“धर्म और शराब एक.. 2 पेग लगाओ और..” जावेद अख्तर के इस बयान से मचा बवाल, जानिए क्या बोले ?

जाने-माने गीतकार और पटकथा लेखक जावेद अख्तर ने एक बार फिर अपने बेबाक बयानों से सुर्खियां बटोरी हैं। हाल ही में उन्होंने एक बयान दिया है जिसमें उन्होंने धर्म की तुलना शराब से करते हुए कहा कि जैसे शराब की ओवरडोज नुकसानदायक होती है, वैसे ही धर्म की भी अधिकता घातक हो सकती है। उनका यह बयान सोशल मीडिया पर चर्चा का विषय बन गया है और इससे एक नई बहस छिड़ गई है।

शराब और धर्म की तुलना पर जावेद अख्तर का तर्क

जावेद अख्तर का मानना है कि यदि कोई व्यक्ति सोने से पहले दो पैग शराब पीता है, तो वह नुकसान नहीं करेगी। लेकिन यदि शराब पीने की कोई सीमा तय न की जाए और इसका अत्यधिक सेवन किया जाए, तो यह जानलेवा हो सकता है। इसी संदर्भ में उन्होंने कहा कि धर्म की भी यही स्थिति है – यदि इसका संतुलित रूप में पालन किया जाए तो यह फायदेमंद है, लेकिन यदि इसे ‘ओवरडोज’ के रूप में लिया जाए तो समाज और व्यक्ति दोनों के लिए घातक सिद्ध हो सकता है।

धर्म की भूमिका पर सवाल

जावेद अख्तर पहले भी धर्म, कट्टरता और सामाजिक मुद्दों पर अपने खुलकर विचार रखते आए हैं। उन्होंने इस बार भी सवाल उठाया है कि जब धर्म का उद्देश्य इंसान को बेहतर बनाना है, तो फिर धर्म के नाम पर नफरत, हिंसा और अलगाव क्यों फैलाया जाता है? उन्होंने यह भी कहा कि जिस प्रकार कोई भी नशा सीमित मात्रा में ही ठीक होता है, उसी प्रकार धर्म को भी जीवन का संतुलित हिस्सा बनाकर रखना चाहिए, न कि उसे अपनी सोच पर हावी होने देना चाहिए।

सोशल मीडिया पर प्रतिक्रिया

जावेद अख्तर के इस बयान पर सोशल मीडिया दो धड़ों में बंट गया है। एक वर्ग उनके साहस की सराहना कर रहा है और उन्हें एक विचारशील बुद्धिजीवी मान रहा है, जबकि दूसरा वर्ग उनकी आलोचना कर रहा है और उनके विचारों को धर्म का अपमान बता रहा है। कुछ यूजर्स ने उनके इस बयान को ‘विवाद पैदा करने वाला’ कहा है, वहीं कुछ ने इसे ‘सच बोलने की हिम्मत’ करार दिया है।

पहले भी दे चुके हैं विवादास्पद बयान

यह पहली बार नहीं है जब जावेद अख्तर ने धर्म या सामाजिक मुद्दों पर तीखी टिप्पणी की हो। इससे पहले भी वे अपने विचारों को लेकर विवादों में रह चुके हैं। उन्होंने कई बार कट्टरपंथ, सांप्रदायिकता और धर्म के राजनीतिक उपयोग की आलोचना की है। उनके विचार अक्सर प्रगतिशील माने जाते हैं लेकिन कई बार यह समाज के रूढ़िवादी तबकों को चुभते भी हैं।

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