जानिए क्यों निषाद पार्टी को क्यों नहीं मिलेगी गोरखपुर की ग्रामीण सीट

निषाद पार्टी को बीजेपी नहीं देगी गोरखपुर की ग्रामीण सीट, जानिए खास वजह

लखनऊ: यूपी चुनाव की तारीख सामने आने के बाद पार्टियों के बीच सीट बंटवारे को लेकर मंथन जारी है. ऐसे में भाजपा गोरखपुर की किसी भी विधानसभा सीट को सहयोगी दलों को देने को तैयार नहीं है. पार्टी नेतृत्व का सोचना है कि गोरखपुर की 8 सीटें बीजेपी के बाद के पास हैं. ज्यादातर विधायकों का कामकाज अच्छा है, ऐसे में सीट न देने का नुकसान भी उठाना पड़ सकता है.

विस चुनाव में बीजेपी और निषाद पार्टी के हैं गठबंधन

विधानसभा चुनाव में बीजेपी का निषाद पार्टी से गठबंधन है. निषाद पार्टी ने गोरखपुर ग्रामीण विधानसभा सीट पर दावेदीरी की है. यह सीट अभी भी बीजेपी के पास है. विपिन सिंह विधायक हैं. निषाद पार्टी की इच्छा है कि राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ संजय निषाद के बेटे व प्रदेश प्रभारी सरवन निषाद को गोरखपुर ग्रामीण विधानसभा क्षेत्र से चुनाव लड़ाया जाए.

भाजपा नेतृत्व का मानना है कि डॉ संजय निषाद एमएलसी हैं. ऐसे में उनके बड़े बेटे प्रवीण निषाद संतकबीरनगर से भाजपा से सांसद हैं. वहीं सरवन निषाद को गोरखपुर से चुनाव लड़ाने का संदेश गलत जाएगा. परिवारवाद को बढ़ावा देने का आरोप भी लगेगा. इसी मुद्दे पर सपा, बसपा व कांग्रेस को लगातार घेरा जा रहा है. ऐसा हुआ तो विपक्ष को भी मौका मिलेगा. जिसकी वजह से गोरखपुर ग्रामीण सीट निषाद पार्टी को नहीं दी जा सकती है, हालांकि बातचीत का सिलसिला अभी भी जारी है.

इस जिलों में मिल रही निषाद पार्टी को 15 सीटें

जानकारी के मुताबिक निषाद पार्टी को संतकबीरनगर की मेंहदावल, महराजगंज की नौतनवां, कुशीनगर की तमकुहीराज व आजमगढ़ की अतरौलिया सीट देने पर सहमति जताई जा रही है,लेकिन गोरखपुर को इस सूची से बाहर कर दिया गया है. इस संबंध में निषाद पार्टी के प्रदेश प्रभारी सरवन निषाद का कहना है कि गोरखपुर ग्रामीण सीट पेंडिंग में डाली गई है. बता दें यूपी के अलग-अलग जिलों में निषाद पार्टी को बीजेपी दे रही 15 सीटें मिल रही हैं.

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