लखीमपुर खीरी में दो किसानों का अंतिम संस्कार रोका, परिजन मांग रहे पोस्टमार्टम रिपोर्ट

लखीमपुर खीरी बवाल में मारे गए चार किसानों में से दो के परिजनों ने अंतिम संस्कार करने से मना कर दिया है। परिजन पोस्टमार्टम रिपोर्ट देखने के बाद ही अंतिम संस्कार करने को कह रहे हैं। परिजनों का आरोप है कि पोस्टमार्टम रिपोर्ट में ‘खेल’ हो सकता है। यह सूचना मिलते ही लखनऊ रेंज की आईजी लक्ष्मी सिंह धौरहरा के किसान नक्षत्र सिंह के गांव पहुंचीं और परिजनों को अंतिम संस्कार के लिए राजी करने की कोशिश में जुटी हैं। पलिया के लवप्रीत सिंह और धौरहरा में किसान नक्षत्र सिंह का मंगलवार सुबह अंतिम संस्कार होना था। एकाएक परिजनों ने अंतिम संस्कार करने से मना कर दिया। उनका कहना था कि अभी तक पोस्टमार्टम रिपोर्ट क्यों नहीं दी गई। जिले के स्थानीय नेता भी गांव पहुंच गए हैं।

इन चार शर्तों पर बनी थी सहमति :

इससे पहले कल मृतकों के परिजनों को 45-45 लाख रुपये मुआवजा, परिवार के एक-एक सदस्य को योग्यता के अनुसार सरकारी नौकरी, घायलों को 10-10 लाख रुपये मुआवजा, पूरे प्रकरण की जांच हाईकोर्ट के सेवानिवृत्त जज से कराने की सहमति के बाद परिजन अंतिम संस्कार करने को राजी थे। बवाल के बाद भड़के लोगों ने चारों लाशें रविवार को तिकुनिया गांव के बाहर सड़क पर रख दीं थी। नाराज भीड़ ने पुलिस-प्रशासन को दो टूक जवाब दे दिया था कि जब तक उनकी मांग नहीं पूरी होती, शव का अंतिम संस्कार नहीं करेंगे। सोमवार दिनभर गाड़ियों में भरकर भीड़ का रेला वहां आता रहा और लोग चारों शवों के अंतिम दर्शन करते रहे। 24 घंटे से अधिक समय तक शव वहां रखे रहे। आखिर में जब सुलह का रास्ता बना तो किसान नेता राकेश टिकैत के समझाने के बाद लोगों ने शव पुलिस को सौंपा। इसके बाद उनका पोस्टमार्टम हो सका।

तिकुनिया गांव में आगजनी, हिंसा के बाद भड़के लोगों ने कार्रवाई की मांग करते हुए बवाल कर दिया था। लोगों ने दो शव गांव के बाहर सड़क पर रख दिया। कुछ देर बाद अस्पताल से दो अन्य शव लेकर वहां आए और चारों लाशें बर्फ पर रखकर रास्ता बंद कर दिया। किसी भी सूरत में लोग शव पुलिस को सौंपने को तैयार नहीं हो रहे थे। पुलिस प्रशासन ने काफी समझाने की कोशिश की लेकिन रात भर की कवायद फेल हो गई। चारों शवों को कांच के केबिन में रख दिया गया और नीचे बर्फ की सिल्ली बिछा दी गई। पास ही लोगों ने दरी, चादर बिछा दी और बारी-बारी लोग शवों का अंतिम दर्शन करने आने लगे।

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