लखनऊ से साउथ तक फैला 500 करोड़ का गेम फ्रॉड रैकेट: कैसे 12वीं पास 15 लड़कों ने रचा इतना बड़ा साइबर क्राइम?

लखनऊ में रहकर 12वीं पास 15 युवकों ने साइबर ठगी की दुनिया में ऐसा जाल बिछाया कि दक्षिण भारत के हजारों लोग इसकी चपेट में आ गए। इस गैंग ने ऑनलाइन गेमिंग की लत का फायदा उठाकर करीब 500 करोड़ रुपये की ठगी को अंजाम दिया। इस खुलासे ने पूरे साइबर सिक्योरिटी सिस्टम को हिला कर रख दिया है।

ऑनलाइन गेम में हार की आड़ में की ठगी

ये गैंग ऑनलाइन गेमिंग प्लेटफॉर्म्स के जरिए साउथ इंडियन यूजर्स को निशाना बनाता था। गेमिंग में हारने के बहाने यूजर्स को विश्वास में लेकर उनसे लगातार पैसे ऐंठे जाते थे। गेम हारने पर यूजर को लगता था कि वो खुद ही हारा है, जबकि असल में सारा गेम फिक्स होता था।

लखनऊ से हो रहा था संचालन, पूरा नेटवर्क तकनीकी रूप से प्रशिक्षित

गैंग का संचालन लखनऊ से हो रहा था, जहां से सभी गतिविधियों को मॉनिटर किया जाता था। इन लड़कों ने कुछ आईटी एक्सपर्ट्स की मदद से ऐसे सॉफ्टवेयर और सिस्टम तैयार किए थे जिनके जरिए वे गेम के परिणाम को कंट्रोल कर सकते थे। इससे सामने वाला प्लेयर हारने के लिए मजबूर हो जाता था।

दक्षिण भारत को चुना गया शिकार के तौर पर

गैंग ने खास तौर पर साउथ इंडिया के राज्यों—कर्नाटक, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, तमिलनाडु और केरल—को टारगेट किया। इन राज्यों के हजारों यूजर्स से धीरे-धीरे पैसे वसूले गए। शुरुआती दौर में जीत दिलाकर भरोसा जीता जाता था और फिर गेम में हार करवा कर मोटी रकम ऐंठी जाती थी।

कैसे हुआ खुलासा: बैंक ट्रांजेक्शन से मिला सुराग

500 करोड़ की ठगी के बाद जब कुछ लोगों ने पुलिस में शिकायत की, तब साइबर क्राइम सेल ने जांच शुरू की। बैंक खातों और ऑनलाइन पेमेंट्स की ट्रांजेक्शन डिटेल्स से धीरे-धीरे इस पूरे गैंग का खुलासा हुआ। पुलिस को शक हुआ जब कुछ खातों में करोड़ों की रकम आई, जो 12वीं पास युवकों के नाम पर थी।

गिरफ्त में आए मास्टरमाइंड और अन्य आरोपी

पुलिस ने इस केस में 15 आरोपियों को गिरफ्तार किया है, जिनमें से अधिकांश ने केवल 12वीं तक की पढ़ाई की है। मास्टरमाइंड की पहचान उजागर नहीं की गई है, लेकिन सूत्रों के मुताबिक वह भी एक तकनीकी जानकारी रखने वाला युवक है, जिसने पूरी टीम को ट्रेनिंग दी थी।

पुलिस और साइबर क्राइम सेल की चेतावनी

उत्तर प्रदेश साइबर क्राइम सेल ने जनता से अपील की है कि किसी भी अनजान ऑनलाइन गेमिंग एप्लिकेशन या वेबसाइट पर पैसे न लगाएं। खास तौर पर उन ऐप्स से बचें जो किसी रेगुलेटेड अथॉरिटी से अप्रूव्ड नहीं हैं। साथ ही, ऑनलाइन ट्रांजेक्शन करते समय सतर्क रहें।

सरकार से उठी कड़ी कार्रवाई की मांग

इस खुलासे के बाद सरकार से मांग की जा रही है कि ऑनलाइन गेमिंग और पेमेंट प्लेटफॉर्म्स पर निगरानी को और सख्त किया जाए। साथ ही, युवाओं को जागरूक करने के लिए साइबर सेफ्टी एजुकेशन को स्कूल स्तर पर लागू किया जाए।

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