Noida: एक तरफ ‘Digital India’ और ‘Smart City’ पॉलिसी, दूसरी तरफ दिल्ली से 15 km दूर 8 साल से बत्ती गुल !

ग्रेटर नोएडा में हिंडन नदी के दोनों किनारों पर फैली लगभग 40 से 50 कॉलोनियों में लाखों लोग रहते हैं, लेकिन अब भी इन बस्तियों के कई घर बिजली कनेक्शन से वंचित हैं। सबसे गंभीर बात यह है कि वर्ष 2017 से उत्तर प्रदेश सरकार और विद्युत विभाग ने इन कॉलोनियों को “फ्लड जोन” घोषित कर, नए बिजली कनेक्शन देने पर रोक लगा दी है। इसके चलते यहाँ के लोग अब भी अवैध रूप से “कटिया” डालकर बिजली उपयोग कर रहे हैं या फिर सोलर पैनल व जनरेटर जैसे अस्थायी और महंगे विकल्पों का सहारा ले रहे हैं।

2017 से जारी है एक जनआंदोलन

इस लड़ाई की शुरुआत समाजसेवी रूपेश राय ने 2024 में की थी। उन्होंने ‘एकता संघर्ष समिति’ के तहत स्थानीय लोगों को संगठित किया और तब से अब तक दर्जनों बार धरना-प्रदर्शन, ज्ञापन, रैलियां और पदयात्राएं आयोजित की हैं। राष्ट्रपति, ऊर्जा मंत्री, मुख्यमंत्री और राज्यपाल तक को पत्र लिखे गए हैं। यहां तक कि हाई कोर्ट में जनहित याचिका (PIL) भी दायर की गई है, लेकिन अभी तक कोई ठोस समाधान नहीं निकला है।

प्रभावित कॉलोनियों और आबादी का विवरण

  • कुलेसरा, सुत्याना, लखनावली, जय हनुमान कॉलोनी, श्याम विहार, परशुराम विहार जैसी कॉलोनियों में बिजली की सबसे ज्यादा समस्या है।
  • इन कॉलोनियों में अक्सर ट्रांसफॉर्मर फेल हो जाते हैं या लोड से ज्यादा खपत हो रही है।
  • कई क्षेत्रों में तो ट्रांसफॉर्मर तक नहीं लगे हैं, जिससे पूरी कॉलोनी ही अंधकार में डूबी रहती है।
  • अनुमान है कि इन सभी कॉलोनियों में कुल मिलाकर लाखों की आबादी निवास कर रही है, जो बिना वैध बिजली कनेक्शन के जीवन जी रही है।

कैसी चल रहा है जीवन?

  • लोग कटिया डालकर बिजली का उपयोग कर रहे हैं, जो न सिर्फ अवैध है, बल्कि बेहद खतरनाक भी।
  • जनरेटर और सोलर पैनल का उपयोग सीमित है और हर कोई इसे अफोर्ड नहीं कर सकता।
  • इससे बच्चों की पढ़ाई, स्वास्थ्य सेवाएं और छोटे कारोबार सभी प्रभावित हो रहे हैं।

प्रशासन की क्या कार्यवाही?

सरकारी पक्ष से NPCL और डिस्ट्रिक्ट एडमिनिस्ट्रेशन यह तर्क देते हैं कि ये इलाके हिंडन नदी के फ्लडप्लेन जोन में आते हैं, इसलिए यहाँ वैध कनेक्शन नहीं दिया जा सकता। हालांकि, लोगों का कहना है कि अगर यहां RWA पंजीकृत हो सकते हैं, आधार कार्ड और वोटर ID बन सकते हैं, तो बिजली क्यों नहीं?

क्या कार्य होना चाहिए?

  • सरकार को स्पष्ट नीति लानी चाहिए जिससे फ्लड ज़ोन में रहने वाले लोगों को सुरक्षित और वैध कनेक्शन मिल सके।
  • अस्थायी समाधान के रूप में टॉवर आधारित या भूमिगत तारों से बिजली आपूर्ति की जा सकती है।
  • जनसंख्या और बसावट को देखते हुए सरकार को पुनर्निवेश या पुनर्विकास की योजना बनानी चाहिए।
  • लोगों को बिजली कनेक्शन के लिए विकल्प चुनने की सुविधा मिलनी चाहिए — सोलर, ग्रिड या हाइब्रिड सिस्टम।

आखिरी बात

यह मुद्दा सिर्फ बिजली का नहीं, बल्कि मौलिक अधिकारों का है। एक तरफ सरकार डिजिटल इंडिया, स्मार्ट सिटी और ऊर्जा सबके लिए की बात करती है, दूसरी ओर लाखों लोग ग्रेटर नोएडा जैसे विकसित क्षेत्र में भी अंधेरे में जीने को मजबूर हैं। यदि जल्द ही इस समस्या का समाधान नहीं किया गया, तो यह एक बड़ा सामाजिक और राजनीतिक मुद्दा बन सकता है। रूपेश राय और उनके संगठन का संघर्ष इस बात का प्रतीक है कि जनता संगठित हो तो व्यवस्था भी झुक सकती है।

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