“जाट सबसे बड़ा क्षत्रिय.. फिर यादव.. फिर गुर्जर”, इस नेता के बयान से भाजपा-कांग्रेस दोनों आगबबूला

राजस्थान की राजनीति में जातीय समीकरणों को लेकर एक बार फिर विवाद खड़ा हो गया है। राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी (RLP) के सांसद हनुमान बेनीवाल के हालिया बयान ने जाट और राजपूत समुदायों के बीच तनाव को और बढ़ा दिया है। उनके इस बयान से राजपूत समाज में गहरा आक्रोश व्याप्त है, जिससे राज्य की राजनीति में नई उथल-पुथल देखने को मिल रही है।
हनुमान बेनीवाल का विवादित बयान
एक सभा को संबोधित करते हुए सांसद हनुमान बेनीवाल ने कहा, “इस देश में तुम अकेले क्षत्रिय नहीं हो, यह गलतफहमी निकाल दो। हिन्दुस्तान के अंदर जाट सबसे बड़ा क्षत्रिय है। यादव क्षत्रिय है, फिर गुर्जर क्षत्रिय हैं। इसके बाद और भी बहुत सी जातियां क्षत्रिय हैं। पटेल हैं, पाटिल हैं, मराठे हैं। उसके बाद तुम्हारा नंबर आता है।”
उन्होंने आगे कहा, “तुम्हारे अंदर इतना ही दम है तो बात करो मोदी से कि हटा दें इतिहास। अकबर को अलग बना दो किसी दूसरे का नाम तीसरा रख दो। किताबें चालू करो। इतिहास मिट जाएगा अपने आप। मैंने तो अभी तक कुछ कहा भी नहीं। लेकिन मुझे इतना तंग ना करो कि मुझे किताब लेकर बैठना पड़ जाए।”
राजपूत समाज की तीखी प्रतिक्रिया
बेनीवाल के इस बयान पर राजपूत समाज ने तीखी प्रतिक्रिया दी है। मारवाड़ राजपूत सभा भवन के सचिव केवी सिंह चांदरख ने कहा, “वे राजनीति में पिछड़ रहे हैं, इसलिए इस तरह की बयानबाजी कर रहे हैं। अब वह समय नहीं रहा जब दो जातियों को आपस में लड़ाकर राजनीतिक लाभ उठाया जा सके।”
विधायक रविंद्र सिंह भाटी ने भी बेनीवाल के बयान की निंदा करते हुए कहा, “राजस्थान की धरती वीरों की है और ऐसे शब्द इस धरती के गौरव का अपमान हैं। जनता ने पहले भी ऐसे नेताओं को जवाब दिया है और आगे भी देगी।”
करणी सेना की चेतावनी
क्षत्रिय करणी सेना के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ. राज शेखावत ने बेनीवाल के बयान को “अशिष्ट और अपमानजनक” करार देते हुए कहा, “संवैधानिक पद पर रहते हुए भी बेनीवाल ने सभी मर्यादाएं पार कर दी हैं। उन्होंने हमारे इतिहास और महिलाओं का अपमान किया है।”
बेनीवाल की सफाई
मामले को लेकर जब लाइव हिंदुस्तान ने सांसद हनुमान बेनीवाल से बात की तो उन्होंने बताया, “क्षत्रिय कोई एक समाज के लिए नहीं है जो लड़ा है वो क्षत्रिय है, क्षत्रिय कोई शब्द नहीं है वर्ण है। मैंने किसी एक समाज को टारगेट करते हुए कोई बात नहीं कही है।”
राजनीतिक विश्लेषण
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि बेनीवाल का यह बयान आगामी चुनावों में जातीय ध्रुवीकरण की कोशिश हो सकती है। राजस्थान की राजनीति में जाट और राजपूत दोनों ही प्रभावशाली समुदाय हैं, और ऐसे बयान से राजनीतिक समीकरणों में बदलाव आ सकता है।