युद्ध के बीच पाकिस्तान को 1.3 अरब डॉलर का फंड, भारत पर नहीं था ‘न’ करने का ऑप्शन.. रहा अनुपस्थित!

9 मई को वॉशिंगटन में हुई अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) बोर्ड की अहम बैठक में भारत ने पाकिस्तान को प्रस्तावित 1.3 अरब डॉलर के बेलआउट पैकेज पर गंभीर आपत्ति जताई। भारत ने इस ऋण योजना के विरोध में वोटिंग से दूरी बना ली, जो कूटनीतिक रूप से एक स्पष्ट संदेश माना जा रहा है। भारत ने पाकिस्तान के वित्तीय अनुशासन और IMF फंड के दुरुपयोग पर चिंता व्यक्त की।
भारत ने अनुपस्थिति को चुना
भारत सरकार के सूत्रों के अनुसार, IMF की प्रक्रिया में ‘ना’ में वोट देने का विकल्प नहीं होता। सदस्य देश या तो समर्थन करते हैं या अनुपस्थित रहते हैं। भारत ने अपनी असहमति जताने के लिए जानबूझकर वोटिंग में भाग नहीं लिया और यह अनुपस्थिति विरोध का ही संकेत थी। यह भारत की एक सशक्त कूटनीतिक रणनीति थी जो अंतरराष्ट्रीय मंच पर पाकिस्तान की आर्थिक जिम्मेदारियों पर सवाल उठाती है।
भारत की तीन बड़ी आपत्तियां
भारत ने IMF बोर्ड में पाकिस्तान को ऋण देने के विरोध में तीन ठोस तर्क प्रस्तुत किए:
- IMF सहायता की विफलता का इतिहास: भारत ने बताया कि पाकिस्तान ने पिछले 35 वर्षों में 28 बार IMF से सहायता ली, जिनमें से केवल पिछले 5 वर्षों में ही 4 कार्यक्रम शामिल हैं। इसके बावजूद देश की अर्थव्यवस्था में कोई ठोस या स्थायी सुधार नहीं हुआ है।
- पाकिस्तानी सेना का आर्थिक नियंत्रण: भारत ने जोर देकर कहा कि पाकिस्तान में सेना का आर्थिक व्यवस्था पर प्रभाव पारदर्शिता और लोकतंत्र के लिए खतरा है। इस वजह से किसी भी आर्थिक सहायता का इस्तेमाल नागरिक हितों के बजाय सैन्य उद्देश्यों के लिए हो सकता है।
- सीमा पार आतंकवाद की फंडिंग: भारत ने सख्त लहजे में कहा कि एक ऐसा देश जो लगातार सीमा पार आतंकवाद को समर्थन देता है, उसे IMF जैसी वैश्विक संस्थाओं से फंड देना अंतरराष्ट्रीय नियमों और मूल्यों का उल्लंघन है। यह वैश्विक सुरक्षा और स्थिरता के लिए बड़ा खतरा है।
भारत ने दी चेतावनी: फंडिंग का हो सकता है दुरुपयोग
भारत ने IMF बोर्ड को आगाह किया कि पाकिस्तान को दिए गए फंड का दुरुपयोग आतंकवादी नेटवर्क को मजबूत करने और सैन्य उद्देश्यों में किया जा सकता है। यह न केवल दक्षिण एशिया की शांति के लिए खतरा है, बल्कि वैश्विक स्थिरता पर भी गंभीर प्रभाव डाल सकता है। भारत की आपत्ति को IMF बोर्ड ने औपचारिक रूप से रिकॉर्ड किया है।
क्या है आगे का रास्ता? भारत का कूटनीतिक संदेश साफ
भारत के इस रुख से स्पष्ट हो गया है कि वह केवल सैन्य मोर्चे पर ही नहीं, बल्कि आर्थिक और कूटनीतिक मंचों पर भी पाकिस्तान की गतिविधियों का जवाब देने के लिए सक्रिय है। IMF जैसी संस्थाओं से पाकिस्तान को फंडिंग देना भारत के लिए सिर्फ आर्थिक मुद्दा नहीं, बल्कि क्षेत्रीय सुरक्षा और आतंकवाद से जुड़ा एक गंभीर विषय बन चुका है।