जानिए 17 अगस्त से शुरू हो रहे मानसून सत्र के लिए सपा-बसपा और कांग्रेस ने क्‍या बनाई रणनीति?

लखनऊ. उत्‍तर प्रदेश विधानसभा (UP Assembly) का मानसून सत्र (UP Monsoon Session) 17 अगस्त से शुरू हो रहा है. फरवरी में हुए पिछले सत्र के मुकाबले इस सत्र के और भी ज्यादा हंगामेदार होने के आसार हैं. कारण यह है कि साल के पहले सत्र और इस मानसून सत्र के बीच बड़े-बड़े घटनाक्रम प्रदेश में हुए हैं. अप्रैल में कोरोना की दूसरी जानलेवा लहर आई तो उसके बाद पंचायत चुनाव का घमासान देखने को मिला. ऐसे में सपा, बसपा और कांग्रेस (SP, BSP And Congress) ने सदन में योगी सरकार को घेरने के लिए तीर-कमान तैयार करना शुरू कर दिया है.

सपा के प्रवक्ता राजेन्द्र चौधरी ने कहा कि मुद्दे तो बहुत हैं, लेकिन कोरोना की दूसरी लहर में सरकार की विफलता और पंचायत चुनाव में धांधली बड़े मुद्दे रहेंगे. दूसरी लहर में सरकार लोगों को जरूरी दवाएं भी मुहैया नहीं करा पाई. इससे बड़ी विफलता किसी सरकार के लिए क्या हो सकती है. इस विफलता के बावजूद राज्य और केन्द्र एक-दूसरे की तारीफ किए जा रहे हैं. उन्‍होंने आगे कहा कि पंचायत चुनाव में जिस तरह से हिंसा हुई और दूसरी राजनीतिक पार्टियों के कार्यकर्ताओं का दमन हुआ, वह लोकतंत्र की हत्या थी.

बसपा का भी सख्‍त रुख
बसपा विधानमंडल दल के नेता शाह आलम गुड्डू जमाली ने कहा कि सदन में वही मुद्दे उठाये जाएंगे जो सरकार की नाकामी रही है. चाहे वो कोविड काल की रही हो या फिर विकास की हो या कानून व्यवस्था की. सरकार एकदम फेल रही है. कोरोना में ऑक्सीजन की कमी से लोगों की मौत हुई है. महंगाई चरम पर है. इसके अलावा अन्‍य मुद्दे मीटिंग में तय किए जाएंगे.

कांग्रेस ने भी बनाई रणनीति
कांग्रेस विधानमंडल दल की नेता आराधना मिश्रा मोना ने भी यही बातें दोहराईं. उन्होंने कहा कि कोरोना की दूसरी लहर में नदियों के किनारे लाशें बिछ गईं. इससे बड़ी सरकार की विफलता क्या हो सकती है. पहली लहर से सरकार ने कोई सबक नहीं लिया. दूसरी ओर पंचायत चुनाव में जो हिंसा और धांधली हुई है, उसे भी सदन में उठाएंगे. प्रियंका गांधी तो लखीमपुर उस महिला से भी मिलने गयी थीं, जिनकी साड़ी खींची गयी थी. इसके अलावा बेरोजगारों पर लाठीचार्ज का भी मुद्दा उठाया जाएगा. इन मुद्दों के अलावा सभी ने किसानों की समस्या, गन्ने का भुगतान, गेहूं की खरीद और रोजगार जैसे मुद्दे को लेकर सदन में सरकार को घेरने की बातें कही हैं. इन विरोधी स्वरों के बीच सरकार की कोशिश रहेगी कि वह कुछ नए कानून बना ले. कुछ कानूनों में संशोधन कर ले और संभव हुआ तो अनुपूरक बजट भी पास करा ले.

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