हाथरस मामलाः पीड़ित परिवार और गवाहों को सीआरपीएफ सुरक्षा, सीबीआई जांच की निगरानी करेगा हाईकोर्ट

नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने हाथरस मामले की सीबीआई जांच की निगरानी इलाहाबाद हाईकोर्ट को करने का आदेश दिया है। चीफ जस्टिस एसए बोब्डे की अध्यक्षता वाली बेंच ने कहा कि ट्रायल यूपी से दिल्ली ट्रांसफर करने पर बाद में विचार किया जाएगा। कोर्ट ने कहा कि जांच पूरी होने के बाद ट्रायल को ट्रांसफर करने पर विचार किया जाएगा, अभी नहीं। कोर्ट ने पिछले 15 अक्टूबर को फैसला सुरक्षित रख लिया था।
कोर्ट ने हाथरस केस में पीड़ित परिवार और गवाहों को एक हफ्ते के अंदर सीआरपीएफ की सुरक्षा मुहैया कराने का निर्देश दिया। कोर्ट ने कहा कि हम यूपी सरकार की सुरक्षा से संतुष्ट हैं। हम उस पर कोई सवाल नहीं उठा रहे हैं परन्तु विश्वास बहाली के लिए किसी भी आशंका या अवधारणा को दूर करने के लिए सुरक्षा का जिम्मा सीआरपीएफ को दे रहे हैं।
सुनवाई के दौरान यूपी सरकार की ओर से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा था कि कोर्ट ने परिवार की सुरक्षा और वकील की उपलब्धता पर विस्तार से जानकारी देते हुए हलफनामा दाखिल किया है। परिवार ने बताया कि उन्होंने सीमा कुशवाहा को वकील नियुक्त किया है। उत्तर प्रदेश सरकार ने कहा था कि पीड़ित परिवार को सुरक्षा मुहैया करा दी गई है। घर में सीसीटीवी भी लगा दिए गए हैं।
यूपी के डीजीपी की तरफ से वरिष्ठ वकील हरीश साल्वे ने कहा था कि पीड़ित परिवार को सीआरपीएफ की सुरक्षा की मांग की गई है। हम पीड़ित की सुरक्षा को इसके लिए भी तैयार हैं लेकिन कृपया इसे यूपी पुलिस पर नकारात्मक टिप्पणी की तरह न लिया जाए। चीफ जस्टिस ने कहा था कि हमने यूपी पुलिस पर कोई नकारात्मक टिप्पणी नहीं की है।
यूपी सरकार ने हलफनामा दायर कर कहा था कि पीड़ित परिवार को पर्याप्त सुरक्षा दी जा रही है। पीड़ित के गांव और घर के बाहर बड़ी संख्या में सुरक्षाकर्मी तैनात किए गए हैं। यूपी सरकार ने कहा था कि पीड़ित के परिवार के हर सदस्य को निजी सुरक्षकर्मी दिए गए हैं। घर के आसपास 8 सीसीटीवी लगाए गए हैं। यूपी सरकार ने कहा था कि सुप्रीम कोर्ट जांच की निगरानी करे।
याचिका सामाजिक कार्यकर्ता सत्यमा दुबे, विकास ठाकरे, रुद्र प्रताप यादव और सौरभ यादव ने दायर की थी। याचिका में कहा गया है कि यूपी में मामले की जांच और ट्रायल निष्पक्ष नहीं हो सकती है। याचिकाकर्ताओं की ओर से वकील संजीव मल्होत्रा ने कहा था कि पुलिस का यह बयान कि परिवार की इच्छा के मुताबिक शव का दाह-संस्कार किया गया है, झूठा है, क्योंकि पुलिसकर्मियों ने खुद ही शव का अंतिम संस्कार कर दिया। याचिका में इस मामले की निष्पक्ष जांच के लिए सीबीआई या सुप्रीम कोर्ट या हाईकोर्ट के एक वर्तमान या रिटायर्ड जज की निगरानी में एसआईटी बनाने का निर्देश देने की मांग की गई है। याचिका में इस मामले का ट्रायल उत्तर प्रदेश से दिल्ली ट्रांसफर करने की मांग की गई थी।

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