ज्योतिरादित्य सिंधिया बनेंगे बीजेपी के दामाद ?

बीजेपी ने तमाम जगह पर हुए उपचुनावों में शानदार प्रदर्शन करते हुए जीत हासिल की है चाहे वह उत्तर प्रदेश हो गुजरात हो या मध्य प्रदेश। हर जगह पर बीजेपी ने अच्छा प्रदर्शन किया है और ज्यादा से ज्यादा सीटें बीजेपी को ही मिली है। लेकिन सबसे बड़ा टेस्ट मध्यप्रदेश में कांग्रेस का हाथ छोड़ बीजेपी का कमल पकड़ने वाले ज्योतिरादित्य सिंधिया का था। कांग्रेस के बागी नेता ज्योतिरादित्य सिंधिया जब से बीजेपी में गए हैं तब से ही उनको लेकर चर्चाएं जोरों पर हैं और यह उपचुनाव उनके लिए बेहद जरूरी था… इस उपचुनाव ने तय कर दिया है कि ज्योतिरादित्य सिंधिया का दबदबा अब भी मध्य प्रदेश में कायम है।

सबसे पहले आपको बताते हैं कि किस तरीके से बीजेपी ने मध्यप्रदेश में प्रदर्शन किया है। यह उपचुनाव 28 सीटों पर लड़े गए जिसमें से बीजेपी ने 19 सीटों पर कब्जा जमाया तो वही कॉन्ग्रेस जो पहले मध्य प्रदेश में सरकार बना चुकी थी वह सिर्फ 8 सीटों पर ही सिमट गई। यहां सबसे बड़ा रोल ज्योतिरादित्य सिंधिया का रहा क्योंकि जो चुनाव होने थे वह ग्वालियर क्षेत्र में है और यहां पर ज्योतिरादित्य सिंधिया का दबदबा काफी ज्यादा रहता है। ज्योतिरादित्य सिंधिया का यह बड़ा टेस्ट भी था जिसमें उन्होंने शानदार प्रदर्शन करके दिखाया और यहां बीजेपी की भी तारीफ करनी होगी कि उन्होंने ज्योतिरादित्य सिंधिया पर एक बड़ा दाव खेला। बीजेपी ने ज्योतिरादित्य सिंधिया पर पूरा विश्वास किया हालांकि जो बीजेपी के अन्य नेता और कार्यकर्ता थे वह भी बीजेपी के लिए काम कर रहे थे लेकिन यहां सबसे बड़ा रोल ज्योतिरादित्य सिंधिया का ही था। ज्योतिरादित्य सिंधिया को इस चुनाव की पूरी बागडोर संभालने के लिए दी गई थी जिसे उन्होंने अच्छे से भी संभाला…

हालांकि बीजेपी पर इस चुनाव को लेकर काफी दबाव था क्योंकि अगर वह यह चुनाव हार जाते तो इसमें बीजेपी के साथ-साथ ज्योतिरादित्य सिंधिया पर भी काफी दबाव आ जाता। हालांकि की जो तस्वीर रही वह बिल्कुल उलट रही यहां बीजेपी ने एक बड़ी जीत हासिल की है । ज्योतिरादित्य सिंधिया का जो गणित था वह बिल्कुल सटीक बैठा और बीजेपी का जो विश्वास सिंधिया पर था वह भी सही साबित हुआ। ऐसे में यह कहना गलत नहीं होगा कि ज्योतिरादित्य सिंधिया बीजेपी के दामाद की तरह मध्यप्रदेश में रहेंगे। वह मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री तो नहीं होंगे लेकिन वह मुख्यमंत्री से कम भी नहीं होंगे। वहीं पर राहुल गांधी भी ज्योतिरादित्य सिंधिया को जरूर याद कर रहे होंगे और उनको यह भी गम होगा कि उन्होंने ज्योतिरादित्य सिंधिया जैसे नेता को खो दिया । गम इस बात का भी होगा कि जो कार्डर पहले कांग्रेस के साथ खड़ा होता था वह काडर आज ज्योतिरादित्य सिंधिया के साथ है। लेकिन ज्योतिरादित्य सिंधिया ने यह बता दिया कि वह काडर वोट कांग्रेस का नहीं बल्कि वह उनका खुद का वोट बैंक था…

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