क्या मीडिया हुई है ‘फॉग ऑफ वॉर’ का शिकार? जानिए आखिर क्या है टीवी पर आ रही खबरों की सच्चाई ?

भारत और पाकिस्तान के बीच बढ़ते सैन्य तनाव के चलते, ‘फॉग ऑफ वॉर’—यानी युद्ध की धुंध—की अवधारणा एक बार फिर प्रासंगिक हो गई है। इस स्थिति में, सूचना का अभाव, अफवाहों का प्रसार और मीडिया की भूमिका युद्ध की वास्तविकता को धुंधला कर देती है, जिससे नीति-निर्माण और जनमत प्रभावित होते हैं।
‘फॉग ऑफ वॉर’ क्या है?
‘फॉग ऑफ वॉर’ एक सैन्य अवधारणा है, जो युद्ध के दौरान उत्पन्न होने वाली अनिश्चितता, भ्रम और सूचना की कमी को दर्शाती है। इस स्थिति में, युद्ध क्षेत्र में घट रही घटनाओं पर एक धुंध सी छा जाती है। मौके पर यह कह पाना मुश्किल होता है कि असल में हुआ क्या है ? ऐसे में निर्णय लेने वाले नेताओं और नागरिकों को सही जानकारी प्राप्त नहीं होती, जिससे गलत निर्णय लिए जा सकते हैं।
वर्तमान भारत-पाकिस्तान तनाव में ‘फॉग ऑफ वॉर’ की भूमिका
22 अप्रैल 2025 को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद, भारत ने ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के तहत पाकिस्तान में आतंकी ठिकानों पर हवाई हमले किए। इसके जवाब में, पाकिस्तान ने ड्रोन हमलों और हवाई हमलों का दावा किया। दोनों पक्षों ने एक-दूसरे के विमानों को मार गिराने के दावे किए, लेकिन स्वतंत्र स्रोतों से इन दावों की पुष्टि कठिन रही।
सोशल मीडिया और गलत सूचना का प्रसार
इस संघर्ष के दौरान, सोशल मीडिया पर गलत सूचनाओं और अफवाहों का प्रसार तेज़ी से हुआ। भारत सरकार ने 8,000 से अधिक सोशल मीडिया खातों को ब्लॉक किया, जिनमें पाकिस्तानी राजनेता, मीडिया आउटलेट्स और अन्य प्रमुख हस्तियां शामिल थीं। इस कदम का उद्देश्य ‘उकसाने वाली’ सामग्री को रोकना था, लेकिन इससे सूचना की पारदर्शिता पर प्रश्न उठे।
मीडिया की भूमिका और युद्धोन्माद
भारतीय और पाकिस्तानी मीडिया दोनों पर युद्धोन्माद को बढ़ावा देने के आरोप लगे हैं। 2019 के पुलवामा हमले के बाद भी, मीडिया द्वारा बिना पुष्टि के समाचारों का प्रसारण देखा गया था, जिससे जनमत प्रभावित हुआ था।
नागरिकों की सुरक्षा और सरकार की तैयारी
भारत सरकार ने ‘ऑपरेशन अभ्यास’ के तहत नागरिक सुरक्षा अभ्यास शुरू किए, जिसमें एयर रेड सायरन, ब्लैकआउट सिमुलेशन और आपातकालीन प्रतिक्रिया प्रशिक्षण शामिल थे। यह कदम नागरिकों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए उठाया गया था, लेकिन इससे यह भी संकेत मिला कि सरकार संभावित युद्ध की तैयारी कर रही है।
‘फॉग ऑफ वॉर’ से निपटने की आवश्यकता
‘फॉग ऑफ वॉर’ की स्थिति में, सरकारों, मीडिया और नागरिकों की जिम्मेदारी है कि वे सत्यापनित जानकारी पर भरोसा करें और अफवाहों से बचें। सूचना की पारदर्शिता, मीडिया की जिम्मेदारी और नागरिकों की सतर्कता ही इस धुंध को दूर कर सकती है और शांति की दिशा में कदम बढ़ा सकती है।