गुजरात की युवा नहीं देगी मोदी को वोट?

आगामी 2022 गुजरात विधानसभा चुनावों की तैयारी जोरों शोरों से चल रही है , जहां वर्तमान सत्ताधारी पार्टी गुजरात में फिर से वापसी करने की तैयारी में जुटी है तो वहीं दूस

आगामी 2022 गुजरात विधानसभा चुनावों की तैयारी जोरों शोरों से चल रही है , जहां वर्तमान सत्ताधारी पार्टी गुजरात में फिर से वापसी करने की तैयारी में जुटी है तो वहीं दूसरी तरफ विपक्षी सभी दले गुजरात में बीजेपी की सीटें काटने की तैयारी में जुटी हुई है, इसी बीच जब बीते दिनों गुजरात के मोरबी भी केवल पूल गिरने से 135 लोगो की मौत हुई तो इसकी वजह से ऐसा माना जा रहा है की इस बार गुजरात में भाजपा की सीट कम आ सकती है। इसका एक बड़ा कारण ये माना जा रहा है की जब से मोरबी के पूल का हादसा हुआ है तबसे गुजरात में भाजपा की जम कर ट्रोलिंग है रहीं है , जी हां, सोशल मीडिया पर भाजपा की गुजरात के युवा जम कर ट्रोलिंग कर रहे है ।

दरसअल पूल की मरम्मत का काम काफी समय से चल रहा है , पूल पर केवल 100 लोगो का ही एक साथ आवा गमन का निर्देश था लेकिन ये सभी बातो पर भाजपा ने ध्यान नहीं दिया और इसका अंजाम 135 लोगो की मौत है।

मोरबी मे हुए इस हादसे को कई लोग भाजपा की लापरवाही बता रहे है जिस वजह से भाजपा की अब गुजरात के युवा ट्रोलिंग करने लगे है , ऐसे में ये माना जा रहा है की इस बार गुजरात में भाजपा के सीट कम आने का करण गुजरात की युवा हो सकती है।

साथ ही साथ आपको बता दे की गुजरात के मोरबी में एक मजिस्ट्रेट अदालत ने शनिवार को पुलिस रिमांड देने से इनकार कर दिया और चार आरोपियों को न्यायिक हिरासत का आदेश दिया, जिन्हें ओरेवा समूह द्वारा काम पर रखा गया था। इन चार आरोपियों में ओरेवा समूह के दो प्रबंधक और सुरेंद्रनगर स्थित ठेकेदारों के दो कर्मचारी शामिल हैं।इन चारों आरोपियों को मच्छू नदी पर हैंगिंग ब्रिज टूटने के मामले में गिरफ्तार किया गया था। बता दें कि मोरबी हैंगिंग ब्रिज 30 अक्टूबर को टूटकर मच्छू नदी में गिर गया था जिसमें 135 लोगों की जान चली गई थी। अदालत ने 1 नवंबर को आरोपी को पांच दिन की रिमांड दी थी, जो शनिवार को समाप्त हो गई।

अभियोजन पक्ष ने पांच दिन की और रिमांड की मांग की थी और कहा था कि पुलिस को राजकोट कलेक्टर कार्यालय से 2008 में ओरेवा-अजंता समूह और मोरबी नगरपालिका के बीच एक समझौते के संबंध में कुछ दस्तावेज प्राप्त नहीं हुए हैं। समझौता निजी फर्म को सस्पेंशन ब्रिज के संचालन और प्रबंधन को सौंपने के लिए था।

 

करीब सात महीने पहले पुल को परिचालन के लिए बंद कर दिया गया था। निजी कंपनी ओरेवा ग्रुप को इस साल मार्च में पुल के रखरखाव, संचालन और अगले 15 साल की सुरक्षा का ठेका दिया गया था। कंपनी ने 19वीं सदी में ब्रिटिश शासन के दौरान मच्छू नदी पर बने पुल के मरम्मत के लिए धंगधरा स्थित ठेकेदार देवप्रकाश सॉल्यूशन को उप-अनुबंध दिया था।

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