जानिए कौन लेगा महाकुंभ मेले की तैयारियों का जायजा

हरिद्वार में शुरू होने वाले महाकुंभ मेले की तैयारियों का जायजा उच्च न्यायालय की एक संयुक्त टीम लेगी और 23 मार्च तक अदालत में रिपोर्ट प्रस्तुत करेगी।
अदालत ने 11 तथा 12 मार्च को होने वाले शाही स्नानों के लिये भी केन्द्र तथा राज्य सरकार की मानक संचालन प्रक्रिया (एसओपी) को लागू करने के निर्देश जारी किये हैं। मुख्य न्यायाधीश आर.एस. चैहान तथा न्यायमूर्ति आलोक कुमार वर्मा की युगलपीठ ने कोविड महामारी को लेकर दायर जनहित याचिकाओं की सुनवाई करते हुए शुक्रवार को ये निर्देश जारी किये। मेला अधिकारी दीपक रावत की ओर से आज अदालत में महाकुंभ की तैयारियों को लेकर विस्तृत रिपोर्ट प्रस्तुत की गयी। श्री रावत तथा शहरी विकास सचिव शैलेष बगौली वीडियो कान्फ्रेंसिंग के माध्यम से अदालत में पेश हुए। इस दौरान
सरकार की ओर से कहा गया कि महाकुंभ को देखते हुए श्रद्धालुओं के लिये पर्याप्त व्यवस्थाएं की गयी हैं। पूरे मेला क्षेत्र को आठ जोन तथा 23 सेक्टरों में बांटा गया है। अनुमान है कि चार शाही स्नानों में प्रतिदिन 50-50 लाख श्रद्धालु तीर्थनगरी हरिद्वार पहुंचेंगे। मेला अधिकारी की ओर से कहा गया कि 553030 श्रद्धालुओं के ठहरने की व्यवस्था की गयी है। 332729 श्रद्धालुओं को 19028 होटलों, धमशालाओं तथा आश्रमों में ठहराया जायेगा, जबकि 220301 श्रद्धालु निजी घरों तथा परिचितों के यहां ठहरेंगे। यही नहीं शपथपत्र में आगे कहा गया है कि श्रद्धालुओं के लिये 11807 शौचालय तथा 670 चेजिंग रूम बनाये जा रहे हैं। इनमें से कुछ तैयार हैं और शेष जल्द तैयार हो जायेंगे।
सरकार की ओर से यह भी कहा गया कि कोरोना महामारी को देखते दो अस्पतालों में कुल 600 बिस्तरों की व्यवस्था की गयी है। इनमें से दूधाधारी बर्फानी आश्रम अस्पताल में 550 बिस्तरों की व्यवस्था की गयी है। इसमें 22 सघन चिकित्सा कक्ष भी हैं, जबकि शेष 50 बिस्तरों की व्यवस्था रामकृष्ण मिशन अस्पताल में की गयी है। दोनों मेला क्षेत्र में मौजूद हैं। इनमें पर्याप्त मात्रा में चिकित्सक तथा अन्य चीजें मौजूद हैं।
सरकार की ओर से यह भी दावा किया गया कि महाकुंभ के लिये उत्तर प्रदेश सरकार, रक्षा मंत्रालय तथा आयुष मंत्रालय की ओर से कुल 459 चिकित्सक तथा 600 नर्स उपलब्ध कराये जा रहे हैं। उप्र सरकार की ओर से सबसे अधिक से 300 चिकित्सक तथा 600 नर्स उपलब्ध कराये जा रहे हैं। यही नहीं मेले में उन्हीं अधिकारियों तथा कर्मचारियोें की तैनाती की जायेगी जिन्हें कोरोना का टीका लगाया गया है और यह प्रक्रिया निरंतर जारी है।
सरकार की ओर से यह भी कहा गया कि डीआरडीओ की ओर से 600 बिस्तरों वाले अस्पताल के निर्माण की पहल की गयी लेकिन फिलहाल इसे स्थगित कर दिया गया है। मेलाधिकारी श्री रावत ने अदालत को यह भी बताया कि 17 स्थायी योजनाओं में से 15 में निर्माण कार्य पूरा कर लिया गया है जबकि शेष दो में अभी काम जारी है।
याचिकाकर्ता सचिदानंद डबराल की ओर से मेले में की जा रही तैयारियों तथा व्यवस्थाओं को लेकर सवाल खड़े किये और अदालत को बताया कि सड़कों तथा घाटों पर निर्माण कार्य अधूरा है। शौचालय तथा चेजिंग रूप अधूरे पड़े हैं। लोग बिना मास्क पहने घूम रहे हैं और उनके खिलाफ कोई कार्यवाही नहीं की जा रही है।
याचिकाकर्ता की ओर से यह भी कहा गया कि 11 तथा 12 मार्च को महाशिवरात्रि तथा सोमवती अमावस्या को लगातार दो स्नान हैं और दोनों में लगभग एक करोड़ श्रद्धालुओं की भीड़ एकत्र होने का अनुमान है। इसके बाद अदालत ने प्रदेश सरकार को निर्देश दिये कि इस मौके के लिये सरकार पर्याप्त व्यवस्था सुनिश्चित करे।
अदालत ने निर्देश दिये कि हरिद्वार के जिला न्यायाधीश की अगुवाई में एक तीन सदस्यीय टीम मेला क्षेत्र में व्यवस्थाओं का जायजा लेगी और 23 मार्च तक अदालत में रिपोर्ट प्रस्तुत करेगी। टीम में प्रदेश सरकार के मुख्य स्थायी अधिवक्ता सीएस रावत व याचिकाकर्ता के अधिवक्ता शिव भट्ट शामिल होंगे। अदालत ने कोरोना महामारी तथा महाकुंभ को लेेकर केन्द्र और राज्य सरकार की ओर से जारी एसओपी को 11 तथा 12 मार्च को होने वाले शाही स्नानों पर भी लागू करने के निर्देश राज्य सरकार को दिये हैं।

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