पिता बनाना चाहते थे पहलवान लेकिन कैसे मुलायम सिंह यादव बन गए देश के नेता जी?

पिता का सपना था कि बेटा पहलवान बने। लेकिन, उन्हें क्या पता था कि उसी अखड़े से बेटे को जिंदगी का मकसद मिल जाएगा

पिता का सपना था कि बेटा पहलवान बने। लेकिन, उन्हें क्या पता था कि उसी अखड़े से बेटे को जिंदगी का मकसद मिल जाएगा। मकसद लोगों की सेवा का, मकसद राजनीति का। पहलवानी के दौरान ही मुलायम ने अपने राजनीतिक गुरु नत्थूसिंह को मैनपुरी में आयोजित एक कुश्ती-प्रतियोगिता में प्रभावित कर लिया। यहीं से उनका राजनीतिक सफर भी शुरू हो गया।

यूपी के पूर्व मुख्यमंत्री और समाजवादी पार्टी के संरक्षक मुलायम सिंह यादव का 82 साल की उम्र में निधन हो गया। मुलायम लंबे समय से बीमार चल रहे थे और उन्हें गुरुग्राम के मेदांता अस्पताल में भर्ती कराया गया था। देश के बड़े राजनीतिक परिवार की शुरुआत करने वाले मुलायम सिंह यादव का जन्म 22 नवंबर 1939 को इटावा जिले के सैफई में हुआ था। पढ़ाई-लिखाई इटावा, फतेहाबाद और आगरा में हुई। पढ़ाई पूरी करने के बाद मैनपुरी के करहल स्थित जैन इंटर कॉलेज में प्राध्यापक भी रहे।

 

पिता का सपना था कि बेटा पहलवान बने। लेकिन, उन्हें क्या पता था कि उसी अखड़े से बेटे को जिंदगी का मकसद मिल जाएगा। मकसद लोगों की सेवा का, मकसद राजनीति का। पहलवानी के दौरान ही मुलायम ने अपने राजनीतिक गुरु नत्थूसिंह को मैनपुरी में आयोजित एक कुश्ती-प्रतियोगिता में प्रभावित कर लिया। यहीं से उनका राजनीतिक सफर भी शुरू हो गया।

महज 28 साल की उम्र में पहली बार बने थे विधायक

नत्थूसिंह के परंपरागत विधान सभा क्षेत्र जसवंतनगर से ही मुलायम सिंह यादव ने अपने राजनीतिक सफर की शुरुआत की। राम मनोहर लोहिया और राज नरायण जैसे समाजवादी विचारधारा के नेताओं की छत्रछाया में राजनीति का ककहरा सीखने वाले मुलायम 1967 में महज 28 साल की उम्र में पहली बार विधायक बन गए। जबकि उनके परिवार का कोई सियासी पृष्ठभूमि नहीं थी।

1977 में पहली बार मंत्री बने मुलायम

मुलायम संयुक्त सोशलिस्ट पार्टी के टिकट पर जसवंतनगर सीट से पहली बार विधानसभा पहुंचे। मुलायम महज दो साल विधायक रह सके। 1969 में फिर से विधानसभा चुनाव हुए। इस चुनाव में मुलायम कांग्रेस उम्मीदवार से हार का सामना करना पड़ा। 1974 में हुए विधानसभा चुनाव में मुलायम जसवंतनगर सीट से दूसरी बार जीते। 1977 में तीसरी बार विधानसभा पहुंचे। कांग्रेस विरोधी लहर में राज्य में जनता पार्टी की सरकार बनी और मुलायम पहली बार मंत्री बनाए गए।

50 साल की उम्र में पहली बार बने उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री

1989 में राज्य में हुए विधानसभा चुनाव में जनता दल सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी। उत्तर प्रदेश विधानसभा की 425 सीटों में से 208 सीटों पर जनता दल को जीत मिली। कांग्रेस 94 सीटों पर सिमट गई। मुलायम राज्य के मुख्यमंत्री बने। उस चुनाव के बाद देश में जनता दल की सरकार बनी थी। वीपी सिंह प्रधानमंत्री बने थे। नवंबर 1990 में केंद्र में वीपी सिंह की सरकार गिर गई तो मुलायम सिंह चंद्रशेखर की जनता दल (समाजवादी) में शामिल हो गए और कांग्रेस के समर्थन से सीएम की कुर्सी बचाए रखी। अप्रैल 1991 में कांग्रेस ने समर्थन वापस ले लिया तो मुलायम सिंह की सरकार गिर गई। 1991 में यूपी में मध्यावधि चुनाव हुए जिसमें मुलायम सिंह की पार्टी हार गई और भाजपा सूबे में सत्ता में आई।

25 साल में बदलीं छह पार्टियां, फिर बनाई खुद की पार्टी

मुलायम सिंह यादव 1967 में पहली बार संयुक्त सोशलिस्ट पार्टी के टिकट पर जीते थे। 1969 के विधानसभा चुनाव में भी मुलायम संयुक्त सोशलिस्ट पार्टी के उम्मीदवार थे। हालांकि, उन्हें हार का सामना करना पड़ा था। 1974 के विधानसभा चुनाव में मुलायम भारतीय क्रांति दल के टिकट पर दूसरी बार विधायक बने। 1977 के विधानसभा चुनाव में जनता पार्टी से विधायक बने। इस जीत के साथ ही पहली बार मंत्री भी बने।

 

1980 के विधानसभा चुनाव में मुलायम को दूसरी बार बार का सामना करना पड़ा था इस चुनाव में मुलायम चौधरी चरण सिंह की जनता पार्टी सेक्युलर के टिकट पर चुनाव लड़े थे। 1985 के विधानसभा चुनाव में चरण सिंह की पार्टी लोकदल के टिकट पर तो 1989 में वीपी सिंह के जनता दल के टिकट पर मुलायम सिंह यादव विधानसभा पहुंचे।

 

1990 में केंद्र में वीपी सिंह की सरकार गिर गई तो मुलायम सिंह चंद्रशेखर की जनता दल (समाजवादी) में शामिल हो गए।अप्रैल 1991 में कांग्रेस ने समर्थन वापस ले लिया तो मुलायम सिंह की सरकार गिर गई। 1991 में यूपी में मध्यावधि चुनाव हुए जिसमें मुलायम सिंह जनता पार्टी के टिकट पर चुनाव लड़े। एक साल बाद 1992 में मुलायम ने समाजवादी पार्टी का गठन किया।

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