‘हेमा मालिनी’ के खिलाफ हुईं यह BJP महिला नेता, खून से लिखा CM और PM को पत्र.. बांके बिहारी से जुड़ा मामला

मथुरा में प्रस्तावित बांके बिहारी कॉरिडोर और मंदिर के लिए न्यास गठन को लेकर विरोध लगातार तेज़ होता जा रहा है। मंदिर के गोस्वामी परिवार, स्थानीय व्यापारी और महिलाएं एकजुट होकर इसका विरोध कर रहे हैं। इस आंदोलन की आग अब राजनीतिक गलियारों तक पहुंच चुकी है, जहां खुद भाजपा की पूर्व जिलाध्यक्ष मधु शर्मा ने हेमा मालिनी को आड़े हाथों लिया है।

“हेमा मालिनी पर धिक्कार है” – भाजपा नेता मधु शर्मा का बयान

भाजपा की पूर्व जिलाध्यक्ष मधु शर्मा ने सांसद हेमा मालिनी की चुप्पी पर तीखी प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने कहा, “ऐसी महिला सांसद पर धिक्कार है, जो महिलाओं की पीड़ा को नहीं समझ पा रही हैं।” उन्होंने आरोप लगाया कि हेमा मालिनी वृंदावन की आत्मा से जुड़ी जनता की भावनाओं को नजरअंदाज कर रही हैं और केंद्र की योजनाओं के पक्ष में खड़ी हैं।

प्रदर्शन में महिलाओं की चेतावनी- “प्राण भी न्यौछावर करेंगे”

प्रदर्शन कर रहीं महिलाओं ने सरकार को साफ संदेश देते हुए कहा कि वे किसी भी कीमत पर कॉरिडोर और न्यास निर्माण नहीं होने देंगी। उन्होंने कहा, “अगर जरूरत पड़ी, तो हम अपने प्राण भी न्यौछावर कर देंगे, लेकिन अपने ठाकुर जी और वृंदावन को नहीं छोड़ेंगे।”

नारेबाजी और जनाक्रोश: “कॉरिडोर बहाना है, मंदिर का पैसा खाना है”

विरोध प्रदर्शन के दौरान स्थानीय लोगों और भक्तों ने प्रशासन के खिलाफ जमकर नारेबाजी की। नारों में कहा गया –
“कॉरिडोर हाय-हाय,”
“मंदिर का पैसा खाना है, कॉरिडोर बहाना है,”
“प्रशासन तेरी तानाशाही नहीं चलेगी,”
“कॉरिडोर बनाने वालों का नाश हो।”
इन नारों से साफ है कि जनता के मन में आक्रोश लगातार बढ़ता जा रहा है।

CM और PM को महिलाओं ने खून से लिखा पत्र

18 जून को विरोध कर रहीं महिलाओं ने एक असाधारण कदम उठाते हुए मुख्यमंत्री और प्रधानमंत्री को अपने खून से पत्र लिखा। पत्र में उन्होंने कहा कि, “कॉरिडोर और न्यास की कोई आवश्यकता नहीं है। अगर आज हम खून से पत्र लिख सकते हैं, तो आगे और भी बहुत कुछ कर सकते हैं।” उन्होंने सरकार से स्पष्ट रूप से कहा कि उन्हें न मुआवजा चाहिए, न ही किसी अन्य स्थान पर जाने का विकल्प स्वीकार है।

500 करोड़ की लागत से बन रहा कॉरिडोर

सरकारी जानकारी के अनुसार, बांके बिहारी मंदिर कॉरिडोर के लिए 500 करोड़ रुपए खर्च किए जाएंगे, जिसमें भूमि अधिग्रहण की प्रक्रिया मुख्य है। मंदिर के खजाने में लगभग 450 करोड़ रुपए पहले से हैं, और इसी राशि से जमीन खरीदी जाएगी। जिन लोगों की दुकानें और मकान इस परियोजना की जद में आएंगे, उन्हें मुआवजा दिए जाने का प्रावधान भी है।

स्थानीय लोगों का आरोप

विरोध करने वालों का मानना है कि यह परियोजना वृंदावन के धार्मिक स्वरूप और पारंपरिक जीवनशैली को नष्ट कर देगी। उन्होंने साफ कहा कि, “वृंदावन का विनाश करने के लिए कोई भी समझौता मंज़ूर नहीं है। सरकार हमारे ठाकुर जी को हमसे छीन रही है।”

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