Shocking: 12वीं के छात्र ने माँ को उतारा मौत के घाट, लाश बेड में छिपाई.. छोटे भाई ने सब देखा ! सुनाई वारदात..

कानपुर के रावतपुर ग्रुप कॉलोनी में मंगलवार दोपहर 35 वर्षीय उर्मिला कटियार की हत्या की सनसनीखेज घटना सामने आई। परिवार में भंडाफोड़ तब हुआ जब कम उम्र का बेटा स्कूल से लौटकर घर आया तो कुछ गड़बड़ समझ आया—माँ की लाश चादर के नीचे छिपाई गई थी। शुरुआती जांच में शक उस बड़े बेटे पर गया, जिसे पुलिस ने हिरासत में लेकर जांच शुरू कर दी है। आइए जानते हैं इस मामले की हर महत्वपूर्ण बारीकी।
घटना की शुरुआत – बच्चे की चिंता
घटना का समय: मंगलवार दोपहर, जब 15 वर्षीय छोटा बेटा स्कूल से घर लौटा और मां नहीं पाई।
शुरुआती आशंका: दोनों बेटों में से बड़े बेटे (17 वर्ष) ने बताया कि मां ‘चाचा (मामा) के यहाँ गई हैं और घर की चाभी साथ ले गई हैं’। यह जवाब छोटा बेटे को संदेहजनक लगा। तब उसने पड़ोसियों की मदद ली जिन्हें लगा कुछ गड़बड़ थी।
भयावह खुलासा – ताबड़तोड़ फ़ौरी कार्रवाई
पड़ोसियों ने दरवाजा तोड़कर घर में प्रवेश किया।
चादर खोली गई तो बिस्तर के नीचे मेरी गई माँ की लाश पता चली – मुंह के बल पड़ी हुई, हालत देख हर कोई स्तब्ध रहा ।
जांच में तेजी – पुलिस ने बड़े बेटे को हिरासत में लिया
घटना की सूचना मिलते ही पुलिस मौके पर पहुंची। घायल मां को निजी अस्पताल ले जाया गया, जहां उसे मृत घोषित कर दिया गया ।
घटना का संदेह बड़ा बेटा (क्लास 12 में पढ़ने वाला) पर गया, जिसे पुलिस ने हिरासत में लिया और उसे पूछताछ के लिए ले जाया गया
जिला परिवारिक पृष्ठभूमि
पीड़िता: उर्मिला कटियार, 35 वर्ष, रावतपुर गुप्ता कॉलोनी निवासी
पति: जगदीश, जिनका देहांत 16 वर्ष पहले हो चुका था
परिवार: दो बेटे—17 वर्षीय इण्टरमीडिएट स्टूडेंट व 15 वर्षीय नौवीं कक्षा के छात्र
संभावित कारण व जांच सूत्र
स्थानीय पुलिस ने हत्या को संदिग्ध बताया है।
पीड़िता की बहन गीता का कहना है कि किसी परिचित से अक्सर विवाद रहता था, जो बड़े बेटे को प्रभावित कर सकता है ।
छोटा बेटा कथित तौर पर पूछताछ में बता चुका है कि बड़े बेटे ने माँ के गले में दुपट्टा डालकर गला रेतकर हत्या की
अगली कार्यवाही व कानूनी दृष्टिकोण
पुलिस जनवरी 2025 के ACP रंजीत कुमार (ACP कल्याणपुर) के नेतृत्व में पूरे मामले की गहन जांच कर रही है।
बड़े बेटे से लगातार पूछताछ जारी है, ताकि घटना का स्पष्ट कारण और हत्या का असली चश्मदीद सच सामने आये ।
यह मामला घरेलू प्रारूप की हत्या और परिवार में चल रही अंतर्ग्रथित मानसिक स्थिति की ओर भी संकेत करता है। पुलिस जांच अभी जारी है—जिसमें सभी संभावित छिपे कारकों की निष्पक्ष जाँच होनी जरूरी है।
इस संवेदनशील कांड की निष्पक्ष रिपोर्टिंग, पुलिस व न्यायिक कार्यवाही की पारदर्शिता और समाज में मनोवैज्ञानिक मदद की चुनौती दोनों प्रकाश में आई हैं।