PM Modi आज करेंगे जिस Chenab Bridge का उद्धघाटन.. उसकी खूबियां जानकर रह जाएंगे दंग

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आज चिनाब नदी पर बने दुनिया के सबसे ऊंचे रेलवे पुल का उद्घाटन करने जा रहे हैं। यह पुल न केवल कश्मीर घाटी को देश के बाकी हिस्सों से जोड़ेगा, बल्कि यह भारत की इंजीनियरिंग क्षमता का एक ऐतिहासिक प्रतीक भी बन गया है। एफिल टावर से 35 मीटर ऊंचा यह ब्रिज आधुनिक भारत की ताकत और तकनीक का सजीव उदाहरण है।
चिनाब ब्रिज की खासियतें: जानिए 10 बड़ी बातें
1️⃣ 1500 करोड़ रुपये की लागत
चिनाब ब्रिज को बनाने में लगभग 1500 करोड़ रुपये खर्च हुए हैं। इसके निर्माण में विदेशी तकनीक और अत्याधुनिक मशीनों का उपयोग किया गया है। ब्रिज की मजबूती के लिए कैंटिलीवर और इंक्रीमेंटल लॉन्चिंग तकनीक अपनाई गई है।
2️⃣ हाई ग्रेड स्टील का इस्तेमाल
इस पुल में करीब 30,000 मीट्रिक टन हाई ग्रेड स्टील का उपयोग किया गया है। यह स्टील न सिर्फ मजबूत है बल्कि हवा, बारिश और तापमान में बदलाव को भी सहन कर सकता है। इससे ब्रिज को लंबी उम्र मिलती है।
3️⃣ 120 साल तक टिकाऊ डिजाइन
चिनाब ब्रिज को इस तरह डिजाइन किया गया है कि यह 120 साल तक बिना किसी बड़े नुकसान के खड़ा रह सके। इसे 8 रिक्टर स्केल तक के भूकंप और 260 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से चलने वाली हवाओं को भी झेलने लायक बनाया गया है।
4️⃣ कटरा से श्रीनगर अब सिर्फ 3 घंटे
इस ब्रिज के शुरू होते ही कटरा से श्रीनगर की दूरी सिर्फ 3 घंटे में तय की जा सकेगी। रेलवे के मुताबिक, वंदे भारत एक्सप्रेस इस रूट पर चलेगी, जिसकी टिकट मात्र ₹700 के आसपास होगी। यह सफर कश्मीर की खूबसूरत वादियों के बीच से गुजरता है।
5️⃣ सेना के लिए भी वरदान
यह पुल सामरिक दृष्टि से भी बेहद अहम है। अब सेना सीमावर्ती इलाकों तक तेजी से पहुंच सकेगी। हथियार, राशन, मेडिकल सप्लाई जैसे जरूरी संसाधन अब कम समय में और किफायती तरीके से पहुंचाए जा सकेंगे।
6️⃣ दुनिया का सबसे ऊंचा ब्रिज
359 मीटर की ऊंचाई और 1.3 किलोमीटर की लंबाई वाला यह ब्रिज अब दुनिया का सबसे ऊंचा रेलवे पुल बन गया है। इसकी ऊंचाई एफिल टावर से भी 35 मीटर ज्यादा है।
निर्माण की जटिलता और चुनौतियां
7️⃣ 2003 में रखी गई थी नींव
इस पुल की नींव साल 2003 में तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने रखी थी। करीब 22 सालों में यह सपना साकार हुआ है।
8️⃣ 2008 में निर्माण रोकना पड़ा
2008 में सुरक्षा कारणों से इस पुल का निर्माण कार्य रोकना पड़ा था। कई तकनीकी चिंताओं और पर्यावरणीय अनुमतियों के चलते इसे थोड़े समय के लिए रोका गया था।
9️⃣ 2010 में फिर से शुरू हुआ काम
इसके बाद 2010 में नए सिरे से पुल निर्माण को मंजूरी मिली और सुरक्षा के साथ इसकी मजबूती पर विशेष ध्यान दिया गया। निर्माण को लेकर उच्चतम मानकों का पालन किया गया।
🔟 ISRO और DRDO की भूमिका
इस प्रोजेक्ट में सिर्फ रेलवे नहीं बल्कि भारत की वैज्ञानिक एजेंसियां भी शामिल रहीं। ISRO ने सैटेलाइट से ब्रिज की मैपिंग और स्थिरता की जांच की, जबकि DRDO ने इसकी ब्लास्ट रेजिस्टेंस क्षमता का परीक्षण किया।
भारत के लिए गौरव का क्षण
आज जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इस पुल का उद्घाटन करेंगे, तो यह न केवल जम्मू-कश्मीर के लिए, बल्कि पूरे देश के लिए गर्व और गौरव का क्षण होगा। यह परियोजना दिखाती है कि भारत अब किसी भी तरह की इंजीनियरिंग चुनौती को पार कर सकता है।
इंजीनियरिंग का चमत्कार
चिनाब ब्रिज न केवल एक इंजीनियरिंग का चमत्कार है, बल्कि यह देश की एकता, विकास और कश्मीर को मुख्यधारा से जोड़ने का प्रतीक भी है। आने वाले वर्षों में यह पुल कश्मीर की सामाजिक और आर्थिक प्रगति का मजबूत आधार बनेगा।