‘यादव’ कथावाचक मामले पर “ब्राह्मण महासभा” ने तोड़ी चुप्पी.. घटना पर दिया ऐसा बयान, फिर गर्माया विवाद.. सुनिए!

उत्तर प्रदेश के इटावा जिले में कथावाचक मुकुटमणि सिंह यादव की जाति को लेकर हुई अपमानजनक घटना के बाद अब ब्राह्मण महासभा ने बड़ा बयान जारी किया है। महासभा ने स्पष्ट कर दिया है कि वासी कथावाचक या मंच पर द्वादश व्रत (व्यास सिंहासन) पर कोई भी व्यक्ति बैठ सकता है, लेकिन केवल “जाति छिपाकर” ऐसा करना स्वीकार्य नहीं होगा। यह वक्तव्य सामाजिक बहस को नए स्वरूप में ले गया है।

ब्राह्मण महासभा का बयान

उनका कहना है कि कोई भी व्यक्ति जो धार्मिक ज्ञान रखता है, वो भागवत कथा कर सकता है। लेकिन अगर कोई अपनी जाति छिपाकर ऐसा करे, तो यह गलत है। महासभा ने कहा कि व्यास पीठ (जहां कथा सुनाई जाती है) पर बैठने के लिए जरूरी है कि व्यक्ति ईमानदारी से अपनी पहचान बताए और धार्मिक नियमों का पालन करे। जाति छिपाना धोखा है।

क्या था पूरा मामला?

गौरतलब है कि कथावाचक मुकुटमणि यादव कानपुर से इटावा आए थे और दादरपुर गांव में कथावाचन कर रहे थे। उन्होंने अपनी जाति यादव लिखी थी, लेकिन कथावाचन के दौरान कुछ ग्रामीणों ने उन्हें कथावाचन जारी रखने से रोका और उनका सिर मुंडवा दिया। इस घटना ने देशभर में जातिगत विभाजन और धार्मिक स्वतंत्रता पर बहस छेड़ दी थी।

सामाजिक प्रतिक्रिया और आगे की दिशा

ब्राह्मण महासभा का स्पष्ट बयान आने के बाद स्थानीय और सामाजिक स्तर पर दो प्रतिक्रियाएं सामने आ रही हैं। एक ओर कुछ लोग समाज में जातिगत भेदभाव को जड़ से खत्म करने की वकालत कर रहे हैं, वहीं दूसरी ओर कुछ लोग कह रहे हैं कि जाति को लेकर ऐसा बर्ताव करना गलत है। हालांकि, कुछ लोग ब्राह्मण महासभा के बयान का समर्थन भी कर रहे हैं।

सरल भाषा में ब्राह्मण महासभा के अनुसार -:

“कोई भी व्यक्ति कथा सुना सकता है, लेकिन ईमानदारी जरूरी है। जाति छिपाकर करना ठीक नहीं।” – यही कहना है ब्राह्मण महासभा का।

 

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