भारत से पहली बार रुकेगा चावल का निर्यात , क्यूँ लिया सरकार ने फ़ैसला!

भारत सरकार के केंद्रीय अप्रत्यक्ष कर और सीमा शुल्क बोर्ड ने टूटे चावल के निर्यात पर प्रतिबंध लगा दिया है। इतना ही नहीं बासमती और उबले चावल को छोड़कर बाकी सभी प्रकार के चावल का निर्यात

भारत सरकार के केंद्रीय अप्रत्यक्ष कर और सीमा शुल्क बोर्ड ने टूटे चावल के निर्यात पर प्रतिबंध लगा दिया है। इतना ही नहीं बासमती और उबले चावल को छोड़कर बाकी सभी प्रकार के चावल का निर्यात करने पर बीस फीसदी शुल्क भी अदा करना होगा।  यह बदलाव तुरंत प्रभाव से लागू होंगे। इस संदर्भ में शुक्रवार को केंद्रीय खाद्य सचिव सुधांशु पांडे ने कहा यह कदम  निर्यात में हो रही असाधारण बढ़ोतरी और घरेलू बाजार में मुर्गी दाना और इथेनॉल उत्पादन के लिए चावल की कमी को देखते हुए उठाए गए हैं।
उन्होंने कहा घरेलू बाजार में चावल की कीमतें लगातार चढ़ने लगी थी, यह जनवरी में 16 रुपये प्रति किलो से बढ़कर आठ सितंबर तक 22 रुपये प्रति किलो हो गई। एक महीने में फुटकर में कीमतों में 43 फीसदी का इजाफा हो गया, लिहाजा इन कीमतों पर नियंत्रण आवश्यक था। पांडे ने देश में चावल की कमी के सवाल पर विराम लगा दिया है, कहा देश में चावल का पर्याप्त भंडार है।
सरकार की इस घोषणा का असर घरेलू बाजार की कीमतों पर पड़ेगा। उन्होंने कहा इससे घरेलू आमद में बढ़ोत्तरी होगी और मुर्गी दाने और इथेनॉल उत्पादन के लिए टूटे चावल की उपलब्धता हो सकेगी।
खाद्य सचिव ने कहा टूटे चावल के निर्यात में अप्रत्याशित उछाल का अंदाजा इससे लगाया जा सकता है कि मंत्रालय द्वारा जारी आंकड़ों के मुताबिक इस साल अप्रैल से सितंबर  तक यह 4178 फीसदी बढ़ा। जबकि 20-18-19 2021-22 में चार साल के समय में  यह 319 फीसदी बढ़ा है।
इसमें साल अप्रैल से अगस्त तक 93.56  लाख मीट्रिक टन चावल निर्यात हुआ इसमें टूटे चावल का योगदान  21.31 लाख मीट्रिक टन रहा जो कि कुल निर्यात का  22.78 फीसदी है, जबकि  2019 में यह केवल 1.34  फीसदी था।
पिछले पूरे साल में यह आंकड़ा 83.64 लाख मीट्रिक टन था। इस प्रतिबंध में कुछ विशेष परिस्थितियों में15 सितंबर तक निर्यात की अनुमति दी जाएगी। इसमें भी कुछ बिंदु हैं, जैसे इस प्रतिबंध आदेश से पहले जहाज पर टूटे चावल की लोडिंग शुरू हो गई हो, जहां शिपिंग बिल दायर किया गया है और जो स्टॉक पहले ही भारतीय बंदरगाहों और उनके रोटेशन में आ गया है।
दरअसल इस बार मानसून असामान्य गतिविधियों, और कई जगहों पर कम पानी गिरने के कारण धान का उत्पादन इस साल पिछले साल की तुलना में कम हो सकता है, इसका असर की संभावनाओं के साथ आने वाले समय में चावल की कीमतों पर भी पड़ सकता है। इस संदर्भ में यदि कृषि मंत्रालय द्वारा जारी आंकड़ों का आकलन करें तो राज्य में धान की बुवाई का रकबा 5.62 फीसदी से घटकर 383.99 लाख हेक्टेयर रह गया है।
भारत चीन के बाद दुनिया का सबसे दूसरा बड़ा चावल उत्पादक देश है,  और दुनिया के चावल बाजार में भारत की हिस्सेदारी 40 फ़ीसदी है।  देश ने वित्त वर्ष 2021- 22 में कुल चावल निर्यात 126.53 लाख मीट्रिक टन हुआ इसमें 39.4 लाख मीट्रिक टन बासमती चावल था, आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार इसी अवधि में इसलिए 49.95  लाख मीट्रिक टन  गैर बासमती चावल का निर्यात किया।  