ओमिक्रॉन के बढ़ते मामलों से दुनियाभर में लॉकडाउन की संभावना बढ़ी, कई देशों में सख्त नियम लागू

लंदन: यूरोप (Europe) समेत दुनिया के अन्य देशों में ओमिक्रॉन वेरिएंट (Omicron) के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं. इस बीच क्रिसमस (Christmas) से पहले यूरोप समेत अन्य देश संक्रमण के मामलों की रोकथाम के लिए नए नियमों को लागू करने पर विचार कर रहे हैं. यूरोप में ओमिक्रॉन इंफेक्शन के केस जबरदस्त तरीके से बढ़े हैं. यूरोप के अलावा अमेरिका और एशिया में जापान में भी हालात खराब हैं. न्यूजीलैंड कोविड-19 रिस्पॉन्स मिनिस्टर क्रिस हिपकिन्स ने कहा कि, न्यूजीलैंड में दुनिया के सबसे सख्त कोविड-19 (Covid-19) नियमों को लागू किया गया है. वहीं अन्य देशों के साथ अपनी सीमाओं को खुलने के फैसले पर फरवरी के आखिरी तक रोक लगा दी है.

अमेरिका में दर्ज हुए संक्रमण के नए मामलों में 73 फीसदी केस ओमिक्रॉन वेरिएंट से जुड़े हैं. अमेरिका में इस वेरिएंट से पहली मौत दर्ज की गई है. साउथ कोरिया, नीदरलैंड्स, जर्मनी, आयरलैंड समेत अन्य देशों ने आंशिक लॉकडाउन या संपूर्ण लॉकडाउन या सोशल डिस्टेंसिंग से जुड़े नियमों को लागू किया है. थाईलैंड में मंगलवार से विदेशों से आने वाले नागरिकों के लिए क्वारंटीन में रहना अनिवार्य कर दिया गया है.

ब्रिटेन में लागू हो सकते हैं सख्त नियम

ब्रिटेन, जर्मनी और पुर्तगाल कोविड-19 से जुड़े नियमों पर विचार कर रहे हैं. ब्रिटेन के वित्त मंत्री ऋषि सुनक इस बारे में पर्यटन और होटल व्यवसायी से जुड़े लोगों से बात करेंगे. क्योंकि इन लोगों ने ओमिक्रॉन के बढ़ते खतरे के बीच अपने बिजनेस को लेकर सरकार से अधिक सहायता देने की मांग की है. ब्रिटेन के प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन ने सोमवार को कहा कि वह ओमिक्रॉन वेरिएंट के बढ़ते संक्रमण की रोकथाम के लिए कुछ उपायों पर विचार कर रहे थे.

ब्रिटेन के कैबिनेट ऑफिस मिनिस्टर स्टीव बर्कले ने क्रिसमस से पहले लागू किए जाने वाले कोविड-19 नियमों से जुड़े सवाल पर बीबीसी रेडियो से मंगलवार को कहा कि, हमने कुछ उपायों के बारे में सोच रखा है लेकिन हम डाटा देख रहे हैं और उसके आधार पर ही कोई फैसला लेंगे.

बता दें कि कोरोना वायरस के ओमिक्रॉन वेरिएंट के बढ़ते संक्रमण और उससे जुड़े खतरों के कारण दुनियाभर के शेयर बाजारों में गिरावट देखने को मिली है. दरअसल निवेशकों को डर है कि ओमिक्रॉन के कारण लॉकडाउन जैसे सख्त नियमों को लागू करने की वजह से अर्थव्यवस्था पर इसका बुरा असर पड़ सकता है.

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