जिस चारपाई पर भाई का खून.. 10 साल से राखी बांध रहीं 4 बहनें, हर रक्षाबंधन पर रोता है पूरा गाँव

उत्तर प्रदेश के फतेहपुर जिले के बकेवर कोतवाली क्षेत्र के सदान बदान का पुरवा गांव में एक मार्मिक परंपरा पिछले दस वर्षों से चली आ रही है। यहां की चार बहनें—निशा, रिषा, नीता और नीतू—हर रक्षाबंधन पर उस चारपाई को राखी बांधती हैं, जिस पर उनके भाई राघवेंद्र यादव की हत्या हुई थी। यह चारपाई अब उनके भाई की स्मृति का प्रतीक बन चुकी है।
राघवेंद्र की हत्या और न्याय की तलाश
21 जून 2015 की रात, राघवेंद्र यादव अपने घर के बाहर चारपाई पर सो रहे थे, जब गांव के ही सुधीर यादव ने बांके से उन पर नौ बार वार कर उनकी हत्या कर दी। हत्या का कारण तीन महीने पहले हुई एक मामूली कहासुनी थी। गुरुवार को, दस साल की लंबी कानूनी प्रक्रिया के बाद, एडीजे कोर्ट नंबर एक राजकुमार तृतीय की अदालत ने सुधीर यादव को उम्रकैद की सजा सुनाई और 40,000 रुपये का जुर्माना भी लगाया। हालांकि, राघवेंद्र की मां सोमवती इस फैसले से संतुष्ट नहीं हैं और उन्होंने हत्यारे के लिए फांसी की सजा की मांग की है।
चारपाई बनी भाई की यादगार
राघवेंद्र की हत्या के बाद, जिस चारपाई पर उनकी जान ली गई थी, उसे उनकी बहनों ने सहेजकर घर के बरामदे में रख दिया है। हर रक्षाबंधन पर, वे इस चारपाई को बाहर निकालती हैं, उस पर रोली-टीका करती हैं और राखी बांधती हैं। यह दृश्य देखकर गांव के लोग भी भावुक हो जाते हैं।
रक्षाबंधन पर बहनों की वापसी
राजेंद्र सिंह बताते हैं कि उनकी चारों बेटियों की शादी हो चुकी है और वे साल भर में कभी-कभी ही घर आती हैं। लेकिन रक्षाबंधन के अवसर पर वे जरूर आती हैं, ताकि अपने भाई की स्मृति को सम्मान दे सकें। यह परंपरा उनके लिए भाई के प्रति प्रेम और श्रद्धा का प्रतीक है।
गांव की भावनात्मक प्रतिक्रिया
हर साल सावन की पूर्णिमा पर, जब बहनें चारपाई को राखी बांधती हैं, तो गांव का माहौल भी भावुक हो जाता है। लोग इस दृश्य को देखकर अपने आंसू नहीं रोक पाते। यह परंपरा न केवल एक परिवार की व्यक्तिगत पीड़ा को दर्शाती है, बल्कि समाज में भाई-बहन के रिश्ते की गहराई और महत्व को भी उजागर करती है।
फतेहपुर के इस गांव की यह कहानी भाई-बहन के अटूट बंधन की मिसाल है। राघवेंद्र की बहनों ने जिस तरह से अपने भाई की स्मृति को जीवित रखा है, वह समाज के लिए एक प्रेरणा है। यह परंपरा हमें यह सिखाती है कि प्रेम और श्रद्धा के माध्यम से हम अपनों की यादों को सहेज सकते हैं और उन्हें हमेशा अपने दिलों में जीवित रख सकते हैं।