लिए व्रत रखती हैं, वहीं प्रेरणा के लिए यह दिन उसके जीवन की सबसे काली सुबह बन गया। यह घटना न सिर्फ एक परिवार को तोड़ गई, बल्कि यह सवाल भी खड़ा करती है कि समय पर सही इलाज और चिकित्सा विशेषज्ञता क्यों नहीं मिल पाई?

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