जानें किसानों की क्या है मांगे, क्या कृषि कानूनों की वापसी से मानेंगे

लखनऊ:बीते एक साल से कृषि बिलों के विरोध के बाद, पीएम नरेंद्र मोदी ने शुक्रवार को तीनों कृषि कानूनों को रद्द करने के निर्णय की घोषणा की है। इसके साथ ही पीएम मोदी ने खेद व्यक्त करते हुए कहा कि किसानों के एक वर्ग को हमारी सरकार कृषि कानूनों के लाभों के बारे में समझाने में सफल नही रही। इस वजह से हमने ऐसा निर्णय लिया है। इस ऐतिहासिक दिन पर, हम एक बार फिर उन प्रदर्शनकारी किसानों की मांगों पर नज़र डालते हैं, जिन्होंने पिछले साल सरकार द्वारा पारित तीन कृषि बिलों का विरोध किया था।

निरस्त करना तीनों कृषि कानूनों को

उत्तर प्रदेश पंजाब, हरियाणा और पश्चिमी के हजारों किसानों ने पिछले साल 26 नवंबर से दिल्ली की कई सीमाओं पर डेरा डाले हुए हैं। वे तीनों कृषि कानूनों को रद्द करने की मांग कर रहे हैं। बता दे ये तीनों कानून मोदी सरकार के दौरान ही संसद में पास कराया गया था।

बिजली की (संशोधन) विधेयक 

किसानों की तीसरी मांग बिजली (संशोधन) विधेयक को वापस लेने की है, क्योंकि उन्हें लगता है कि इससे उन्हें मुफ्त बिजली नहीं मिलेगी।

न्यूनतम समर्थन मूल्य

किसानों की तीसरी मांग उचित मूल्य पर फसलों की खरीद सुनिश्चित करने के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) की गारंटी की है। किसान एमएसपी और पारंपरिक खाद्यान्न खरीद प्रणाली को जारी रखने के लिए एक विधेयक के रूप में लिखित आश्वासन प्राप्त करने की भी मांग कर रहे हैं। किसान संगठन चाहते हैं कि एपीएमसी या मंडी व्यवस्था को सुरक्षित रखा जाए।

पराली जलाने पर लगने वाली सजा को हटाएं

किसान पराली जलाने पर जुर्माने और जेल की सजा खत्म करने की मांग कर रहे  है।

स्वामीनाथन आयोग की रिपोर्ट की भी मांग

किसान साथ ही स्वामीनाथन आयोग द्वारा अनुशंसित एमएसपी की भी मांग कर रहे हैं। स्वामीनाथन आयोग की रिपोर्ट में कहा गया है कि सरकार को उत्पादन की औसत लागत से कम से कम 50 प्रतिशत अधिक एमएसपी बढ़ाना चाहिए। इसे C2+50% सूत्र के रूप में भी जाना जाता है।

 

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