हिमाचल में पारित हुआ धर्म परिवर्तन कानून, झाँसेबाजों की आएगी शामत

हिमाचल प्रदेश में ज़बरन धर्म परिवर्तन को लेकर सदन में धर्म की स्वतंत्रता विधेयक-2019 को पारित कर दिया गया। शुक्रवार को इस विधेयक को सीएम जयराम ठाकुर (CM Jai Ram Thakur) ने सदन के पटल पर रखा था। विपक्ष के अथक विरोध के बाद इस विधेयक को पारित कर दिया गया। इससे प्रदेश में ज़बरन धर्म परिवर्तन की क्रिया पर रोक लगेगी।

नए कानून के प्रावधानों के मुताबिक हिमाचल में छल-कपट, बल के दम पर, झांसा देकर, प्रलोभन या किसी अन्य तरीके से धर्मांतरण करने पर रोक रहेगी और साथ ही सजा का प्रावधान किया गया है। ऐसा करने पर आरोपी को तीन माह से पांच साल की सजा का प्रावधान होगा। जानकारी के अनुसार, किसी नाबालिग बच्चे, महिला, अनुसूचित जाति या जनजाति के लोगों का जबरन धर्म परिवर्तन करवाने पर अधिकतम सात साल की कैद होगी। नए कानून के तहत सरकार ने प्रलोभन, जालसाजी या जबरन किया गया धर्म परिवर्तन गैर जमानती अपराध माना है। बिल की धारा-3 में प्रावधान है कि कोई भी व्यक्ति प्रत्यक्ष या अन्य तरह से किसी व्यक्ति को मिथ्या निरूपण, बलपूर्वक, असम्यक असर, प्रलोभन देकर या किसी अन्य कपटपूर्ण तरीके से एक धर्म से दूसरे धर्म में बदलने का प्रयास नहीं कर सकता। और न किसी को धर्म परिवर्तन के लिए उकसा या षड्यंत्र कर सकता है। इसके साथ ही प्रावधान है कि अगर कोई व्यक्ति अपने मूल धर्म में वापस आता है तो उसे धर्म परिवर्तन नहीं माना जाएगा। हिमाचल सरकार ने इस विधेयक की बेहतरी के लिए उत्तराखंड के विधेयक से भी कुछ अंश जोड़े हैं।

पहले डीसी को पुष्टि

धर्म परिवर्तन के नए क़ानून को लेकर हिमाचल के कानून मंत्री सुरेश भारद्वाज(Suresh Bhardwaj) ने कहा है कि ऐसा नहीं है कि हिमाचल में अब कोई भी धर्म परिवर्तन नहीं कर सकता। लोगों को धर्म बदलने की आजादी है, लेकिन कोई भी जबरन, झांसा और छल कपट से किसी का धर्म परिवर्तन नहीं करवा पाएगा। इसलिए इस कानून को सख्त किया जा रहा है। गौरतलब है कि पूर्व वीरभद्र सरकार ने भी धर्मांतरण को रोकने के लिए विधानसभा में कानून बनाया था मगर हिमाचल प्रदेश धर्म की स्वतंत्रता अधिनियम 2006 में कई खामियां थी। नए कानून के तहत अब किसी को भी धर्मांतरण के लिए एक महीना पहले डीसी को सूचना देनी होगी। इस सूचना के साथ उसे पुष्टि करनी होगी कि वह स्वेच्छा से धर्म बदल रहा है। इसके बाद डीसी संबंधित पुलिस या अन्य एजेंसी द्वारा इसकी पुष्टि के लिए तफ्तीश करवाई जाएगी। ऐसी ही एक पुष्टि धर्मांतरण करवाने वाले धर्म पुजारी को भी करनी होगी।

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