2021-22 में 150 से अधिक देशों को गैर बासमती चावल का निर्यात किया था। किंतु सरकार की इस रोक से अब थाईलैंड और वियतनाम की ओर खरीदारी स्थानांतरित होने की संभावना है। भारत में चावल का निर्यात का 60 फ़ीसदी से अधिक है, ऐसे में खरीदार अन्य देशों का रुख करेंगे जहां से उन्हे यह चावल मिल सकेगा। दुनिया के देशों के लिए भारत सबसे सस्ता चावल आपूर्तिकर्ता है। ऐसे में इस रोक का असर दुनिया के चावल बाजार पर पड़ना तय माना जा रहा है। 2021 में 10.1 लाख मीट्रिक टन की खरीद के साथ चीन टूटे चावल का सबसे बड़ा खरीदार था, जबकि सेनेगल और जिबूती जैसे अफ्रीकी देशों ने भी बड़े पैमाने पर भारत से चावल खरीदे थे,  इससे पहले मई में केंद्र ने खाद्य सुरक्षा संभावित स्थितियों का आकलन करके  गेहूं के निर्यात नीति में संशोधन किया था। निर्यात को रोका था।  सरकार ने निर्यात पर प्रतिबंध लगाते हुए कहा था कि यह कदम देश की समग्र खाद्य सुरक्षा के प्रबंधों की जरूरतों को पूरा करने उठाया गया है।  भारत सरकार गेहूं निर्यात  पर रोक लगाने तक सीमित नहीं रही।
गेहूं के आटे और उससे बने सामानों  के निर्यात पर प्रतिबंध लगा दिया इसमें मैदा, सूजी, रवा, परिणामी आटा  के निर्यात पर भी प्रतिबंध लगा दिया गया था। इस समय पूरी दुनिया रूस यूक्रेन से चल रहे संघर्ष के कारण बेहाल है। दुनिया के सबसे बड़े गेंहू आपूर्ति देश होने के कारण आपूर्ति में गिरावट आई और दुनिया में मुख्य खाद्यान्नों की कीमतों में तेजी आई जिसका असर भारत में भी देखने को मिला है। हाल के महीनों में इनकी वैश्विक कीमतों में काफी बढ़ोतरी हुई है, और यहां भी  फिलहाल यह न्यूनतम समर्थन मूल्य से ऊपर कारोबार कर रहे हैं, उस पर मानसून की मार ने खरीफ में धान के उत्पादन को प्रभावित किया और इससे पहले रबी की फसल के दौरान असमय चढ़े पारे ने गेहूं उत्पादन पर असर डाला।   बॉक्स…. भारत को 1100 करोड़ इथेनॉल उत्पादन के लिए खाद्य अपशिष्ट जिसमें टूटे चावल भी शामिल है, चाहिए, लिहाजा इस मांग को भी पूरा करने के लिए मशक्कत की जा रही है।  ऐसे में खाद्य सचिव ने बताया कि इस साल मानसून की गतिविधियों में अप्रत्याशित बदलाव और चार राज्यों के सूखा प्रभावित होने के कारण धान की बुवाई प्रभावित हो सकती है।  उन्होंने कहा असामान्य स्थितियों में भी 70 से 80 लाख मीट्रिक टन धान की कम पैदावार होने के अनुमान हैं,  लेकिन देश कई राज्यों में बारिश काफी अच्छी हुई है, वहां  चावल की बुवाई बढ़ भी सकती है। उन्होंने कहा केवल पूर्वानुमानों के आंकड़ों को ही देखे तो यह  बड़ी कमी नहीं करेगी। क्योंकि पिछले साल देश में 212  लाख मीट्रिक टन चावल के साथ देश में इस बार उत्पादन कम होने के बावजूद अधिशेष मात्रा में चावल होगा।
बॉक्स… विदेश व्यापार महानिदेशालय के केंद्रीय अप्रत्यक्षकर  और सीमा शुल्क बोर्ड  डीजीएफटी ने बृहस्पतिवार को  एक अधिसूचना जारी करके टूटे चावल के निर्यात पर रोक लगा दी। मंत्रालय ने बासमती और उबले चावल को छोड़ अन्य सभी चावलों के निर्यात पर भी २० फीसदी शुल्क लगाने का ऐलान किया।  इस अधिसूचना को शुक्रवार से लागू किया गया है।  इसमें स्थांतरित नीति के संबंध में विदेशी व्यापार  नीति २०१५-२० के तहत प्रावधान इस अधिसूचना पर लागू नहीं होंगे। केंद्र सरकार का तर्क है इस रोक से घरेलू बाजार में चावल की कीमतों पर नियंत्रण लगाने में मदद मिलेगी, इंटरनेशनल स्तर पर किसानों को  बासमती और उबला चावल निर्यात करके अधिक आय प्राप्त होगी।

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