डायल 112 के सिपाही की शर्मनाक करतूत.. 16 वर्षीय छात्रा से छेड़छाड़, इज़्ज़त बचाने को दूसरी मंजिल कूदी

उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ से एक बेहद शर्मनाक और दिल दहला देने वाली घटना सामने आई है। सोमवार शाम को डायल 112 में तैनात एक सिपाही, कथित रूप से 16 वर्षीय एक किशोरी से छेड़छाड़ कर रहा था। मानसिक रूप से टूट चुकी किशोरी ने घर की दूसरी मंजिल से कूदकर खुदकुशी की कोशिश की। इस लेख में हम जानेंगे—क्या हुआ, कैसे बिखरी किशोरी की जिंदगी, और अब आगे पुलिस क्या कर रही है।
डायल 112 के सिपाही की शर्मनाक हरकत
स्थानीय निवासी, किशोरी अक्सर अपने पड़ोसी सिपाही, मुकेश यादव के घर जाती थी। आरोप है कि पिछले कुछ दिनों से पड़ोस में रह रहा सिपाही उसके साथ लगातार छेड़छाड़ कर रहा था। विरोध करने पर उसे धमकी भी दे रहा था। इसी उत्पीड़न से तंग आकर किशोरी ने मंगलवार को आत्मघाती कदम उठाया और घर की दूसरी मंजिल से कूद गई।
अस्पताल में हालत और शुरुआती इलाज
जिसके बाद परिवार ने किशोरी को तुरंत राम मनोहर लोहिया अस्पताल (RML) पहुंचाया, जहां उसकी हालत को गंभीर बताया गया। डॉक्टरों के अनुसार, बाल-बाल बची ये किशोरी फिलहाल स्थिर है, लेकिन उसके घायल होने की खबर ने पूरे समाज को झकझोर दिया है।
शिकायत और पुलिस की कार्रवाई
घटना की गंभीरता को देखते हुए, परिवार ने इंस्पेक्टर बी. बी. डी. राम सिंह को तहरीर दी। उसी के आधार पर पुलिस ने डायल 112 के सिपाही मुकेश यादव के खिलाफ मामला दर्ज किया है, और जांच भी शुरू कर दी गई है ।
इस मामले से सोशल मीडिया पर उठे सवाल
यूपी पुलिस, खास तौर पर डायल 112, का रोल ‘रक्षा’ का था। लेकिन इस घटना से सवाल उठते हैं–
- क्या संबंधित अधिकारी की क्रमिक जांच-निगरानी की गयी थी?
- शिकायत दर्ज करने में देरी हुई क्या?
- और सबसे महत्वपूर्ण—क्या महिलाएँ और बच्चियाँ पुलिस से सुरक्षा की तुलना में ज़्यादा डर महसूस कर रही हैं?
अब आगे क्या होने वाला है?
- पुलिस आरोपी सिपाही को हिरासत में लेकर पूछताछ कर रही है।
- मेडिकल रिपोर्ट, सीसीटीवी फुटेज और किशोरी के स्वयं के बयान जांच का हिस्सा बनाए जाएंगे।
- एसपी और ADCP लेवल पर सख्त कार्रवाई और मानसिक रूप से प्रभावित पीड़ित को काउंसलिंग की प्रक्रिया शुरू की गई है।
सुझाव और आगे की दिशा
- डायल 112 जैसी हेल्पलाइन में कार्यरत अधिकारियों की नियमित जांच-सीबीबी होनी चाहिए।
- पीड़ितों को तुरंत साइको-सोशल काउंसलिंग मुहैया कराई जानी चाहिए।
- छेड़छाड़ और उत्पीड़न की त्वरित न्यायिक सुनवाई सुनिश्चित की जानी चाहिए।
- महिलाओं व बच्चों के प्रति पुलिस के रवैये में सुधार हो—विश्वास बहाल करना ही सरकार का प्राथमिक कर्तव्य है।
रक्षक ही बना भक्षक
यह घटना केवल एक किशोरी की जिंदगी को प्रभावित नहीं करती, बल्कि सिस्टम पर डाली गई भरोसे की दीवार को भी झकझोरती है। जब ‘रक्षक’ ही शक की निगाह से देखे जाने लगें, तो सवाल उठते हैं कि आखिर पुलिस का समर्थन तंत्र कहाँ फेल हुआ? अब आरोपी के खिलाफ कठोर सुनवाई और न्याय की उम्मीद है।