खुल गया गोपाल खेमका मर्डर केस का रहस्य ! कौन है अजय वर्मा ? STF की छापेमारी में मिले चौंकाने वाले सुराग

बिहार की राजधानी पटना में कद्दावर कारोबारी गोपाल खेमका की हत्या ने न सिर्फ शहर को दहला दिया, बल्कि आगामी बिहार विधानसभा चुनाव से पहले पूरे राज्य में सनसनी फैला दी है। यह घटना राज्य की कानून व्यवस्था पर गंभीर सवाल खड़े कर रही है। मामले की गंभीरता को देखते हुए STF, DGP विनय कुमार और IG जितेंद्र राणा के निर्देशन में पुलिस ने कार्रवाई तेज कर दी है।

बेऊर जेल में पुलिस की छापेमारी

हत्या की जांच कर रही पुलिस को शक की सुई सीधे बेऊर जेल की ओर लेकर गई। छापेमारी में पुलिस को तीन मोबाइल फोन, सिम कार्ड, और कुछ आपत्तिजनक सामान बरामद हुए हैं। ये चीजें इशारा कर रही हैं कि इस हाई-प्रोफाइल मर्डर केस की साजिश जेल के अंदर से रची गई हो सकती है।

कौन है अजय वर्मा ?

इस हत्याकांड में सबसे बड़ा नाम जो सामने आ रहा है वो है अजय वर्मा, जो इस वक्त बेऊर जेल में बंद है। सूत्रों के मुताबिक, वह राजनीति में एंट्री की तैयारी कर रहा था। उसके सोशल मीडिया प्रोफाइल पर कई ऐसी तस्वीरें मिली हैं जिनमें वह खुद को एक प्रमुख राजनीतिक दल से जुड़ा बता रहा है और खुद को कुम्हारार विधानसभा से भावी उम्मीदवार घोषित कर चुका था।

अजय वर्मा का आपराधिक सफर

पुलिस रिकॉर्ड के अनुसार, अजय वर्मा के खिलाफ हत्या, अपहरण, डकैती और सुपारी किलिंग जैसे संगीन अपराधों में 28 से अधिक मामले दर्ज हैं। साल 2025 में 24 जून को उसे पटना से गिरफ्तार किया गया था। इस दौरान उसके पास से जर्मन मेड पिस्टल और 98 कारतूस बरामद किए गए थे, जो उसकी आपराधिक गतिविधियों की गंभीरता को दर्शाते हैं।

पुलिस की पूछताछ जारी

हालांकि पुलिस ने अजय वर्मा से जेल के अंदर पूछताछ की है, लेकिन अभी तक आधिकारिक रूप से उसकी संलिप्तता की पुष्टि नहीं की गई है। लेकिन जेल से मिले इलेक्ट्रॉनिक सामान इस दिशा में पुलिस को आगे बढ़ने में मदद कर रहे हैं।

गोपाल खेमका से पहले बेटे गुंजन खेमका की भी हत्या

इस केस को और भी रहस्यमयी बनाता है एक और बड़ा तथ्य, छह साल पहले गोपाल खेमका के बेटे गुंजन खेमका की भी हत्या हुई थी। वह भाजपा से जुड़े थे और 2018 में हाजीपुर स्थित अपनी फैक्ट्री में गोली मारकर उनकी हत्या कर दी गई थी। इस घटना को भी कभी पूरी तरह से सुलझाया नहीं जा सका।

जेल से जुड़े मिले सुराग

बिहार पुलिस की स्पेशल टास्क फोर्स (STF) भी इस मामले में सक्रिय हो चुकी है। बेऊर जेल में छापेमारी और बरामद सबूतों से यह स्पष्ट हो रहा है कि इस हत्याकांड के तार जेल के भीतर से जुड़े हो सकते हैं। यह घटना सिर्फ एक मर्डर नहीं बल्कि बिहार की जेल व्यवस्था, राजनीति और अपराध की खतरनाक मिलीभगत की ओर इशारा कर रही है।

 

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