ट्रेन में इस हाल में मिली 14 साल की लड़की; नाबालिग की आपबीती ने हिला दिया सबको, चार लोगों की साजिश का खुलासा

मध्य प्रदेश में एक पैसेंजर ट्रेन में सफर कर रहे यात्रियों के होश तब उड़ गए जब उन्होंने जनरल कोच में खून से सनी एक 14 वर्षीय नाबालिग लड़की को बेहोश हालत में पाया। लड़की के गले, छाती और हाथों पर धारदार हथियार से किए गए गहरे घाव थे। यह मामला 23 जून को ललितपुर से लापता हुई पूनम पाल से जुड़ा है, जो शुजालपुर में ट्रेन से मिली। पूरा घटनाक्रम अपहरण, शारीरिक हमला और बच्ची की जान बचाने की दिल दहला देने वाली दास्तां बयान करता है।

खून से सने कपड़ों में मिली नाबालिग

इंदौर से जबलपुर जा रही पैसेंजर ट्रेन के जनरल कोच में बच्ची की हालत देखकर यात्रियों ने रेलवे हेल्पलाइन को फोन किया। शुजालपुर स्टेशन पहुंचते ही आरपीएफ और स्थानीय पुलिस ने महिला स्टाफ की मौजूदगी में बच्ची को ट्रेन से उतारा और तत्काल सरकारी अस्पताल में भर्ती कराया गया।

108 एंबुलेंस न आने पर रिक्शे से अस्पताल भेजी गई बच्ची

आरपीएफ ने बताया कि रेलवे स्टेशन पर बच्ची को उतारने के बाद 108 एंबुलेंस को कॉल किया गया, लेकिन देरी की बात कहते हुए उन्होंने समय पर वाहन नहीं भेजा। मजबूरन बच्ची को ऑटोरिक्शा के जरिए अस्पताल ले जाया गया।

चिकित्सा लापरवाही

रात 10 से 12 बजे तक ड्यूटी पर तैनात डॉ. आभा जैन को कई बार कॉल किया गया, लेकिन उन्होंने फोन नहीं उठाया और अस्पताल नहीं पहुंचीं। एंबुलेंस ड्राइवर भी ड्यूटी पर नहीं था। बाद में जब मामला गंभीर हुआ तो इंचार्ज डॉ. शारदा रामसरिया खुद अस्पताल पहुंचीं और स्थिति को संभाला।

‘मुझे बचा लो’ चिल्ला रही थी बच्ची

डॉ. शारदा रामसरिया ने बताया कि लड़की बार-बार होश में आकर ‘मुझे बचा लो’ कह रही थी। मेडिकल परीक्षण में किसी यौन शोषण के स्पष्ट संकेत नहीं मिले, लेकिन शरीर पर कई जगह ब्लेड जैसी चीज से काटे जाने के गहरे घाव मिले। लड़की बुरी तरह डरी और सदमे में थी।

पुलिस सीनियर अफसरों के निर्देश का हवाला देकर चुप

घटना को लेकर आरपीएफ और स्थानीय पुलिस ने मीडिया को कोई अधिकृत बयान देने से इनकार कर दिया। उन्होंने कहा कि मामले की संवेदनशीलता को देखते हुए केवल सीनियर अधिकारी ही जानकारी देंगे।

एक यात्री ने पूछा पिता का नंबर

दतिया के एक यात्री ने बच्ची से उसके पिता का नंबर पूछा और तत्काल आरपीएफ को सूचना दी। जब आरपीएफ ने कॉल किया तो पिता बबलू पाल ने बताया कि उनकी बेटी पूनम पाल 23 जून से लापता है। FIR की कॉपी भी वॉट्सएप पर साझा की।

पिता का आरोप

बबलू पाल ने अपनी FIR में आरोप लगाया कि पूनम को मोहल्ले के ही दो युवक — सोनू यादव और रोहित राजपूत — काफी समय से परेशान कर रहे थे। 23 जून को बेटी इन दोनों के खिलाफ FIR दर्ज कराने थाने गई थी। उसी रात करीब 9:23 बजे उसका आखिरी कॉल आया, जिसमें उसने खुद को रेलवे स्टेशन चौराहा के पास बताया था। इसके बाद से फोन बंद था।

FIR में नामजद आरोपी पहले से हैं अपराधी

बबलू पाल ने जिन दो युवकों पर बेटी को गायब करने का शक जाहिर किया है, उनके खिलाफ पहले से ही कई आपराधिक मामले दर्ज हैं। यह तथ्य मामले को और गंभीर बना देता है।

लड़की का बयान

लड़की ने बयान में बताया कि 8 महीने पहले सोनू और रोहित ने उसके साथ छेड़छाड़ और मारपीट की थी, जिसकी शिकायत उसने 23 जून को पुलिस में की थी। अगली सुबह कोर्ट में बयान दर्ज होने थे। उसी रात जब वह मेडिकल के बाद घर लौट रही थी, तब चार अज्ञात लोगों ने जबरन जीप में बैठाकर उसे कुछ सुंघाकर बेहोश कर दिया।

इंजेक्शन देकर बार-बार बेहोश किया गया

लड़की ने बताया कि दो दिन तक उसे किसी सुनसान जगह पर रखा गया, जहां होश आते ही उसे इंजेक्शन दे दिया जाता था। जब उसे होश आया तो वह भोपाल के रानी कमलापति स्टेशन के पास थी और चारों आरोपी उसे बेचने या मारने की बात कर रहे थे।

किसी तरह भागी, मथुरा होते हुए फिर से इंदौर पहुंची

पूनम ने जैसे-तैसे उन लोगों के चंगुल से भागकर ट्रेन पकड़ी और मथुरा पहुंच गई। वहां दो दिन रुकी, फिर ललितपुर लौटने के लिए ट्रेन में सवार हुई लेकिन नींद लग जाने के कारण इंदौर पहुंच गई। वहां होटल की तलाश कर रही थी कि वही चारों फिर से मिल गए और उसे फिर से बेहोश कर ट्रेन में डाल दिया। उसके शरीर पर जो चोटें थीं, वो ट्रेन में चढ़ने से पहले की थीं।

गरीबी में पली-पोसी लड़की

लड़की पांच भाई-बहनों में चौथे नंबर की है। साल 2014 में उसकी मां का निधन हो गया था। बड़ी दो बहनों की शादी हो चुकी है और भाई मानसिक रूप से कमजोर है। लड़की ही घर की देखभाल करती थी और 8वीं कक्षा के बाद पढ़ाई छोड़ दी थी।

 

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