CM Yogi के आदेश के बावजूद स्कूल नहीं माना, प्रिंसिपल ने सुनाई खरी-खोटी.. फीस माफी से इनकार, जो कहा वो..

गोरखपुर की एक छात्रा पंखुड़ी त्रिपाठी की उम्मीद उस समय टूट गई, जब मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के जनता दरबार में दिए गए फीस माफी के आदेश के बावजूद उसके स्कूल ने फीस माफ करने से मना कर दिया। छात्रा स्कूल से निराश होकर घर लौटी और खूब रोई। परिवार पर दुखों का पहाड़ टूट पड़ा है।
जनता दरबार में सीएम योगी ने दिया था फीस माफी का आश्वासन
1 जुलाई को गोरक्षनाथ मंदिर परिसर में आयोजित जनता दरबार में पंखुड़ी ने मुख्यमंत्री से फीस माफी की गुहार लगाई थी। पंखुड़ी ने अपनी स्थिति बताते हुए CM से मदद मांगी थी, जिस पर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने तुरंत अधिकारियों को निर्देश दिया कि छात्रा की फीस माफ की जाए और पढ़ाई में सहयोग दिया जाए। सीएम ने पंखुड़ी से कहा था, “मेहनत से पढ़ाई करना।” उनके साथ फोटो भी खिंचाई थी, जिससे छात्रा को नई उम्मीद जगी थी।
स्कूल प्रिंसिपल का इंकार: कहा- रोज लोग आएंगे जनता दरबार से
सीएम के निर्देश के बावजूद जब पंखुड़ी शनिवार को अपने माता-पिता के साथ गोरखपुर के पक्की बाग स्थित सरस्वती शिशु मंदिर स्कूल पहुंची, तो वहां के प्रिंसिपल ने न केवल फीस माफ करने से इनकार कर दिया, बल्कि यह तक कह डाला कि “जनता दरबार क्यों गई थी?” प्रिंसिपल ने किसी से फोन पर बातचीत करने के बाद कहा, “अगर मैं तुम्हारी फीस माफ कर दूं, तो रोज लोग इसी तरह आने लगेंगे।”
छात्रा का दर्द: ‘पढ़ाई छूट रही है, सपना टूट गया’
पंखुड़ी ने दैनिक भास्कर से बातचीत में कहा, “मेरी पढ़ाई चार महीने से छूटी हुई है। सोचा था सीएम साहब के कहने पर सब ठीक हो जाएगा, लेकिन फिर से स्कूल जाने का सपना टूट गया।” छात्रा छठी कक्षा की छात्रा है और फरवरी में परीक्षा नहीं दे सकी क्योंकि फीस जमा नहीं हो पाई थी। अब 4 महीने से वह घर पर बैठी है और स्कूल जाने वाले दोस्तों के कॉल पर जवाब तक नहीं दे पाती।
स्कूल एप्लिकेशन में लिखा– ‘शिक्षा पाने में मदद करें’
पंखुड़ी ने प्रिंसिपल को जो फीस माफी का आवेदन दिया, उसमें उसने लिखा, “सविनय निवेदन है कि मैं पंखुड़ी त्रिपाठी हूं, जो सीएम से फीस माफी के लिए आवेदन कर चुकी हूं। उन्होंने इसे स्वीकार कर अधिकारियों को आदेशित किया था। आपसे निवेदन है कि मेरी फीस माफ कर मुझे शिक्षा पाने में मदद करें। हम आपके आभारी रहेंगे।”
घर में पसरा मातम: परिवार ने कहा- बच्ची बहुत रोई
पंखुड़ी के कोतवाली क्षेत्र स्थित पुरदिलपुर स्थित घर में गहरा मातम छा गया है। स्कूल से लौटकर पंखुड़ी खूब रोई। पिता राजीव त्रिपाठी, मां मीनाक्षी और भाई वंश ने उसे ढाढ़स बंधाया, लेकिन बच्ची की आंखों में मायूसी छाई रही। परिजनों का कहना है कि जिस उम्मीद से सीएम के पास गए थे, उसका इस तरह टूट जाना बहुत दुखद है।
परिवार की आर्थिक हालत बेहद खराब, घर की दीवारें भी दरकी हुईं
पंखुड़ी का परिवार बीते कुछ वर्षों से गहरे आर्थिक संकट में है। उनका पुराना घर जर्जर हालत में है। 1955 में बने इस मकान की दीवारें और छतें दरक चुकी हैं। घर में तीन कमरे हैं, और बाहर एक छोटा-सा बोर्ड “वंश इलेक्ट्रिक” और “वंश प्रोविजन स्टोर” नाम से लगा है, लेकिन दुकान में सामान नहीं है। पिता राजीव किसी तरह घर पर ही खराब पंखे और RO मरम्मत का काम कर लेते हैं।
कोरोना के बाद टूटी कमर: पिता का पैर टूटा, पत्नी करती हैं काम
राजीव ने बताया कि वह पहले चंडीगढ़ में रेडिमेड गारमेंट्स का काम करते थे, लेकिन 2020 में कोरोना काल के दौरान काम बंद हो गया और उन्हें गोरखपुर लौटना पड़ा। वापसी के कुछ दिन बाद ही छत पर फिसल कर उनका पैर टूट गया। चार साल तक वह बिस्तर पर रहे। इस दौरान परिवार चलाने के लिए उनकी पत्नी मीनाक्षी को बाहर नौकरी करनी पड़ी, लेकिन उस आय से बच्चों की पढ़ाई तक पूरी नहीं हो पाती।
प्रशासन का रवैया भी सुस्त, आदेश अब तक स्पष्ट नहीं
सूत्रों के मुताबिक, प्रशासनिक स्तर पर एक पत्र तैयार किया गया है, जिसे DIOS (जिला विद्यालय निरीक्षक) कार्यालय भेजा गया है। हालांकि DIOS प्रयागराज किसी केस में गए हुए हैं, और उनके लौटने के बाद ही इस पत्र का निष्कर्ष सामने आएगा। यानी अब तक यह स्पष्ट नहीं है कि सीएम के निर्देश पर क्या प्रशासन ने कोई ठोस कदम उठाया है या नहीं।