पूर्व चुनाव आयुक्त को भीड़ ने पीटा.. अंडे मारे.. फिर लुंगी में ही जूतों की माला पहनाकर घुमाया, देखें Video

बांग्लादेश के पूर्व मुख्य चुनाव आयुक्त (CEC) केएम नूरुल हुडा के घर के बाहर एक भीड़ ने हिंसक रूप से हमला किया, जिसमें उन्हें जूतों और अंडों से प्रत्यर्पित किया गया। पुलिस हिरासत में उन्हें बचाने के प्रयास के दौरान यह घटना सामने आई। इस हमले ने देश में कानून व्यवस्था, राजनीतिक तनाव और भीड़ न्याय को लेकर कई सवाल खड़े कर दिए हैं।

घटना की रूपरेखा

रविवार शाम (22 जून 2025) को बांग्लादेश की राजधानी ढाका के उत्तारा (Sector‑5) में हुडा के निवास पर एक आक्रोशित भीड़ ने हमला किया। वायरल वीडियो में देखा गया कि हुडा को जूतों से थूक और मारा गया, अंडे फेंके गए, और उन पर गंदे स्लोगन भी चलाई गईं। बाद में पुलिस ने उन्हें सुरक्षा की खातिर हिरासत में ले लिया।

आदेश और गिरफ्तारी का मामला

उक्त दिन बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी (BNP) ने नूरुल हुडा समेत अन्य पूर्व CEC और नेता‑शेख हसीना के खिलाफ चुनावी अनियमितताओं की जांच हेतु मामला दर्ज किया था । उत्तारा वेस्ट पुलिस ने शाम लगभग 7:30 बजे हुडा को गिरफ्तार किया और बाद में उन्हें डिटेक्टिव ब्रांच (DB) को सौंपा गया ।

वीडियो में क्या दिखा?

वीडियो में हुडा सफेद टी‑शर्ट और लुंगी में दिखाई देते हैं। भीड़ उन्हें जूतों से मारती है और उनकी गर्दन में जूते पहनाकर गली लगाते हुए स्लोगन देती है — “जूता मारो” जैसे नारे—इसी दौरान पुलिस उन्हें खींचकर वहां से ले जाती है ।

https://twitter.com/I61683/status/1937028881812504952

सरकार की चेतावनी और कानूनी रुख

बांग्लादेश की अंतरिम सरकार ने इस घटना पर रिपोर्ट जारी कर कहा कि भीड़ द्वारा हमला कानून की अवहेलना है और ऐसे व्यक्तिगत उत्पीड़न की कड़ी निंदा की जाती है। सरकार ने सभी नागरिकों से संयम बरतने की अपील की और कहा कि दोषियों के खिलाफ क़ानूनी कार्रवाई की जाएगी ।

पहले भी उठे चुनावी विवाद

केएम नूरुल हुडा 2017 से 2022 तक CEC रहे और उनके कार्यकाल में आयोजित 2018 का चुनाव विवादित रहा था। विपक्ष और संगठन ट्रांसपेरेंसी इंटरनेशनल ने चुनाव में मतदाता बॉक्स-स्टफिंग और अन्य गड़बड़ियों का आरोप लगाया था।

राजनीतिक पृष्ठभूमि और अस्थिरता

पिछले साल अगस्त में सत्ता परिवर्तन के बाद ढाका में सार्वजनिक तौर पर कई नेताओं और संस्थानों पर भीड़ द्वारा हमले की घटनाएँ हो चुकी हैं। सत्ताहारी शासन के खिलाफ उभरे आंदोलनों के बीच सार्वजनिक हिंसा बढ़ी है । इससे लोकतंत्र और शासन की प्रक्रिया पर सवाल उठ रहे हैं।

लोकतंत्र बनाम भीड़

पूर्व CEC नूरुल हुडा पर हमले ने बांग्लादेश में कानून व्यवस्था की स्थिति और भीड़ न्याय की प्रवृत्ति पर गहरा प्रभाव डाला है। इस घटना से यह भी स्पष्ट होता है कि राजनीतिक तनाव तब हिंसा की ओर ले जा सकता है अगर सरकार और अधिकारियों ने शीघ्र नियंत्रण न किया।

 

 

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